उत्तरकाशी, 25 फरवरी (भाषा) जैविक खाद्य उत्पादकों और विपणन एजेंसियों के परिसंघ ने मंगलवार को उत्तराखंड से जैविक उत्पादों के निर्यात में 66 प्रतिशत की भारी गिरावट पर चिंता व्यक्त की।
परिसंघ के अध्यक्ष डी एस रावत ने उधमसिंह नगर जिले के पंतनगर में सतत जैविक निर्यात के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘उत्तराखंड में जैविक उत्पादों का निर्यात 2022-23 में 11.6 करोड़ रुपये था जो 2023-24 में 4.2 करोड़ रुपये रह गया। इस प्रकार इसमें 66 प्रतिशत की भारी कमी दर्ज की गई।’’
उन्होंने कहा कि 2022-23 में यह निर्यात 285 टन था, जो 2023-24 में गिरकर 97 टन हो गया।
इस कार्यक्रम में 100 से अधिक किसान शामिल हुए।
रावत ने कहा कि निर्यात में गिरावट का कारण मुख्य रूप से राज्य सरकार द्वारा ‘‘उत्तराखंड ऑर्गेनिक’’ की घोषित नीति को लागू न कर पाने और आजीविका की तलाश में लोगों का लगातार पलायन है क्योंकि उन्हें कृषि आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं लगती है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब तक राज्य सरकार किसानों को प्रोत्साहन नहीं देती, मंडियां स्थापित नहीं करती, जैविक खेती के सभी पहलुओं पर किसानों को प्रशिक्षण नहीं देती, तब तक स्थिति चिंताजनक बनी रहेगी और कुछ अवधि के बाद…खेत भी खेती के लायक नहीं रह जाएंगे।’’
परिसंघ के अध्यक्ष ने कहा कि दुनिया भर में विकासशील और विकसित देशों में जैविक खाद्य का बाजार बढ़ रहा है, लेकिन भारी संभावनाओं के बावजूद उत्तराखंड में जैविक खाद्य उत्पादन नगण्य होता जा रहा है।
इस कार्यक्रम का आयोजन कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सहयोग से किया गया था। विश्वविद्यालय और परिसंघ ने राज्य में किसानों को जैविक खेती तकनीक प्रदान करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए।
रावत ने कहा कि एपीडा को राज्य के दूरदराज के हिस्सों में प्रशिक्षण कार्यक्रम और नियमित आधार पर क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित करने में मदद करनी चाहिए।
उन्होंने राज्य सरकार से पलायन को हतोत्साहित करने के लिए जैविक खेती को प्राथमिकता देने और खेती को लाभदायक बनाकर पलायन करने वाले लोगों को उस ओर आकर्षित करने का भी आग्रह किया।
भाषा दीप्ति आशीष
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