नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा)दिल्ली की मौजूदा विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि पिछली विधानसभा की समितियों का इस्तेमाल निर्वाचित सरकार के ‘अवैध’ फैसलों को लागू कराने के उद्देश्य से ‘नौकरशाहों को धमकाने’ के लिए किया गया था।
इस महीने की शुरुआत में, आतिशी ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम (जीएनसीटीडी)2021 में संशोधन ने विधानसभा समितियों की शक्तियों को ‘काफी कमजोर’ कर दिया है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से इसे निरस्त करने के लिए दबाव बनाने का आग्रह किया था।
गुप्ता को लिखे पत्र में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने चिंता व्यक्त की कि संशोधन ने समितियों को दिल्ली सरकार द्वारा दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक मामलों या लिए गए निर्णयों की जांच करने से रोककर ‘असामान्य स्थिति’ पैदा कर दी है।
आतिशी के पत्र का जवाब देते हुए गुप्ता ने कहा कि वह दिल्ली सरकार अधिनियम 2021 में संशोधन के बाद समितियों के कामकाज में प्रतिबंधों पर उनकी चिंता की सराहना करते हैं।
उन्होंने 23 मई को लिखे पत्र में कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश, यह पूर्ववर्ती सरकार की प्रतिशोधात्मक कार्यशैली थी, जिसने संसद, जो भारत की सर्वोच्च कानून बनाने वाली संस्था है, को ऐसा कदम उठाने के लिए बाध्य किया।’’
गुप्ता के पत्र पर आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
गुप्ता ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती विधानसभा और इसकी समितियों का इस्तेमाल नौकरशाहों को धमकाने और उनके कामकाज में हस्तक्षेप करने के लिए किया जाता था, ताकि निर्वाचित सरकार के अवैध निर्णयों को लागू कराया जा सके।
उन्होंने पत्र में कहा , ‘‘एक भी समिति ने कोई उत्पादक या सकारात्मक सिफारिश प्रस्तुत नहीं की, जिससे दिल्ली के लोगों को लाभ हो। इसके अलावा, वित्तीय समितियों, जिनके बारे में आपने अब चिंता व्यक्त की है, ने पिछले दस वर्षों में एक भी पैराग्राफ या मुद्दे की जांच नहीं की, कोई रिपोर्ट प्रस्तुत करना तो दूर की बात है।’’
उन्होंने आतिशी को आश्वासन दिया कि वर्तमान विधानसभा और इसकी समिति कानून द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर प्रभावी ढंग से काम करेगी।
गुप्ता ने 2021 के संशोधनों के बारे में रेखांकित किया कि वित्तीय समितियों सहित कोई भी समिति राजधानी के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के मामलों की जांच नहीं करेगी या प्रशासन के मामलों में तब तक कोई पूछताछ नहीं करेगी जब तक कि संसद अपने विवेक से संशोधनों की समीक्षा नहीं कर लेती।
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘वास्तव में विधानसभा या इसकी समितियों को दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के छोटे-छोटे मुद्दों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। चाहे जो भी हो, अंततः यह अध्यक्ष ही है जिसे निर्णय लेना है कि कोई मुद्दा दिन-प्रतिदिन के प्रशासन का मामला है या नहीं और उसके निर्णय पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।’’
भाषा धीरज पवनेश
पवनेश
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