नई दिल्ली: भारत के प्रतिरक्षा बजट में छह प्रतिशत का इजाफा देखा गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा किया गया ये आवंटन सेना के लिए नाकाफी है, जिसे धन के आभाव में ज़रूरत जितने उपकरण खरीदने और आधुनिकीकरण की योजना में कटौती करनी पड़ी है.
वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में रक्षा क्षेत्र को 3,23,053 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है. निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में रक्षा क्षेत्र के बारे में एक भी शब्द नहीं बोला गया. बता दें कि वित्त मंत्री सीतारमण पहले रक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं.
2020-21 में रक्षा बजट में थोड़ा इजाफा हुआ है. पिछली बार की तुलना में रक्षा बजट (माइनस पेंशन्स) 3.18 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 3.37 लाख करोड़ रुपए किया गया है. इसमें हालांकि प्रतिरक्षा पेंशन शामिल नहीं है. यह लगभग 6 प्रतिशत का इजाफा है. जिसमें कैपिटल मद में 1,13,734 करोड़ रुपए हैं जो कि पिछली बार से 10,340 करोड़ रुपए ज्यादा है.
हालांकि ये बढ़ोतरी चाहे वो मामूली है, पिछले साल से अलग है क्योंकि अंतरिम बजट में पिछले साल रक्षा आवंटन में कोई बदलाव नहीं किया गया था. ये बालाकोट और उसके बाद पाकिस्तान से हवाई झड़प के बावजूद हुआ, जिसने भारत की फौजी तैयारी की कमी को उजागर किया था.
उदाहरण के लिए मामला भारतीय नौसेना का है जिसे नकदी संकट के कारण 2027 तक 200 जहाज की मजबूत सेना बनने की अपनी योजना को फिर से बनाने के लिए मजबूर कर दिया.
नई योजना के मुताबिक नौसेना 2027 तक अब 175 जहाज वाली सेना बनने का लक्ष्य है. यह उस समय है जब चीन की पीपुल लिबरेशन पार्टी (पीएलए) अपनी सेना में काफी आधुनिकीकरण कर रही है.
दिसंबर 2019 में नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने इस ओर ध्यान दिलाया था कि रक्षा बजट में नौसेना का हिस्सा 2012-13 के 18 प्रतिशत के मुकाबले 2019-20 में 13 प्रतिशत कर दिया गया.
सालाना प्रेस कांफ्रेंस में दिप्रिंट के सवाल के जवाब में सिंह ने कहा था, ‘चीन उस कदम से आगे बढ़ रहा है जितनी उसकी क्षमता है. हम अपनी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं. हमारा लक्ष्य है कि हम अपने लिए ज्यादा कुछ करें.’
पैसों की कटौती से सिर्फ नौसेना ही नहीं जूझ रही है. वायु सेना काफी लंबे समय से इससे जूझ रही है और स्थिति ये है कि वर्तमान में फाइटर्स की स्क्वाडर्न की संख्या कम होकर 28 पर आ गई है जो कि 42 आवंटित हैं.
नए 114 सेनानियों से लेकर उम्र बढ़ने वाले एवरो बेड़े और मिड एयर रिफ्यूएलर्स को बदलने के लिए विमानों का परिवहन, वायु सेना को बजटीय बाधाओं के कारण ऐसे सभी कार्यक्रमों में धीमी गति से जाने के लिए मजबूर हो रहा है.
इस साल जनवरी के शुरू में संसद की रक्षा पर स्टैंडिंग कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में सेना के बजट में कटौती और ठीक प्रकार से आवंटन न करने पर आलोचना की थी.
पैनल ने सरकार को लताड़ लगाते हुए 2018-19 के कैपिटल बजट में कमी करने पर जैसा कि रक्षा मंत्रालय ने प्रस्तावित किया था
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पैनल ने 2018-19 के लिए पूंजीगत बजट के तहत आवंटन रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए अनुमानों से कम कर दिया था जिसपर सरकार को लताड़ा.
(स्नेहेश एलेक्स फिलिप के इनपुट के साथ)