scorecardresearch
मंगलवार, 13 मई, 2025
होमदेशदरगाह विध्वंस विवाद: उच्चतम न्यायालय ने अवमानना ​​याचिका पर उत्तराखंड से जवाब मांगा

दरगाह विध्वंस विवाद: उच्चतम न्यायालय ने अवमानना ​​याचिका पर उत्तराखंड से जवाब मांगा

Text Size:

नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड में एक पंजीकृत वक्फ संपत्ति को ध्वस्त करने के मामले में एक अवमानना याचिका पर राज्य के अधिकारियों से मंगलवार को जवाब तलब किया।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने के मामले में केंद्र द्वारा 17 अप्रैल को शीर्ष अदालत के समक्ष दिए गए आश्वासन के बावजूद देहरादून में एक दरगाह को 25-26 अप्रैल की मध्यरात्रि में बिना किसी नोटिस के ध्वस्त कर दिया गया।

शीर्ष अदालत के 17 अप्रैल के आदेश में कहा गया है, ‘‘अगली सुनवाई की तारीख तक, ‘उपयोग के द्वारा वक्फ’ सहित कोई भी वक्फ न तो अधिसूचित किया जाएगा और न ही उसके चरित्र या स्थिति में कोई बदलाव किया जाएगा, भले ही वह अधिसूचना के माध्यम से या पंजीकरण के माध्यम से घोषित किया गया हो।’’

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष अवमानना ​​याचिका सुनवाई के लिए आई।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि धार्मिक स्थल को 1982 में वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया था और शीर्ष अदालत के समक्ष केंद्र द्वारा दिए गए बयान के बावजूद इसे ध्वस्त कर दिया गया।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘हम इसे उन मामलों (वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 से संबंधित) के साथ सुनवाई के लिए रखेंगे।’’

पीठ ने उत्तराखंड के अधिकारियों को याचिका पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया और सुनवाई 15 मई को तय की।

शीर्ष अदालत वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर 15 मई को सुनवाई करेगी।

अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से दायर अवमानना ​​याचिका में कहा गया है कि दरगाह हजरत कमाल शाह को 1982 में सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ्स, लखनऊ के साथ वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया था।

याचिका में कहा गया है कि यह 150 से अधिक वर्षों से धार्मिक महत्व का एक प्रतिष्ठित स्थल है और एक निर्विवाद वक्फ संपत्ति है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य के अधिकारियों की कार्रवाई 17 अप्रैल के आदेश का सीधा उल्लंघन है, जिसमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिए गए बयान को दर्ज किया गया था। मेहता वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 से संबंधित मामले में केंद्र की ओर से पेश हुए थे।

याचिका में शीर्ष अदालत द्वारा पारित 17 अप्रैल के आदेश में दर्ज हलफनामे की कथित रूप से अवहेलना करने के लिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।

भाषा सुरेश माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments