नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि तपेदिक की पहचान में देरी, कलंक और गलत इलाज इस बीमारी से निपटने में सबसे बड़ी चुनौतियां हैं और इसमें कॉरपोरेट क्षेत्र अहम भूमिका निभा सकता है।
टीबी और फेफड़ों के स्वास्थ्य पर एसोचैम द्वारा आयोजित एक कॉर्पोरेट शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्रालय के केंद्रीय टीबी प्रकोष्ठ के डीडीजी (टीबी) डॉ राजेंद्र जोशी ने कहा कि तपेदिक इलाज से संबंधित क्षेत्र में निवेश न केवल एक सामाजिक विषय है, बल्कि कॉरपोरेट जगत को इससे अच्छा रिटर्न भी मिलेगा, क्योंकि इससे स्वास्थ्य की देखभाल संबंधी लागत कम होती है और कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़ता है।
उन्होंने कहा कि रोग के लक्षण की पहचान में देरी, कलंक और गलत इलाज तपेदिक से निपटने में तीन प्रमुख चुनौतियां हैं।
जोशी ने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र इन तीनों चुनौतियों पर पार पाने में महती भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, हम स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी संरचना स्थापित करने, टीबी स्क्रीनिंग तक पहुंच आदि से संबंधित (तपेदिक) कार्यक्रमों में कॉरपोरेट क्षेत्र का सहयोग ले सकते हैं।’’
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सुरेश उमा
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