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मंगलवार, 10 जून, 2025
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दिल्ली मंत्रिमंडल ने स्कूल फीस को विनियमित करने वाले अध्यादेश को मंजूरी दी

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नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) दिल्ली मंत्रिमंडल ने निजी स्कूलों में फीस संरचना को विनियमित करने के लिए मंगलवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इसमें दिल्ली सरकार को मानदंडों का उल्लंघन करने पर स्कूलों पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है।

साथ ही मानदंडों के उल्लंघन पर स्कूलों से फीस संशोधन का प्रस्ताव देने का उनका अधिकार भी छीन लेने का प्रावधान है।

दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने प्रस्तावित दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 पर आधारित अध्यादेश को मंजूरी दे दी।

सूद ने कहा, ‘‘अध्यादेश को उपराज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। यह उन अभिभावकों के लिए खुशी का दिन है जिनके बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। यह कानून का रूप लेगा।’’

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का यह निर्णय भविष्य में दिल्ली के 1,677 निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।

मंत्रिमंडल द्वारा 29 अप्रैल को स्वीकृत मसौदा अध्यादेश के अनुसार, मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के लिए सख्त दंड का प्रावधान है, जिसमें फीस संशोधन का प्रस्ताव करने का अधिकार छीनना भी शामिल है।

मसौदा अध्यादेश में कहा गया है कि यदि कोई स्कूल निर्धारित मानदंडों से अधिक फीस वसूलता पाया जाता है, तो उसे अतिरिक्त राशि वापस लेनी होगी और 20 कार्य दिवस के भीतर उसे वापस करना होगा।

पहली बार उल्लंघन करने पर स्कूल पर एक लाख से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। बार-बार उल्लंघन करने पर जुर्माना दो लाख से 10 लाख रुपये तक हो जाएगा।

मसौदा अध्यादेश में प्रस्ताव है कि यदि स्कूल निर्धारित समय के भीतर राशि वापस करने में विफल रहता है, तो जुर्माना 20 दिनों के बाद दोगुना हो जाएगा, 40 दिनों के बाद तिगुना हो जाएगा और हर 20 दिन की देरी के साथ बढ़ता रहेगा। इसमें बार-बार उल्लंघन करने वालों पर दंड का भी प्रावधान है।

मसौदा अध्यादेश के अनुसार, जो अधिकारी बार-बार नियमों का उल्लंघन करते पाए जाएंगे, उन्हें स्कूल प्रबंधन में आधिकारिक पद लेने से भी रोका जा सकता है। इसके अलावा, स्कूल प्रबंधन भविष्य में फीस संशोधन का प्रस्ताव देने का अधिकार भी खो सकता है।

मसौदा अध्यादेश में फीस विनियमन प्रक्रिया की देखरेख के लिए तीन समितियों के गठन का प्रस्ताव है- स्कूल, जिला और संशोधन स्तर पर एक-एक समिति। सर्वोच्च प्राधिकारी ‘संशोधन समिति’, स्कूल फीस से संबंधित किसी भी विवाद या निर्णय पर अंतिम निर्णय लेगी।

इस समिति की अध्यक्षता शिक्षा निदेशक, एक प्रख्यात शिक्षाविद्, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए), लेखा नियंत्रक, स्कूलों और अभिभावकों के प्रतिनिधि तथा एक पूर्व शिक्षा अधिकारी करेंगे। इसके निर्णय तीन वर्ष की अवधि के लिए सभी पक्षों पर बाध्यकारी होंगे।

जिला समिति की अध्यक्षता जिला शिक्षा निदेशक करेंगे। अन्य सदस्यों में जोन के शिक्षा उपनिदेशक, शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा नामित दो स्कूल प्रिंसिपल और डीओई द्वारा नामित दो अभिभावकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

यह समिति स्कूल प्रबंधन और स्कूल स्तरीय शुल्क विनियमन समितियों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए जिम्मेदार होगी।

मसौदा अध्यादेश के अनुसार, भारतीय और विदेशी पाठ्यक्रम संचालित करने वाले निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों के साथ-साथ अल्पसंख्यक संस्थानों या रियायती दरों पर भूमि आवंटन प्राप्त करने वाले स्कूलों को प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में 15 जुलाई तक ‘स्कूल स्तरीय शुल्क विनियमन समिति’ स्थापित करनी होगी।

भाषा आशीष पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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