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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशमंदिरों और मस्जिदों ने धीमी की लाउडस्पीकर की आवाज, हाथों में डेसिबल मीटर लिए जांच कर रही UP पुलिस

मंदिरों और मस्जिदों ने धीमी की लाउडस्पीकर की आवाज, हाथों में डेसिबल मीटर लिए जांच कर रही UP पुलिस

पिछले सोमवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया था कि लाउडस्पीकर से दूसरों को असुविधा न हो. पुलिस अब धार्मिक स्थलों पर इसका अनुपालन सुनिश्चित करवा रही है.

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लखनऊ: गोरखनाथ मठ और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर द्वारा आगे बढ़कर पेश किये गए उदहारण के साथ ही समूचे उत्तर प्रदेश के मंदिर और मस्जिद या तो लाउडस्पीकरों को हटा रहे हैं या फिर राज्य पुलिस द्वारा सख्ती से लागू किये जा रहे नियमों के तहत यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि डेसिबल लेवल (शोर का स्तर) को निचली सीमा पर बनाये रखा जाए.

यह सारा घटनाक्रम यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक के एक हफ्ते बाद सामने आया है. इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा था कि लाउडस्पीकर से दूसरों को असुविधा नहीं होनी चाहिए और इसके बाद राज्य के गृह विभाग ने इस आशय के निर्देश जारी किए थे.

इस मसले पर दिप्रिंट से बात करते हुए एडीजी (कानून और व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा कि गृह विभाग द्वारा शनिवार को एक आदेश जारी किया गया है जिसमें यह सुनिश्चित करवाने का निर्देश दिया गया है कि सभी धार्मिक स्थल लो डेसिबल स्तर बनाए रखें. उन्होंने कहा, ‘एक समिति इसकी निगरानी कर रही है.’

इन आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के मकसद से यूपी पुलिस प्रयागराज, मेरठ, कानपुर, वाराणसी आदि जिलों सहित राज्य भर के मंदिरों और मस्जिदों के धार्मिक नेताओं और प्रशासनिक प्रमुखों के साथ बैठकें करने में व्यस्त है.

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा था कि हालांकि हर कोई अपनी-अपनी विचारधारा के अनुसार धार्मिक परंपराओं का पालन करने के लिए स्वतंत्र है और माइक्रोफोन का इस्तेमाल जहां भी किया जाना है, वहां यह पूर्व अनुमति के साथ किया जा सकता है. लेकिन, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि माइक के वॉल्यूम (आवाज) को परिसर से बाहर नहीं आना चाहिए.


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हाथों में डेसिबल मीटर ले सर्वे कर रही है पुलिस

इस बीच यूपी सरकार ने सभी जिला पुलिस प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उसके अधिकारी धार्मिक स्थलों के बाहर डेसिबल स्तर की जांच करें और जो लाउडस्पीकर अनाधिकृत तरीके से लगाए गए हैं, उन्हें धार्मिक नेताओं के साथ संवाद और समन्वय के बाद हटा दिया जाए.

शनिवार को जारी किये गए सर्कुलर में पुलिस को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है कि धार्मिक नेताओं के साथ संवाद और समन्वय स्थापित करने के बाद ही धार्मिक स्थलों के परिसरों में लगाए गए अवैध लाउडस्पीकरों को हटाया जाएगा.

इसमें कहा गया है, ‘आगे यह निर्देश दिया जाता है कि ऐसे धार्मिक स्थलों की एक सूची तैयार की जाए जहां उक्त नियमों और आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है. इसका एक साप्ताहिक तौर पर विश्लेषण किया जाना चाहिए और पहली रिपोर्ट सरकार के साथ संभाग (डिविजनल) स्तर पर संभागीय आयुक्तों (डिविजनल कमिश्नर्स) और पुलिस आयुक्तों द्वारा आयुक्त स्तर पर साझा की जाएगी.’

इसके तुरंत बाद, पुलिस अधिकारियों ने हाथ में डेसिबल मीटर लेकर धार्मिक स्थलों का दौरा करना शुरू कर दिया और मंदिरों और मस्जिदों के बाहर चक्कर लगाने के साथ-साथ इन स्थलों के आसपास के क्षेत्रों में ध्वनि स्तर (शोर का स्तर) की जांच भी की.

रविवार को कुछ जिलों से ऐसे ही दृश्य सामने आए. गौतम बुद्ध नगर में पुलिस अधिकारियों को शोर का स्तर नापते देखा जा सकता है.

जिन जिलों में यूपी पुलिस के पास अधिक संसाधन हैं, वहां के अधिकारियों के पास डेसिबल मीटर होते हैं, जिनका उपयोग वे विभिन्न ‘जोनों’ में ध्वनि के स्तरों की जांच के लिए करते हैं. यह जांच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार की जाती है जिसने विभिन्न क्षेत्रों के लिए अलग-अलग अनुमेय सीमा (पेर्मिस्सिबल लिमिट्स) निर्धारित की हुई है.

गौतमबुद्ध नगर के डीसीपी (यातायात) गणेश साहा, जो नोएडा-ग्रेटर नोएडा में इन निर्देशों के कार्यान्वयन के लिए नोडल अधिकारी हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि उनके तहत चार क्षेत्र हैं- औद्योगिक क्षेत्र, वाणिज्यिक क्षेत्र, आवासीय क्षेत्र और मौन क्षेत्र (साइलेंस जोन).

उन्होंने कहा, ‘दिन और रात के दौरान अनुमति प्राप्त डेसिबल का स्तर अलग-अलग होता है. विभिन्न क्षेत्रों की पहचान सार्वजनिक स्थान के परिसर के ठीक बाहर के क्षेत्र के रूप में की जाती है.’

यातायात पुलिस के अधिकारियों ने जानकारी दी कि किसी औद्योगिक क्षेत्र में अनुमति प्राप्त डेसिबल का स्तर दिन में 75 dBA और रात में 70 dBA होता है, वाणिज्यिक क्षेत्र में, ये स्तर दिन में 65 dBA और रात में 55 dBA हैं. इसी तरह आवासीय क्षेत्र में, दिन में 55 डीबीए और रात में 45 डीबीए और साइलेंस जोन में, दिन में 50 dBA और रात में 40 dBA की अनुमति है.


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मंदिर हैं आदेशपालन में आगे, मस्जिदें भी अनुपालन सुनिश्चित कर रही हैं

योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए निर्देश के तुरंत बाद श्रीकृष्ण जन्मस्थान के शिखर पर लगे लाउडस्पीकर शांत हो गए, वहीं गोरखनाथ मंदिर के परिसर में स्थित सड़कों, इलाकों और स्थल के पास लगे लाउडस्पीकरों को सार्वजनिक स्थानों से दूसरी तरफ कर दिया गया. बता दें कि गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य पुजारी स्वयं यूपी के मुख्यमंत्री हैं.

मथुरा के शाही ईदगाह ने भी एक लाउडस्पीकर को हटा दिया और मस्जिद के दरवाजे पर लगाए गए दो अन्य लाउडस्पीकरों के आवाज के स्तर को कम कर दिया.

लखनऊ, जहां लगभग 1,500 सुन्नी और शिया मस्जिदें हैं, के इस्लामिक मौलवियों ने कहा कि उन्होंने इस सरकारी आदेश को स्वीकार कर लिया है और शहर की लगभग 60 प्रतिशत मस्जिदों ने पहले ही लाउडस्पीकर की आवाज़ को इस तरह सीमित कर दिया है कि वह परिसर से बाहर न जा सके.

मरकज़ी शिया चंद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने दिप्रिंट को बताया कि उनके समुदाय ने सरकार के इस निर्देश का समर्थन किया है क्योंकि यह सभी धर्मों के लिए है और आवाज़ को ‘जीरो प्लस’ स्तर पर रखा जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘60 प्रतिशत मस्जिदों द्वारा इन आदेशों का पालन किया जा रहा है. जो लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं वे लापरवाही वश ऐसा कर रहे हैं.’

जौनपुर में स्थानीय लोगों और पुलिस ने सरकारी आदेश के अनुपालन के तहत अब तक करीब एक दर्जन मंदिरों और मस्जिदों के ऊपर लगे लाउडस्पीकरों को हटवा दिया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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