scorecardresearch
शनिवार, 26 अप्रैल, 2025
होमदेशदेहरादून: दून अस्पताल परिसर में बने ‘अवैध’ मजार को ध्वस्त किया गया, वक्फ बोर्ड ने किया विरोध

देहरादून: दून अस्पताल परिसर में बने ‘अवैध’ मजार को ध्वस्त किया गया, वक्फ बोर्ड ने किया विरोध

Text Size:

देहरादून, 26 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड के देहरादून स्थित राजकीय दून चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल परिसर में दशकों पहले बने ‘अवैध’ मजार को ध्वस्त कर दिया गया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

हालांकि, राज्य वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि यह एक ‘वैध’ संरचना थी।

कोतवाली पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि नगर प्रशासन ने शुक्रवार रात इलाके को सील कर दिया और पुलिस की मौजूदगी में दो जेसीबी मशीनों की मदद से संरचना को ध्वस्त कर दिया।

अधिकारियों ने बताया कि ऋषिकेश के रहने वाले एक व्यक्ति ने ‘उत्तराखंड सीएम हेल्पलाइन’ पोर्टल पर अस्पताल परिसर में मजार होने की शिकायत दर्ज कराई थी।

उन्होंने बताया कि उक्त संरचना से संबंधित रिकॉर्ड दस्तावेज की जांच की गई, जिसमें साबित हुआ कि वह अवैध है और फिर यह कार्रवाई की गई।

अधिकारियों ने बताया कि यह शिकायत भी मिली थी कि संरचना की वजह से आने-जाने वाले लोगों को असुविधा हो रही है क्योंकि परिसर में पहले ही स्थान की कमी है।

सूत्रों ने बताया कि मजार का ‘खादिम’ (देखभाल करने वाला)अस्पताल आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को स्वस्थ होने के लिए मजार पर अकीदत पेश करने को कहता था।

अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने भी उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखकर इसे हटाने की मांग की थी।

राज्य में पिछले करीब दो वर्षों से अवैध मजारों को ध्वस्त किए जाने का अभियान जारी है।

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के सूत्रों ने हालांकि दावा किया कि मजार वैध है। उन्होंने इस कार्रवाई को एकतरफा करार देते हुए कहा कि बोर्ड को विश्वास में नहीं लिया गया।

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यह बाबा कमाल शाह की लगभग 100 साल पुरानी मजार है, जो एक सूफी संत थे।

शम्स ने कहा, ‘‘यह मजार वक्फ बोर्ड में पंजीकृत थी। मैंने मुख्यमंत्री (पुष्कर सिंह धामी) के समक्ष यह मामला उठाया है और उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वह इस पर गौर करेंगे।’’

कांग्रेस की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा, ‘‘सरकार के पास किसी भी अवैध चीज के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है लेकिन जिस तरह से मजार को रातोंरात ध्वस्त किया गया, उससे पता चलता है कि वे (सरकार) किसी न किसी बहाने से केवल नफरत फैलाना चाहते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार या तो मजारों को ध्वस्त कर सकती है या मदरसों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, इसके अलावा कुछ नहीं।’’

सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2000 में उत्तराखंड के गठन से पहले ही यह मजार अस्पताल परिसर में मौजूद थी।

सूर्यकांत धस्माना ने कहा, ‘‘यह वक्फ बोर्ड के अधीन थी और बोर्ड ही बता सकता है कि यह अवैध थी या नहीं।’’

भाषा प्रीति धीरज

धीरज

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments