नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल सरकार से कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या को दूर करने और इसे पशु अधिकारों के साथ संतुलित के साथ समाधान खोजा जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने सुझाव दिया कि गली के कुत्तों को खिलाने वाले को टीकाकरण के लिए जिम्मेदार बनाएं और अगर किसी पर जानवर ने हमला किया है तो उसकी लागत उनसे वहन करें.
उन्होंने आवारा कुत्तों को ट्रैक करने के लिए चिप्स लगाने का सुझाव दिया. जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘हममें से ज्यादातर कुत्तों से प्यार करने वाले. मैं भी कुत्तों को खिलाता हूं… कोई तर्कसंगत रास्ता निकालना होगा. मैं कुत्तों को टहलाता भी हूं. कुछ क्रूर होते हैं. उन्हें अलग करना पड़ता है.’
केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता वी गिरि ने तर्क दिया कि स्थिति बहुत गंभीर है और उन्होंने नगरपालिका और पंचायत कानूनों के अनुसार खतरनाक कुत्तों को खत्म करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है.
शीर्ष अदालत भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केरल उच्च न्यायालय के 2006 के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों को आवारा कुत्तों को मारने का अधिकार दिया गया था.
2015 में केरल सरकार द्वारा लोगों पर कुत्तों के हमले के बाद आवारा कुत्तों को खत्म करने का फैसला करने के बाद शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई थी.
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