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Monday, 6 May, 2024
होमदेश'जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद- 370 हटाने का फैसला सही', SC ने कहा- राष्ट्रपति के पास है खत्म करने का अधिकार

‘जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद- 370 हटाने का फैसला सही’, SC ने कहा- राष्ट्रपति के पास है खत्म करने का अधिकार

अनुच्छेद 370 पर फैसला सुनाते हुए CJI चंद्रचूड़ ने कहा- केंद्र के फैसले पर सवाल खड़ा करना उचित नहीं. राष्ट्रपति के पास धारा-370 खत्म करने का अधिकार.राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण यह एक अस्थायी उद्देश्य के लिए था.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद- 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा है.

अनुच्छेद-370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, “केंद्र के फैसले पर सवाल खड़ा करना उचित नहीं. राष्ट्रपति के पास धारा-370 खत्म करने का अधिकार. ”

यही नहीं चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बरकरार रखा जाएगा.”

कोर्ट ने साफ कहा, “लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर बरकरार रहेगा.”

कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वो जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तैयारी करें ताकि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिल सके.

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सीजेआई ने कहा कि “हमने माना है कि संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू-कश्मीर में 370(1)(डी) पर लागू किया जा सकता है और गैर-प्रयोग का दावा नहीं किया जा सकता है.”

सुप्रीम कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि “जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. धारा-370 अस्थायी प्रावधान था.”

राष्ट्रपति को है अधिकार

सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एकीकरण की क्रमिक प्रक्रिया जारी थी और इस प्रकार हमें नहीं लगता कि राष्ट्रपति की शक्ति का उपयोग दुर्भावनापूर्ण थी. इस प्रकार हमारे पास अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति शक्ति है जो वैध थी.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर फैसला सुनाते हुए ये बातें कहीं.

सुप्रीम कोर्ट इस बात पर फैसला सुना रही थी कि क्या अनुच्छेद 370 बुनियादी ढांचे का हिस्सा है और संसद की संशोधन शक्तियों से परे है.

आर्टिकल 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के लिए पांच अगस्त 2019 के केंद्र के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को तीन अलग फैसले सुनाया.

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ तीन अलग-अलग, परंतु सर्वसम्मत फैसले सुनाने के लिए सुबह 10 बजकर 56 मिनट पर बैठी.

16 दिन की लगातार सुनवाई के बाद आया फैसला

पीठ ने 16 दिन तक लगातार सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाए जाने के अहम दिन को देखते हुए जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

बता दें कि अपना फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने यह भी कहा कि यदि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है तो हमारा मानना है कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है. इसे एक अंतरिम प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संक्रमणकालीन उद्देश्य की पूर्ति के लिए पेश किया गया था. राज्य मे युद्ध की स्थिति के कारण यह एक अस्थायी उद्देश्य के लिए था.

सीजेआई ने कहा कि इस मुद्दे पर तीन फैसले हैं. सीजेआई ने अपनी न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसले लिखे हैं, जबकि न्यायूमर्ति कौल एवं न्यायमूर्ति खन्ना ने अलग-अलग फैसले लिखे हैं.

न्यायालय ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद पांच सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था.

सीजेआई ने अपना फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि हमारा मानना है अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति शक्ति पर इसका प्रभाव पड़ेगा. प्रत्येक भारतीय राज्य के एक शासक को भारत के संविधान को अपनाने की उद्घोषणा जारी करनी होती थी.

सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण यह एक अस्थायी उद्देश्य के लिए था. इससे यह भी पता चलता है कि यह एक अस्थायी प्रावधान है और इस प्रकार इसे संविधान के भाग 21 में रखा गया है.


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