नई दिल्ली: तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा 15 जुलाई को लद्दाख का दौरा कर रहे हैं. दलाई लामा की इस यात्रा को उनके चीन पर एक हमले के रूप में देखा जा रहा है. 17 जुलाई भारत और चीन दो साल पहले हुए गतिरोध को लेकर कमांडर स्तर की बातचीत करेंगे.
दलाई लामा फिलहाल जम्मू में है. कोरोना महामारी के बाद धर्मशाला से बाहर यह उनका पहला दौरा है, इस दौरान दलाई लामा ने तिब्बती बौद्ध संस्कृति को संरक्षित करने के लिए चीन से ‘सार्थक स्वायत्तता’ की आवश्यकता के बारे में बात की.
उनकी यात्रा का समय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच चल रहे गतिरोध के बीच आई है. भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर पर 16वें दौर की बातचीत कथित तौर पर 17 जुलाई को होने वाली है.
जब पिछले हफ्ते दलाई लामा की दो दिवसीय यात्रा की खबर आई, तो चीन ने ‘चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का उपयोग करने’ के लिए भारत पर निशाना साधा था. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जुलाई को दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन को जवाब देते हुए कहा, ‘भारत में दलाई लामा को एक सम्मानित अतिथि और एक सम्मानित धार्मिक नेता के रूप में मानने की भारत सरकार की एक सतत नीति है.’
दलाई लामा की यात्रा पर चीन की टिप्पणी
चीन ने अभी तक दलाई लामा की यात्रा पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी नहीं की है, भारत और दलाई लामा दोनों की आलोचना करने का चीन का पुराना इतिहास रहा है, 1959 में तिब्बत से उनके निकलने के बाद से ऐसा देखा गया है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए दलाई लामा ने कहा, “चीनी लोग नहीं, लेकिन कुछ चीनी कट्टरपंथी मुझे अलगाववादी मानते हैं. अब, ज्यादा से ज्यादा चीनी यह महसूस कर रहे हैं कि दलाई लामा स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि हम चीन के भीतर सार्थक स्वायत्तता और तिब्बती बौद्ध संस्कृति को संरक्षित करने की मांग कर रहे हैं.
2019 में दलाई लामा के जन्मदिन समारोह के खिलाफ न केवल चीनी नागरिकों ने लद्दाख सीमा पर विरोध किया, बल्कि चीनी सरकार ने अप्रैल 2017 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दलाई लामा की चार दिवसीय यात्रा की भी स्पष्ट रूप से निंदा की.
नैन्सी पेलोसी के नेतृत्व में एक द्विदलीय अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के उस वर्ष मई में आध्यात्मिक नेता से मिलने के बाद चीन ने 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ राजनयिक विरोध भी दर्ज किया था.
दलाई लामा ने 2011 में कहा था कि कई चीनी सरकारी अधिकारी उन्हें ‘दानव’ मानते हैं. वह कई बार ऐसा करते हैं, उनकी दृष्टि से यह तार्किक भी है… वे हर आपत्ति उठाते हैं. मैंने पहले भी इसका सामना किया है.’
जम्मू और लद्दाख की चल रही यात्रा के संबंध में मैकलॉड गंज में दलाई लामा के कार्यालय से एक टिप्पणी की प्रतीक्षा है.
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