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नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश संजय किशन कौल ने शुक्रवार को कहा कि मामलों के निपटारे में देरी वादियों को न्याय से वंचित करने के समान है। इसके साथ ही उन्होंने न्यायाधीशों की पर्याप्त संख्या न होने पर चिंता व्यक्त की।
पच्चीस दिसंबर को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति कौल ने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि निचली अदालत से लेकर उच्चतम न्यायालय तक मुकदमों के भारी अंबार से निपटने के लिए नए विचारों का प्रयोग करने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए।
सरकार ने 20 जुलाई को राज्यसभा को बताया था कि देश की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पांच करोड़ का आंकड़ा पार कर गई है।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने उच्च सदन में कहा था, “भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा एकीककृत मामले प्रबंधन प्रणाली (आईसीएमआईएस) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, एक जुलाई तक, उच्चतम न्यायालय में 69,766 मामले लंबित थे।’’
उन्होंने कहा था, ‘‘राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) पर उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, 14 जुलाई तक उच्च न्यायालयों और जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों की कुल संख्या क्रमशः 60,62,953 और 4,41,35,357 है।’
न्यायमूर्ति कौल ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि स्थिति से निपटने की जरूरत है क्योंकि मामलों के निपटारे में देरी आम वादकारियों को न्याय से वंचित करने के समान है।
भाषा
नेत्रपाल माधव
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