नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 14 वर्षीय किशोरी को बहला-फुसलाकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म करने के मामले में एक व्यक्ति को दोषी करार देते हुए 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला वर्ष 2018 का है।
अदालत ने कहा कि न्याय के लिए अपराध के अनुरूप सजा जरूरी होती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पूनिया ने बचाव पक्ष के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि पीड़िता के शरीर पर अतिरिक्त चोट नहीं थीं, इस कारण से सजा में नरमी बरती जानी चाहिए।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पूनिया ने 21 अगस्त के फैसले में कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इस बात पर ध्यान नहीं दिया जा सकता (अतिरिक्त चोट नहीं होना) क्योंकि दुष्कर्म का कोई भी रूप अन्य से बेहतर नहीं है। दुष्कर्म अपने आप में एक हिंसक अपराध है…।’’
अदालत 23 वर्षीय आरोपी व्यक्ति के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसे दुष्कर्म के दंडनीय अपराध और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न के प्रावधान के लिए दोषी ठहराया गया।
विशेष लोक अभियोजक श्रवण कुमार बिश्नोई ने इस मामले में सख्त एवं कठोरतम सजा का अनुरोध करते हुए कहा कि पीड़िता को बहकाया गया और ‘‘उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया गया।’’
अदालत ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की दलील को खारिज करते हुए कहा कि नाबालिग कानूनी तौर पर यौन संबंध के लिए सहमति देने में अक्षम है।
अदालत ने पीड़िता को 10.50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
भाषा रवि कांत अमित
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