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Friday, 15 November, 2024
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दिल्ली में कोविड से होने वाली मौत चरम पर आ चुकी है, बताने के लिए प्रवृत्ति देखने की जरूरत: विशेषज्ञ

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(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) एक सप्ताह पहले कोविड के मामलों में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज करने के बाद दिल्ली में इनकी संख्या में कमी आई है, किंतु चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार मृतक संख्या अपने चरम पर पहुंच गई है या नहीं, यह बताने के लिए अगले कुछ दिनों तक इस संक्रमण से होने वाली मौत की प्रवृत्ति को देखने की जरूरत है।

राज्य और निजी तौर पर संचालित प्रमुख कोविड देखभाल केंद्रों के वरिष्ठ चिकित्सकों ने इस बात पर जोर दिया है कि मृत्यु के मामलों में चरम (अधिकतम संख्या) आम तौर पर दैनिक मामलों के चरम पर पहुंचने के एक या दो सप्ताह के बाद आती है।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बृहस्पतिवार को कहा था कि ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय राजधानी में तीसरी कोविड लहर का चरम गुजर चुका है, हालांकि उन्होंने आगाह किया कि शहर अब भी खतरे के दायरे से बाहर नहीं है।

दिल्ली ने हाल में 13 जनवरी को एक दिन में 28,000 से अधिक मामलों के साथ दैनिक मामलों में रिकॉर्ड वृद्धि देखी, और संक्रमण दर भी 14 जनवरी को 30 प्रतिशत से अधिक हो गई थी।

पिछले कुछ दिनों में दैनिक मामलों की संख्या में कमी आई है और शहर में बृहस्पतिवार को 12,306 मामले दर्ज किए गए और उस दिन 43 मरीजों की मौत भी हुई जो 10 जून के बाद सबसे अधिक है।

विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि यह एक सामान्य महामारी विज्ञान की प्रवृत्ति है और मृत्यु की संख्या चरम पर आम तौर पर दैनिक मामलों की अधिकतम संख्या आने के 7-14 दिनों के बाद देखी जाती है क्योंकि संक्रमित पाए जाने पर रोगियों की स्थिति बाद में बिगड़ जाती है।

दिल्ली सरकार द्वारा संचालित यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा, “पिछली लहरों की तुलना में इस लहर में अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है। लेकिन कई रोगी जो संक्रमित पाए जाने के बाद भर्ती हुआ है, आम तौर पर अगले एक या दो सप्ताह में उसकी स्थिति बिगड़ने के बाद मर जाता है, और इसलिए मामलों की तुलना में मृत्यु दर बाद में चरम पर होगी।”

डॉक्टर ने कहा कि इस लहर में, बड़े पैमाने पर कोरोनोवायरस के ओमीक्रोन स्वरूप का संक्रमण हो रहा है, ऐसे में भले ही परिवार का एक सदस्य संक्रमित हो रहा हो, लगभग पूरा परिवार ही उसकी चपेट में आ जा रहा है।

वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि इसके कारण हर कोई जल्दी से पृथकवास में जा रहा है और साथ-साथ ठीक हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए “तेजी से मामलों के बढ़ने के बाद तेजी से उनमें गिरावट भी आएगी।”

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में अब तक करीब 400 मरीजों की जान इस महामारी से शहर में जा चुकी है।

यहां अपोलो अस्पताल में सीनियर परामर्शदाता डॉ. सुरनजीत चटर्जी ने कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगा कि मौत के दैनिक मामलों की संख्या चरम पर पहुंच चुकी है।

उन्होंने कहा, “एक हफ्ते पहले उस रिकॉर्ड वृद्धि के बाद, जिसे चरम के रूप में देखा जा रहा है, मामलों में कमी आई है। यहां तक कि पिछले कुछ दिनों में रोगियों से चिकित्सा परामर्श के लिए मुझे आने वाली कॉल की संख्या में भी काफी कमी आई है, जो दर्शाता है कि स्थिति में सुधार हो रहा है।”

चटर्जी ने कहा, “अब हालांकि अधिक मौत हो रही हैं, क्योंकि मृत्यु के मामले एक या दो सप्ताह बाद चरम पर हैं।”

उन्होंने तर्क दिया कि नए दिशानिर्देशों के अनुसार, परीक्षणों की संख्या कम कर दी गई है, और मामलों की संख्या हालांकि कम हो रही है, इस प्रवृत्ति पर नजर रखने की जरूरत है।

चटर्जी ने कहा, “हमें दैनिक मृत्यु की प्रवृत्ति पर नजर रखने और यह देखने की जरूरत है कि आंकड़े किधर जा रहे हैं, तभी कोई आकलन किया जा सकता है कि क्या मौत का मामला चरम पर है या हम इसे पार कर चुके हैं।”

यहां फोर्टिस अस्पताल में श्वसन रोग विभाग में सलाहकार डॉ. ऋचा सरीन ने चटर्जी के विचार से सहमति जताते हुए कहा, किसी भी निष्कर्ष पर आने से पहले कि यह चरम पर है या नहीं, अगले कुछ दिनों में मौत के मामलों की संख्या का आकलन करना होगा।

उन्होंने कहा, “मैं जनवरी 2022 के आंकड़ों की तुलना मई 2021 के आंकड़ों से कर रही थी और मामलों की संख्या और संक्रमण दर के मामले में स्थिति लगभग समान है, लेकिन मौतों की संख्या बहुत कम है।”

भाषा

प्रशांत माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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