लखनऊ: लखनऊ यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर रविकांत को फेसबुक पर बीजेपी के खिलाफ पोस्ट करना भारी पड़ गया. यूपी राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा उन्हें मिलने वाले ‘रमन लाल अग्रवाल पुरस्कार’ को मिलने से पहले ही वापस ले लिया गया है. रविकांत को संस्थान की ओर से एक पत्र भेजा गया है जिसमें लिखा है कि फेसबुक पोस्ट को अवाॅर्ड कैंसिल की वजह बताया गया है. पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मामले में बीजेपी पर निशाना साधा है.
रविकांत के मुताबिक, उन्हें 28 फरवरी को संस्था की ओर से पत्र मिला जिसमें उन्हें साहित्य में योगदान के लिए अवाॅर्ड दिए जाने की बात कही गई. इसमें 11 हजार नगद राशि भी दी जाती है. ये अवाॅर्ड उन्हें आगामी 17 मार्च को मिलने वाला था जो कि अब कैंसिल हो गया है. पत्र में कहा गया है कि दिल्ली में एक एनजीओ के सीएमडी द्वारा रविकांत के कई फेसबुक पोस्ट पर आपत्ति जताई गई है. इसी कारण संस्थान द्वारा उनका अवाॅर्ड कैंसिल किया जाता है.
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यूपी के पूर्व सीएम व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पर जत्ताई है. उन्होंने ट्वीटर पर इसे भाजपा का दलितों से भेदभाव करना बताया है. उनके मुताबिक ये बीजेपी का तथाकथित राष्ट्रवाद है.
The BJP’s assault on Dalits continues unabated.
Today Prof. Ravi Kant of Lucknow University was stripped of a state sponsored award for having anti-BJP views. This is the true face of their so-called ‘nationalism.’ pic.twitter.com/OcydecOFkq
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 9, 2019
अखिलेश ने इस ट्वीट में रविकांत के साथ की तस्वीर भी साझा की है जिसमें वह अपनी किताब आज के आइने में राष्ट्रवाद उन्हें भेंट कर रहे हैं.
एलयू के असिस्टेंट प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि ये अवाॅर्ड उन्हें साहित्य में योगदान के लिए दिया जाना था लेकिन कैंसिल फेसबुक पोस्ट की वजह से किया गया है.
फेसबुक पर वह बीजेपी कई तंज कस चुके हैं. उनका कहना है कि ये उनके निजी विचार हैं जबकि सम्मान उनके साहित्य के योगदान के लिए दिया जाना था. वे थोड़े दुखी जरूर हैं लेकिन फेसबुक से अपने पोस्ट नहीं डिलीट करेंगे. उनके मुताबिक विचारों की स्वतंत्रता हर किसी को है. ऐसे में कोई फेसबुक पोस्ट को लेकर आहत हो जाए तो इसमें वह क्या कर सकते हैं. जबकि इसी संस्थान ने पिछले साल साहित्य गौरव पुरस्कार उन्हें दिया था.
रविकांत को इस विवाद बढ़ जाने के बाद से सोशल मीडिया पर कई लोगों का समर्थन मिल रहा है. अवाॅर्ड देने वाले संस्थान राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान का कहना है कि विवादों से बचने के लिए अवाॅर्ड कैंसिल किया गया है. हालांकि अब अवाॅर्ड कैंसिल होने के बाद विवाद ज्यादा बढ़ गया है.ये संस्थान राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित है. अखिलेश के ट्वीट के बाद अब विपक्षी दलों के निशाने पर बीजेपी सरकार आ गई है.
कांग्रेस ने भी इस पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा है कि प्रो. रविकांत से जो पुरस्कार वापस लिया गया है कांग्रेस पार्टी इसक निंदा करती है. भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को आजादी देता है अभिव्यक्ति की और किसी की भी आलोचना करने की. निश्चित तौर से यह उन सभी संवैधानिक अधिकारों का हनन है. इससे यह साबित होता है कि भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जो भी आवाज उठाएगा जो भी बात करेगा उसकी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है.