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Thursday, 25 April, 2024
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पहले दीपिका, अब करीना- करणी सेना चीफ और बीजेपी नेता ने ‘लव जिहाद’ पर अब पटौदी परिवार को दी धमकी

पटौदी में ‘लव जिहाद’ और धर्मांतरण पर हुई महापंचायत में सूरज पाल आमू ने कथित रूप से सैफ और करीना को धमकी दी है, और कहा है कि ‘लव जिहाद’ का बीज शर्मीला टैगोर के समय बोया गया था.

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गुरुग्राम/पटौदी: 4 जुलाई को सूरज पाल आमू ने एक महापंचायत में भाषण देते हुए ‘गला काट डालने’ की बात कही, और कथित रूप से एक्टर सैफ अली ख़ान और उनके परिवार को, हरियाणा के पटौदी से ‘लव जिहाद’ की शुरूआत करने के लिए धमकी भी दी.

अगर आमू के नाम से कुछ याद आ रहा है तो इसलिए, कि वो अतीत में भी हिंसक धमकियां देने के लिए सुर्ख़ियों में रह चुका है. बहुत लोग उसे करणी सेना के प्रमुख के रूप में जानते हैं, जिसने 2018 में पदमावत की रिलीज़ पर हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान, दीपिका पादुकोण का सर क़लम करने की आवाज़ उठाई थी.

53 वर्षीय आमू जो संजय लीला भंसाली की फिल्म के विरोध का चेहरा बन गया था, अब खुद को एक समर्पित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कार्यकर्त्ता और ‘हिंदू चिंतक’ बताता है.

उसकी सोच पिछले हफ्ते पटौदी महापंचायत में सामने आई, जो अन्य मुद्दों के अलावा ‘लव जिहाद’ और धर्म-परिवर्तन पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी. 700 लोगों की भीड़ के सामने आमू ने ‘लव जिहाद’ के मामले पर, एक्टर करीना कपूर खान को धमकी दी जिन्होंने सैफ से शादी की हुई है.

महापंचायत के एक वीडियो में जो सोशल मीडिया पर पहुंच गया, उसे कहते हुए सुना जा सकता है, ‘जिन्होंने तैमूर को जन्म दिया वो भी पटौदी से ही हैं. हम जानते है कि सम्मान कैसे दिया जाता है…हम तैमूर की मां (करीना) को कहना चाहते हैं कि बस बहुत हो गया’.

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एक दूसरे वीडियो में उसे कथित रूप से मुसलमानों को, किराए पर संपत्तियां देने का विरोध करते हुए सुना जा सकता है. उसने कहा, ‘मैं इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हूं कि ‘इन लोगों’ को घर किराए पर न दिए जाएं’. उसने कथित रूप से भीड़ को ये प्रस्ताव पास करने के लिए भड़काया, कि ‘इन्हें’ भगा दिया जाए.

इसके नतीजे में एक विवाद खड़ा हो गया, और कई ट्विटर हैण्डल्स से प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्री को टैग करते हुए, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जाने लगी.

लेकिन आमू तनिक भी विचलित नहीं है. वो इन तमाम पोस्टों को महज़ ‘ट्रोलिंग’ कहकर ख़ारिज कर देता है. वो बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव और अब केंद्रीय मंत्री भूपेंदर यादव का क़रीबी होने का भी दावा करता है, जिनके साथ वो पहले काम कर चुका है.

आमू का कहना है, ‘भूपेंदर यादव से मेरी अच्छी दोस्ती है. वो बहुत अच्छे इंसान हैं. जब वो युवा मोर्चा की गुड़गांव इकाई के अध्यक्ष थे, तो मैंने महामंत्री के तौर उनके साथ नज़दीकी से काम काम किया था. हमारी दोस्ती आज भी बनी हुई है’.
दिप्रिंट ने टेक्स्ट के ज़रिए यादव से संपर्क करके, आमू के साथ उनके रिश्ते पर उनसे टिप्पणी लेनी चाही,लेकिन इस ख़बर के छपने तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला था.


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महापंचायत में क्या हुआ

आमू ने सुर्ख़ियों में आने का ताज़ा प्रयास तब किया, जब पटौदी में कुछ हिंदू ‘विचारकों’ और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेताओं ने, ‘हिंदू धर्म रक्षा मंच’ के परचम तले एक महापंचायत का आयोजन किया.

एक दहाड़ती भीड़ के सामने आमू ने कहा, ‘लव जिहाद’ का बीज यहां पटौदी में ही शर्मीला टैगोर के समय में बोया गया था. पटौदी के लोगों, केवल आप ही इसे काट सकते हैं…उनका स्वागत करना बंद कर दीजिए’. उसने आगे कहा, ‘वो मूंछें काटते हैं, लेकिन हम उनके गले काटने में सक्षम हैं’.

कार्यक्रम के एक आयोजक नरेंदर पहाड़िया का कहना है, कि हिंदू लोग ऐसे विचार लेकर आए, कि ‘गांव-स्तर और ज़िला-स्तर पर कमेटियां बनाकर मुसलमानों पर नज़र रखी जाए’. लेकिन उनपर किसी का ध्यान आकर्षित नहीं हो रहा था.
उन्होंने कहा, ‘इसलिए आमू ने तैमूर और सैफ अली खान को निशाना बना लिया. ये काम कर गया’.

उन्होंने कहा, ‘हमने 25 जून को तैयारी शुरू कर दी थी. वीएचपी और मेरे जैसे अन्य हिंदू चिंतकों ने कई व्हाट्सएप ग्रुप्स बना लिए. हमारा एजेंडा था पटौदी में ‘बाज़ार जिहाद’ ‘लव जिहाद’, ‘ज़मीन जिहाद’ और धर्म परिवर्तन का मुक़ाबला करना’.

मानेसर के पुलिस उपायुक्त ने बाद में न्यूज़ एजेंसी एएनआई को स्पष्टीकरण दिया: ‘हमारे पास इस महापंचायत की सूचना थी, और हमने हिंदू और मुस्लिम दोनों समूहों के साथ विश्वास बहाली के उपाय किए थे. मीटिंग के दिन किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस तैनात की गई थी. हम सोशल मीडिया पर भी निगाह रखे हुए थे’.

लेकिन आमू सुर्ख़ियों को लेकर बहुत ख़ुश है, और उसका कहना है कि ऐसी और भी योजनाएं हैं. ‘ये पहली पंचायत नहीं है जिसमें मैं शरीक हुआ हूं, और न ही ये आख़िरी होगी. आने वाले दिनों में हम और महापंचायतें करेंगे’.

कौन है सूरज पाल आमू?

हरियाणा के सोहना ज़िले में जन्मे आमू का कहना है, कि उसने 10 साल की उम्र में ही, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया था. 1987 में उसने रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया, और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हो गया.

आमू का दावा है कि उसने ओपी धनखड़ के साथ काम किया, जो बाद में खट्टर सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए, और बाद में 1990 के दशक के अंत में उसने बीजेपी लीडर, और मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के साथ भी काम किया.
राजनीति में उसके असफल कार्यकाल के बारे में पूछने पर उसने कहा, ‘मैं चापलूसी में नहीं पड़ा. जो ऐसा करते हैं वो सफल रहते हैं’.

लेकिन, 2013 में आमू को हरियाणा बीजेपी प्रवक्ता नियुक्त किया गया. 2014 से 2019 के बीच उसने प्रदेश इकाई के चीफ मीडिया कॉर्डिनेटर का भी काम किया.

आमू का कहना है कि 2019 में वो करणी सेना का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गया था.

2006 में इसकी स्थापना के बाद से, ये जाति-आधारित ग्रुप टूटकर कई समूहों में बंट गया है- जिनमें सबसे प्रमुख है श्री क्षत्रीय राजपूत करणी सेना जिसके मुखिया हैं सुखदेव सिंह गोगामेड़ी.

लेकिन, आमू का कहना है कि वो जाति-आधारित इकाई के विचार में विश्वास नहीं रखता था, इसलिए उसने 2019 में करणी सेना को एक सामाजिक संगठन के तौर पर पंजीकृत करा लिया. अब, उसके संगठन में सभी जातियों के लोग शामिल हैं.

कैसे मिली बदनामी

लेकिन, इस सब से पहले आमू के करियर में एक निर्णायक क्षण आ गया.

2017 के अंत और 2018 के शुरू में, भंसाली की पदमावत के रिलीज़ से पहले, फिल्म में कथित रूप से राजपूतों के अपमानजनक चित्रण के ख़िलाफ, राजस्थान और कुछ अन्य राज्यों में करणी सेना की अगुवाई में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.

कई हफ्ते चले इस हंगामे के दौरान आमू सबसे बड़ी सुर्ख़ियों में तब आया, जब उसने दीपिका पादुकोण का सर क़लम करने वाले के लिए 10 करोड़ रुपए के इनाम का ऐलान कर दिया, जिसने फिल्म में रानी पदमावती का किरदार निभाया था.

उसका कहना है, ‘सच कहूं तो मुझे रानी पदमावती के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन मैंने कुछ विरोध प्रदर्शन देखे, इसलिए मैंने उसके बारे और पढ़ने का फैसला किया. मुझे अटल बिहारी वाजपेयी जी का एक वीडियो देखने को मिला. जब जाकर मेरे अंदर के अस्ली ठाकुर का क्रोध जागा, और मैंने बीजेपी प्रवक्ता का पद छोड़ने का फैसला किया’.

छोड़ने का फैसला उसने तब किया जब उसे एक कारण-बताओ नोटिस जारी किया गया. लेकिन, ये अलगाव ज़्यादा लंबा नहीं चला, और उसकी पार्टी प्रवक्ता के तौर पर वापसी हो गई.

2018 में प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में हिस्सा लेने के लिए, आमू को कुछ रातें भोंडसी जेल में बितानी पड़ीं. पिछले साल एक्टर सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले में हुए प्रदर्शनों के बाद, दिल्ली पुलिस ने भी आमू को हिरासत में लिया था.

करणी सेना चीफ ने गर्व के साथ 2018 की घटनाओं पर बात की. ‘मुझे बीबीसी न्यूज़, अल-जज़ीरा और न्यूयॉर्क टाइम्स ने बुलाया था. मैं हर नेशनल चैनल पर बैठा था. उस समय मैं सबसे व्यस्त व्यक्ति था. लेकिन मैं (न्यूज़ एंकर) रूबिका लियाक़त के शो पर नहीं आया था. उम्मीद है इस बार आ जाउंगा’.


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