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Saturday, 20 April, 2024
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हिंदू वाहिनी, हिंदू समाज, हिंदू सेना – योगी के यूपी में सतर्कता समूह कैसे सक्रिय हो रहे हैं

यूपी में पिछले 5 साल में तमाम ऐसे ही हिंदूवादी संगठन बनकर तैयार हो गए हैं जो ऐसे आए दिन हिंदू-मुस्लिम से संबंधित मुद्दों को उठा रहे हैं और बीजेपी सरकार व संगठन इनके साथ किसी भी तरह के कनेक्शन से इंकार करती रही है.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के एक इलाके मोहम्मद वली में, एक 42 वर्षीय हिंदू महिला ने राज्य के नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत, मोहम्मद सईद, 27 के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की है.

जबकि महिला के पड़ोसियों ने दावा किया कि सईद अकसर आता जाता देखा जाता था. लेकिन जैसे ही दोनों के ‘रिश्तों में कड़वाहट’ आ गई. महिला ने आरोप लगाया कि उसने बंदूक की नोक पर उसके साथ बलात्कार किया और फिर उसे इस्लाम धर्म में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया.

बजरंग दल की मूल संस्था विश्व हिंदू परिषद (VHP) की स्थानीय इकाई ने महिला पुलिस की शिकायत का जोरदार समर्थन किया.

जब से उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन अध्यादेश के 28 नवंबर 2020 को लागू किया गया इसके बाद कई मामले हिंदू संगठनों द्वारा चलाए गए हैं.

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के लखनऊ में धर्म परिवर्तन के शक के आधार पर एक हिंदू-मुस्लिम जोड़े की शादी रुकवा दी गई जबकि दोनों परिवार शादी के लिए राजी थे और किसी भी तरह के धर्म परिवर्तन की बात नहीं की गई थी. शादी रुकवाने का मुख्य कारण इसमें राष्ट्रीय युवा वाहिनी नाम के हिंदूवादी संगठन का पुलिस थाने में ‘लव जिहाद’ को लेकर शिकायत करना था. इस घटना से ये हिंदूवादी संगठन चर्चा में है. इसी तरह शाहजहांपुर, हरदोई व मुरादाबाद में कथित लव जिहाद के मामलों में भी हिंदूवादी संगठन की अहम भूमिका रही.

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यूपी में पिछले 5 साल में तमाम ऐसे ही हिंदूवादी संगठन बनकर तैयार हो गए हैं जो ऐसे आए दिन हिंदू-मुस्लिम से संबंधित मुद्दों को उठा रहे हैं और बीजेपी सरकार व संगठन इनके साथ किसी भी तरह के कनेक्शन से इंकार करती रही है.

बीजेपी सरकार के केंद्र व प्रदेश में आने के बाद इनकी सक्रियता बढ़ी है. ये विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल या आरएसएस से खुद को अलग हटकर बताते हैं. इनके यूपी भर में कई जिलों में कार्यालय हैं, सोशल मीडिया पर इनका प्रोफाइल व पेज हैं जिनके हजारों फॉलोअर्स हैं. आए दिन ये किसी न किसी स्थानीय घटनाओं में चर्चा का विषय रहते हैं.


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 पिछले 5 साल में एक्टिव हुए एक दर्जन से अधिक संगठन सामने आए हैं जिनके बारे में हम आपको बता रहे हैं:

राष्ट्रीय युवा वाहिनी- खुद को बीजेपी का सहयोगी दल बताने वाली राष्ट्रीय युवा वाहिनी हाल ही में लखनऊ में एक हिंदू-मुस्लिम जोड़े की शादी रुकवाने से चर्चा में आया है. लखनऊ में इसका कार्यालय है. इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष केडी शर्मा के मुताबिक 2016 में इस संगठन की शुरुआत हुई. संगठन का मुख्य उद्देश्य गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिलाना और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून लाने के लिए सरकार पर दबाव डालना है.

केडी शर्मा के मुताबिक, 24 प्रदेशों में उनका ये संगठन एक्टिव है. यूपी में लगभग हर जिले में इनका संगठन है. बीजेपी में उनके अच्छे संबंध हैं और वह इसे बीजेपी का सहयोगी संगठन बताते हैं. यूपी सरकार द्वारा लाए गए विधेयक के बाद उन्होंने संगठन के लोगों को हर जगह एक्टिव रहने को बोल दिया है. जहां भी धर्म परिवर्तन होने का संदेह हो वहां प्रशासन को तुरंत शिकायत करने को कहा गया है. इस संगठन के फेसबुक पेज पर योगी आदित्यनाथ के समर्थन पर पोस्ट भी है.

हिंदू समाज पार्टी- इसकी शुरुआत हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी ने की थी जिसकी हत्या अक्टूबर 2019 में लखनऊ में हो गई. कमलेश की हत्या के बाद उनकी पत्नी किरण कमलेश तिवारी को इसका अध्यक्ष बनाया गया. किरण कमलेश के नेतृत्व में पार्टी ने इस बार लखनऊ में एमएलसी ग्रेजुएट सीट पर चुनाव भी लड़ा था.

कमलेश की तरह ही किरण भी हिंदुत्व के मुद्दे पर मुखर रहती हैं. फेसबुक लाइव के जरिए वह लगातार हिंदुत्व की रक्षा करने और हिंदू समाज को एकजुट रहने की अपील करती हैं. हालांकि योगी सरकार में खराब कानून व्यवस्था को लेकर भी ये संगठन कई बार टिप्पणी करता रहता है.

किरण के मुताबिक, हिंदूओं को एकजुट होने की सख्त आवश्यकता है और वे अपने पति कमलेश तिवारी की लड़ाई को लड़ती रहेंगी. वे जिले-जिले जाकर हिंदुओं के मुद्दों को उठाती हैं. फिलहाल फोकस कमलेश की गैर-मौजूदगी में सगंठन को मजबूत करना है.

इस पार्टी के संयोजक गौरव वर्मा के मुताबिक, हमारा लक्ष्य 2022 का चुनाव लड़ना है. हर जिले में हम अपना संगठन खड़ा कर रहे हैं. हाल ही में हमने बिहार में 40 सीटों पर भी चुनाव लड़ा था. हिंदुत्व के मुद्दे को उठाते हुए हम संगठन विस्तार पर फोकस कर रहे हैं.

कमलेश हिंदू महासभा से जुड़े थे. 2017 में उन्होंने भारत समाज पार्टी का गठन किया था. इस पार्टी के लिए राम मंदिर अहम मुद्दा था. फिलहाल ये संगठन भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है. किरण तिवारी खुद भी फेसबुक पर काफी सक्रिय हैं. वह गोडसे के समर्थन से लेकर हिंदुओं के पलायन जैसे मुद्दे उठाती रहती हैं. लखनऊ में इस संगठन का हेड ऑफिस है.


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हिंदू आर्मी- बीती फरवरी के महीने में हुए दिल्ली दंगे के दौरान ये संगठन चर्चा में आया. दरअसल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें खुद को हिंदू आर्मी संगठन का चीफ बताकर लखनऊ के रहने वाले युवक मनीष यादव कह रहे थे कि दिल्ली से अगर 5 मिनट के लिए पुलिस हटा दी जाए तो आप नेता ताहिर हुसैन समेत पूरी दिल्ली को इस्लाम मुक्त कर देंगे. इस वीडियो के बाद मनीष यादव पर लखनऊ में एफआईआर दर्ज हो हई.

फिलहाल मनीष का संगठन मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन को लेकर सक्रिय है. बीते दिनों मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि आंदोलन शुरू करने से पहले ही हिंदू आर्मी चीफ मनीष समेत 22 लोगों को रविवार रात गिरफ्तार कर लिया गया. लखनऊ से मथुरा पहुंचे पदाधिकारियों ने आंदोलन की सूचना पुलिस तथा प्रशासन को दी थी. दि प्रिंट से बातचीत में मनीष ने बताया कि वह इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते रहेंगे. उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में याचिका भी डाली है.

इस संगठन का हेडक्वाॅर्टर लखनऊ में है .मनीष 2011 से 2017 के बीच सपा में रहे. 2017 में उन्होंने पार्टी छोड़कर 2018 में अपना अलग संगठन बना लिया. इसकी वेबसाइट (www.hinduarmy.in) के जरिए मेंबरशिप ली जाती है. ये संगठन अयोध्या के बाद अब काशी, मथुरा को लेकर अपने विचार रखता रहा है. मनीष ने अपने फेसबुक पेज पर ‘अयोध्या हुई हमारी, अब मथुरा की बारी ‘ स्लोगन के साथ फोटो पोस्ट की है. हिंदुओं का उद्धार कैसे होगा इस पर वे अक्सर पोस्ट किया करते हैं.

हिंदू युवा वाहिनी (भारत)– सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ का संगठन हिंदू युवा वाहिनी की सक्रियता बेहद कम हो हई जिसके बाद संगठन भी बंट गया. प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह ने 2018 में अलग होकर हिंदू युवा वाहिनी (भारत) नाम से संगठन बना लिया. सुनील सिंह बीते दिनों समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए जिसके बाद इस संगठन को अनुभव शुक्ला संभाल रहे हैं. अनुभव पहले योगी के संगठन हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े रहे हैं.

दिप्रिंट से बातचीत में अनुभव ने बताया, ‘ये संगठन हिंदुत्व के अपने पुराने एजेंडे पर ही काम कर रहा है. पूरे प्रदेश भर में इसके कार्यालय व कार्यकर्ता हैं. दूसरे प्रदेशों में भी संगठन को बढ़ाया जा रहा है. ‘लव जिहाद’, ‘घर वापसी’ जैसे मुद्दों को लेकर संगठन सक्रिय है और हर हिंदू परिवार की पीड़ा को उठाने का प्रयास करता है.’

विश्व हिंदू दल- पिछले साल लखनऊ में ड्राई फ्रूट्स बेच रहे दो कश्मीरियों की पिटाई के मामले से ये संगठन चर्चा में आया. बताया गया कि इस संगठन के लोग उन लोगों की पिटाई में शामिल थे. संगठन के पदाधिकारी अंबुज निगम की इस मामले में गिरफ्तारी भी हुई. ये संगठन लखनऊ व उसके आसपास के जिलों में एक्टिव है. सोशल मीडिया पर भी ये दल एक्टिव है.

इन संगठनों के अलावा यूपी में हिंदू रक्षक दल, हिंदू सेना, समेत तमाम अन्य ऐसे संगठन भी एक्टिव हैं जिनकी पिछले 5 साल में सक्रियता तेजी से बढ़ी है.

क्या रहता है काम का तरीका

राष्ट्रीय युवा वाहिनी के अध्यक्ष केडी शर्मा के मुताबिक, हर जिले में हमारे दर्जनों वर्कर्स हैं जो हमें हर दिन अपडेट देते रहते हैं. हमें कहीं भी लव जिहाद या धर्म परिवर्तन से जुड़ी सूचना मिलती है तो हम अपने वॉलंटियर्स को भेजते हैं. हमारा सूत्र आस-पास रहने वाले लोग ही होते हैं. लखनऊ में जो शादी रोकी गई वो मेरे घर के पास का ही मामला है. मुझे लोगों ने बताया कि ऐसा-ऐसा होने वाला है. फिर हमारे एक पदाधिकारी ने पुलिस को इसके बारे में सूचना दी. वहीं हिंदू-युवा वाहिनी (भारत) के अनुभव शुक्ला के मुताबिक, धर्म के बारे में जागरुकता बेहद जरूरी है.

हमारा लक्ष्य है कि हिंदू समाज जागरुक रहे. जागरुकता से संबंधित तमाम ट्रेनिंग प्रोग्राम भी हम लोग आयोजित करते हैं. हमारा किसी पॉलिटिकल पार्टी से लेना देना नहीं है लेकिन हिंदुत्व के एजेंडे पर हम काम करते रहेंगे.

सोशल मीडिया पर सक्रियता

इनमें से अधिकतर संगठनों के काम करने के तरीके में सोशल मीडिया का अहम रोल है. सोशल मीडिया पर इनके तमाम एकाउंट्स हैं जिनमें हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने को लेकर पोस्ट रहते हैं. इन पेजों से सीएम योगी आदित्यनाथ, पीएम मोदी को जन्मदिन की बधाई, प्रवीण तोगड़िया व बाल ठाकरे की पुण्यतिथि समेत ऐसे तमाम पोस्ट रहते हैं. वहीं लेफ्ट व कांग्रेस को लेकर तमाम तरह के तंज व मुस्लिम कट्टरपंथ के खिलाफ टिप्पणियां रहती हैं.

विपक्ष के आरोप, बीजेपी ने किया किनारा

समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह के मुताबिक, बीजेपी का हमेशा से ऐसे संगठनों को पीछे से सपोर्ट रहा है. लव जिहाद तो आज का चर्चित शब्द है. इससे पहले मॉब लिंचिंग समते तमाम ऐसे मुद्दा रहे जिनमें इस तरह के संगठन एक्टिव होते रहे हैं लेकिन इस सरकार के कार्यकाल में ज्यादा चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि इन्हें सरकार का सरंक्षण प्राप्त हैं.

यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी के मुताबिक, ‘जिस तरह ‘लव जिहाद’ से संबंधित मामलों पर ये संगठन एक्टिव है उससे तो यही लगता है कि इन्हें सत्ता का सहयोग मिला हुआ है. 2014 से पहले ऐसे संगठन कम ही चर्चा में रहते थे. अब तो आए दिन किसी न किसी खबर में इनका जिक्र रहता है. बिना सत्ता के संरक्षण के ये कैसे संभव है.

यूपी बीजेपी के प्रवक्ता हीरो वाजपेयी का कहना है कि इनमें से कोई भी संगठन बीजेपी का सहयोगी संगठन या फ्रंटल संगठन नहीं है. कोई खुद को बीजेपी सपोर्टर बताए या पार्टी की विचारधारा से प्रेरित हो तो इसमें कोई क्या कर सकता है लेकिन आधिकारिक तौर पर इनका बीजेपी से कोई लेना देना नहीं है. इनसे बीजेपी या आरएसएस का नाम जोड़ना गलत है.

बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक व आरएसएस से लंबे समय से जुड़े प्रकाश शर्मा का कहना है कि राष्ट्रीय हिंदू समाज 100 करोड़ से ज्यादा का है. ऐसे में जरूरी नहीं कि हर कोई बीजेपी या संघ से जुड़ा हो. तमाम शहरों में कई संगठन हैं जो हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर काम कर रहे हैं इसमें कुछ गलत नहीं है लेकिन कानून का पालन करते हुए ही सबको काम करना चाहिए. गली-गली संगठन खुलना कोई गलत बात नहीं लेकिन कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए सबको अपने उद्देश्य पर काम करना चाहिए. मुझे नहीं लगता इसमें कुछ गलत है.


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