कोलकाता, 21 नवंबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्कूल स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) 2025 के अभ्यर्थियों को पूर्व-शिक्षण अनुभव के आधार पर अंक दिए जाने के मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर तभी विचार किया जा सकता है, जब शीर्ष अदालत इस बारे में निर्णय ले ले कि संबंधित अभ्यर्थियों को ऐसे अंक दिए जा सकते हैं या नहीं।
न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की पीठ ने बृहस्पतिवार को यह आदेश तब पारित किया, जब संबंधित पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने अदालत को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अभ्यर्थियों को शिक्षण अनुभव के आधार पर अंक दिए जाने के मुद्दे पर सुनवाई के लिए 24 और 26 नवंबर की तारीख तय की है।
पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ‘अनुभव’ के लिए निर्धारित 10 अंक आवंटित किए जाने के चरण से जुड़े फैसले को चुनौती दी गई थी। इसमें दलील दी गई थी कि अनुभव के आधार पर दिए जाने वाले अंक अंतिम मेरिट सूची के संकलन के दौरान जोड़े जाने चाहिए, न कि साक्षात्कार के लिए उम्मीदवारों की सूची बनाने से पहले।
पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) ने दलील दी कि साक्षात्कार के लिए पात्र अभ्यर्थियों की सूची तैयार करते समय उक्त अंकों को शामिल किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने स्कूल भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आधार पर 2016 की संपूर्ण शिक्षक नियुक्ति को रद्द कर दिया था, जिसके बाद राज्य एसएससी ने सितंबर 2025 में एसएलएसटी-2 परीक्षा आयोजित की थी।
सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 11-12 में भर्ती के लिए आयोजित लिखित परीक्षा के नतीजों की घोषणा और सफल अभ्यर्थियों की साक्षात्कार सूची के प्रकाशन के बाद नये उम्मीदवारों ने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया था।
नये अभ्यर्थियों का आरोप है कि एसएससी का नौकरी से बाहर हो चुके बेदाग उम्मीदवारों को ‘अनुभव अंक’ देना ‘अनुचित’ है और इससे अगले चरण में चुने जाने की उनकी (नये अभ्यर्थियों की) संभावनाएं प्रभावित होंगी।
भाषा पारुल नरेश
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