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Sunday, 22 December, 2024
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करतारपुर कॉरिडोर पर मिले भारत-पाक, जानें- क्या ये द्विपक्षीय बातचीत की शुरुआत है

दीपक मित्तल ने ये भी कहा कि भारत नहीं चाहता कि ऐसा कुछ भी हो जो कि तीर्थ यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की भावनाओं के ख़िलाफ़ हो.

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नई दिल्ली: पठानकोट के बाद भारत पाकिस्तान रिश्तों के सामान्य होने से जुड़ा संभवत: ये सबसे बड़ा कदम है. भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर एक बैठक हुई. इस दौरान भारत ने प्रोजेक्ट पर पहले फेज़ में हर दिन कम के कम 5000 तीर्थयात्रियों को दर्शन की इजाज़त दिए जाने की बात कही है. वहीं, विदेश मंत्रालय के सह सचिव दीपक मित्तल ने कहा कि ये किसी भी तरह से भारत-पाक के बीच द्विपक्षीय बातचीत की शुरुआत नहीं है.

इस सिलसिले में गृह मंत्रालय के सह सचिव एससीएल दास ने कहा, ‘हमने फेज़ 1 में कम से कम 5000 तीर्थयात्रियों को हर रोज़ दर्शन की अनुमति दिए जाने की दरकार पर ज़ोर दिया है.’ उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ भारतीय नागरिक ही नहीं बल्कि भारतीय मूल के लोग भी होंगे. वहीं, विदेश मंत्रालय के सह सचिव मित्तल ने कहा कि भारत ने पाक के सामने अपनी मंशा साफ कर दी है. भारत नहीं चाहता कि तीर्थयात्रियों की यात्रा में ख़लल डालने वाले किसी तरह के तत्व को कोई शह दी जाए.

दीपक मित्तल ने ये भी कहा कि भारत नहीं चाहता कि ऐसा कुछ भी हो जो कि तीर्थयात्रा पर जाने वाले यात्रियों की भावनाओं के ख़िलाफ़ हो. वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि ये दोनों देशों के बीच किसी तरह की द्विपक्षीय बातचीत की कोई शुरुआत नहीं है. बातचीत पर हमारा विकल्प साफ है. आज दोनों देशों के बीच जो मुलाकात हुई उसका मुद्दा सिर्फ करतारपुर कॉरिडोर था. इसका उद्देश्य ये है कि तीर्थयात्रियों को करतारपुर कॉरिडोर तक आसानी से पहुंच मिल सके.

दास ने आगे कहा कि उन्होंने लोगों की इस संख्या को अनुमति दिए जाने पर बल दिया है. दास का कहना है कि पूरे साल हर दिन लोग बिना किसी रुकावट के दर्शन के लिए आते रहेंगे. वहीं, ये भी कहा गया कि गुरुपर्ब और बैसाखी पर 10,000 तक लोगों के जत्थे को अनुमति देने के विशेष प्रबंध करने की भी मांग की गई है.

करतारपुर पर अब तक क्या हुआ

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल नवंबर में इस साल होने वाले गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के अवसर पर करतारपुर कॉरिडोर विकसित करने का निर्णय लिया था. पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा तक श्रद्धालुओं को जाने में सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से इस कॉरिडोर का निर्माण पंजाब में गुरुदासपुर से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक किया जाएगा. सरकार ने कहा था, ‘सरकार गुरुनानक के शुरुआती जीवन से जुड़े पंजाब के सुल्तानपुर लोधी को एक धरोहर शहर के रूप में विकसित करेगी, जिसमें स्मार्ट शहरों के सारे सिद्धांतों का पालन किया जाएगा.’

उन्होंने कहा था, ‘सिख गुरु की जिंदगी से जुड़े पवित्र स्थानों और गुरुद्वारों के लिए विशेष ट्रेन भी चलाई जाएगी. सरकार पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर कॉरिडोर बना रही है, ताकि भारतीय श्रद्धालुओं को पाकिस्तान में रावी नदी के किनारे स्थित पवित्र गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर तक जाने में मदद पहुंचाई जा सके. गुरुनानक देव जी ने यहां 18 वर्ष बिताया था.’ कई श्रद्धालु अंतरराष्ट्रीय सीमा पर उस जगह पर जाते हैं, जहां से करतारपुर में गुरुद्वारा दिखता है.

सरकार ने बॉर्डर टर्मिनल पर सभी अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ विशेष कॉरिडोर बनाने का निर्णय लिया है और जिन्हें सीमा पार करने की इजाजत होगी, उनके लिए यहां वीजा और कस्टम सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी. श्रद्धालु उसके बाद पूरे वर्ष पवित्र तीर्थस्थल जा सकेंगे. भारत ने पाकिस्तान से उसके तरफ के कॉरिडोर को समुचित व्यवस्था के साथ पूरा करने का आग्रह किया है.

करतारपुर साहिब वह जगह है, जहां 1539 में गुरु नानक जी के निधन के बाद पवित्र गुरुद्वारे का निर्माण कराया गया था. इससे पहले पिछले साल नवंबर में ही पाकिस्तान ने गुरुनानक की 549वीं जयंती के अवसर पर 3800 सिख श्रद्धालुओं को वीजा जारी किया था. भारत और पाकिस्तान ने तीर्थस्थलों के दौरे के लिए द्विपक्षीय प्रोटोकोल पर 1974 में हस्ताक्षर किया था.

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