नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हरियाणा के तीन पुलिस अधिकारियों को गृह मंत्रालय द्वारा ‘यूनियन होम मिनिस्टर्स मेडल फॉर एक्सिलेंस इन इन्वेस्टिगेशन 2020’ से सम्मानित किया गया. इसमें कैथल के एसपी शशांक कुमार सावन, फरीदाबाद में तैनात एसआई अनिल कुमार और पंचकूला में तैनात रीटा रानी शामिल हैं.
गृह मंत्रालय द्वारा अधिकारियों के नामों की सूची जारी करने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ट्वीट कर तीनों अधिकारियों को बधाई दी.
Thanks to @police_haryana and @HMOIndia for recognising my efforts in providing speedy justice to a 6 yr old SC girl who was raped by a known upper caste person.The Investigation was completed in mere 5 days.The accused was sentenced to life imprisonment.@IPS_Association @cmohry https://t.co/tHwe6HPB0K pic.twitter.com/0E9aMDVwvn
— Shashank Kumar Sawan IPS (@shashanksawan) August 12, 2020
शंशाक ने ट्विटर पर बताया, ‘मुझे ये मेडल बहादुरगढ़ में एक 6 साल की दलित बच्ची के रेप में स्पीडी इन्वेस्टिगेशन के लिए दिया जा रहा है. मैंने इस मामले की इन्वेस्टिगेशन 5 दिन के भीतर खत्म में कर दी थी. इस केस में डिस्ट्रिक सेशन जज ने अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.’
गौरतलब है कि नेशनल क्राइम रिपोर्ट्स ब्यूरो के मुताबिक हरियाणा में साल 2016 के मुकाबले साल 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या 45 फीसदी बढ़ी है. 2016 में जो आंकड़ा 9,839 था वो साल 2018 में बढ़कर 14,326 हो गया था.
हालांकि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसके पीछे कारण बताते हुए कहा था कि पहले ये मामले अनरिपोर्टेड रहते थे लेकिन उनकी सरकार में इन मामलों में एफआईआर दर्ज की जा रही हैं.
हरियाणा पुलिस के 3 अधिकारी केन्द्रीय गृहमंत्री पुलिस पदक से सम्मानित@police_haryana@HMOIndia pic.twitter.com/Epe3v7tziR
— CMO Haryana (@cmohry) August 14, 2020
क्या था पूरा केस?
आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग करने के बाद शशांक ने साल 2015 में तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी. बिहार से आने वाले शशांक ने हरियाणा को अपना दूसरा कैडर चुना था.
दिप्रिंट से हुई बातचीत में शंशाक बताते हैं, ‘साल 2018 में झज्जर में डीएसपी के तौर पर पोस्टेड था. 22 सिंतबर की रात को मैं अकेले ही पेट्रोलिंग पर निकला था. अचानक सिटी बहादुरगढ़ थाने के एसएचओ का फोन आया और उन्होंने एक बच्ची के साथ दुर्व्यवहार की खबर बताई.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम बच्ची के घर पहुंचे. बच्ची ने मुझे पूरी घटना बताई कि किस तरह आरोपी ने उसके कपड़े उतारे और कमरे की लाइट बंद कर बलात्कार किया. मुझे मामला जेनुइन लगा तो मैंने सोच लिया था कि मामला कन्विक्शन तक लेकर जाना है. मगर बच्ची का परिवार थोड़ा होस्टाइल हो गया और कहा उन्हें कानूनी कार्रवाई नहीं चाहिए. लड़की के पिता दलित थे और आरोपी उच्च जाति का. उसके बाद परिवार की काउंसलिंग की गई तो वो शिकायत दर्ज कराने के लिए तैयार हुए. बिना देरी किए रात के 2 बजे ही एफआईआर दर्ज की गई और आरोपी को गिरफ्तार किया गया.’
गौरतलब है कि एफआईआर में पोक्सो एक्ट 6 और एससी-एसटी एक्ट 3 के अलावा आईपीसी की धारा 376 लगाई गई थीं.
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मामले की इन्वेस्टिगेशन
एफआईआर हो चुकी थी और आरोपी गिरफ्तार हो चुका था. अब चार्जशीट फाइल करने से पहले सारे साक्ष्यों को जुटाना पहला काम था.
शशांक बताते हैं, ‘सबूत के तौर पर चादर पर खून और सीमन के धब्बे मिले थे. जो कि आगे चलकर क्राइम को स्थापित करने में महत्वपूर्ण होते. तुरंत बच्ची की मेडिकल जांच भी करवाई गई. लेकिन मामला एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज हुआ था और परिवार के पास बच्ची के सर्टिफिकेट नहीं थे. वो यूपी के गांव बलिया जाकर ही लाने थे. अगर ट्रायल में सर्टिफिकेट होता तो परिवार को एससी-एसटी एक्ट के तहत मिलने वाला मुआवजा भी नहीं मिल पाता. बलिया के सरपंच को बुलाया गया लेकिन वहां चुनाव थे. मामले को एक महीने हो चुका था. लेकिन बाद में सरपंच खुद ही आ गया था.’
शशांक के मुताबिक ट्रायल में वर्बल स्टेटमेंट की जरूरत ना पड़े इसके लिए जरूरी था एसएफएल और डीएनए रिपोर्ट. इस दौरान वो दोनों रिपोर्ट्स को जल्दी से जल्दी उपलब्ध कराने में लगे रहे.
आगे चलकर मामला लटक गया कि केस क्राइम अगेन्सट वुमन कोर्ट को दिया जाएगा या फिर एससी-एसटी कोर्ट को. आखिरकार तय हुआ कि मामला एससी-एसटी कोर्ट को दिया जाएगा.
इस पूरे केस के दौरान शशांक बताते हैं कि लड़की के पिता की लगातार काउंसलिंग कराई गई ताकि वो कहीं भी इंटिमिडेट ना हों.
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पीड़िता को मिला मुआवजा और अभियुक्त को आजीवन कारावास
इसी बीच शशांक का तबादला डीसीपी हेडक्वार्टर गुरुग्राम हो गया लेकिन वो ऑनलाइन माध्यमों से केस पर नज़र रखते रहे. आखिरकार 6 अगस्त 2019 को इस केस में जजमेंट सुनाया गया.
एडिशनल सेशन जज सुधीर जीवन ने इस केस में जजमेंट सुनाते हुए अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया. इस केस में 22 लोगों ने गवाही दी. एसएफएल रिपोर्ट में बच्ची के अंडरवियर पर लगे सीमन और आरोपी के सीमन के डीएनए टेस्ट मैच किए जिससे क्राइम को स्थापित किया गया.
इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट लीगल अथॉरिटी को निर्देश दिया गया कि वो बच्ची के परिवार को एससी-एसटी एक्ट के तहत मिलने वाले मुआवज़े के तौर पर दो लाख रुपए दें.
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