scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमदेशखरीद कीमतों पर तमिलनाडु सरकार से बातचीत विफल होने के बाद, डेयरी उत्पादकों ने सड़कों पर बिखेरा दूध

खरीद कीमतों पर तमिलनाडु सरकार से बातचीत विफल होने के बाद, डेयरी उत्पादकों ने सड़कों पर बिखेरा दूध

कई दुग्ध उत्पादकों ने मांग पूरी होने तक सरकारी सहकारी आविन को आपूर्ति बंद करने की धमकी दी है. डेयरी मंत्री नसर ने आश्वासन दिया कि आविन से लोगों की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी.

Text Size:

चेन्नई: तमिलनाडु सरकार से खरीद दरों को लेकर बातचीत विफल होने के बाद, कई दुग्ध उत्पादक शुक्रवार को हड़ताल पर चले गए और उन्होंने सरकारी सहकारी आविन को आपूर्ति करने से इनकार कर दिया.

आविन को दूध की आपूर्ति करने वाले तीन अलग-अलग संघों के सदस्य – जो दूध और उससे बने प्रोडक्ट्स की खरीद, प्रक्रिया और बिक्री करते हैं – निजी खिलाड़ियों द्वारा प्रतिस्पर्धी कीमतों का हवाला देते हुए खरीद कीमतों में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं.

तीन संघों में से दो, जिनका नाम तमिलनाडु मिल्क प्रोड्यूसर्स वेलफेयर एसोसिएशन (TNMPWA) है, ने गुरुवार को राज्य सचिवालय में डेयरी विकास मंत्री एसएम नसर से मुलाकात की. हालांकि, वह एक सौहार्दपूर्ण समाधान पर नहीं पहुंच सके.

वार्ता विफल होने के बाद, वज़हपदी राजेंद्रन के नेतृत्व में एक संघ ने घोषणा की कि उसके सदस्य आविन को तब तक दूध की सप्लाई नहीं करेंगे जब तक कि उनकी मांग का समाधान नहीं हो जाता. इरोड में दुग्ध उत्पादकों ने सड़क पर ताज़ार दूध बिखेर कर अपना विरोध ज़ाहिर किया.

इस बीच, उत्पादकों के संघों के साथ बैठक के बाद गुरुवार को मीडिया को संबोधित करने वाले नसर ने आश्वासन दिया कि विरोध आविन द्वारा दूध की आपूर्ति को प्रभावित नहीं करेगा.

दिप्रिंट ने फोन कॉल और मैसेज के जरिए नासर और आविन के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन इस खबर के प्रकाशित किए जाने तक उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. हालांकि, जवाब आने के बाद खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.


यह भी पढ़ेंः क्या नॉर्थ इंडियन खाते हैं ज्यादा दूध- दही? नहीं- दक्षिण भारतीय इस मामले में उनसे आगे : NFHS सर्वे


दुग्ध उत्पादकों की दुर्दशा

1977 से एक दुग्ध उत्पादक, त्रिची के एन गणेशन (63), जो अधिकारियों से मिलने वाली टीम का भी हिस्सा थे, ने दिप्रिंट को बताया कि दुग्ध उत्पादक राज्य में “संघर्ष” कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “हमें पहला झटका तब लगा जब एम. के. स्टालिन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने पहले आदेश पर हस्ताक्षर किए.” दरअसल, 7 मई 2021 को, स्टालिन ने आविन द्वारा आपूर्ति किए गए दूध की कीमत 3 रुपये कम करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए थे.

दिप्रिंट से बातचीत में तमिलनाडु मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (TNMPA) के राज्य अध्यक्ष के. मोहम्मद अली, जिनके एसोसिएशन ने जनवरी में विरोध प्रदर्शन किया था, ने कहा, “सरकार द्वारा दूध की कीमत 3 रुपये कम करने से आविन को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है और वह उत्पादकों को आवश्यक खरीद मूल्य का भुगतान करने में सक्षम नहीं है.”

दुग्ध उत्पादक अक्टूबर 2022 से खरीद मूल्य में न्यूनतम 10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की मांग कर रहे हैं. उत्पादकों के आंदोलन के बाद नवंबर 2022 में सरकार ने खरीद मूल्य में वृद्धि की थी. उस समय गाय का दूध 32 रुपये से बढ़ाकर 35 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 41 रुपये से बढ़ाकर 44 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया था.

आविन ने नवंबर, 2022 में एक बयान में कहा था कि तीन साल बाद हुई खरीद में मूल्य वृद्धि से 9,345 प्राथमिक सहकारी समितियों से जुड़े 4.2 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा.

हालांकि दुग्ध उत्पादक थोड़े दिन शांत रहे, लेकिन दिसंबर में टीएनएमपीए ने चेन्नई में आविन के बाहर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की.


यह भी पढ़ेंः दूध की बढ़ती कीमतों ने घरेलू बजट पर डाला असर, दिवाली तक राहत के आसार नहीं


निजी खिलाड़ी कर रहे अधिक भुगतान

आविन को सप्लाई करने वाली तीसरी एसोसिएशन तमिलनाडु मिल्क प्रोड्यूसर्स वेलफेयर के महासचिव एमजी राजेंद्रन ने दिप्रिंट को बताया, “एक लीटर दूध की उत्पादन लागत 51.44 रुपये है, जो हमें अभी भुगतान किया जाता है वह बहुत कम है.”

जब राज्य सरकार कम भुगतान कर रही है तो निजी कंपनियां कड़ी टक्कर दे रही हैं. “निजी खिलाड़ियों बनाम आविन के बीच, 8 रुपये से 10 रुपये प्रति लीटर का अंतर है. बहुत से लोग अब निजी कंपनियों की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं.”

राजेंद्रन ने कहा कि लंपी वायरस के कारण देश भर में दूध के उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है, दूध खरीदने के लिए तमिलनाडु में अधिक निजी खिलाड़ी आगे आ रहे हैं.

उत्पादकों के संघ ने दावा किया कि राज्य सरकार की खरीद में भी गिरावट देखी गई है. दि न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खरीद अब 37 लाख लीटर से घटकर 27 लाख लीटर रह गई है. तमिलनाडु मिल्क डीलर्स एम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक-अध्यक्ष एस.ए. पोन्नुसामी ने कहा, “कई हिस्सों में कमी के कारण दूध की आपूर्ति में देरी हो रही है.”

उन्होंने कहा, भुगतान की समय सीमा भी एक मुद्दा है, “अधिकांश समय उत्पादकों को आपूर्ति के 60 दिन बाद ही भुगतान किया जाता है, जबकि निजी कंपनियां साप्ताहिक आधार पर भुगतान करती हैं.”

एमजी राजेंद्रन ने कहा, “अगर खरीद मूल्य नहीं बढ़ाया गया तो राज्य में त्रिस्तरीय सहकारी प्रणाली खतरे में है.”

मोहम्मद अली ने कहा कि फिलहाल सिर्फ एक एसोसिएशन ने आविन को दूध सप्लाई करने से इनकार किया है. हालांकि, सभी संघों की एक ही मांग है, उन्होंने आगे कहा, “अगले कदम पर निर्णय लेने के लिए जल्द ही एक सभी संघों की बैठक बुलाई जाएगी.”

इस बीच, राजेंद्रन ने गुरुवार को स्पष्ट किया, “अगर तमिलनाडु सरकार फिर से बातचीत के लिए बुलाती है, तो विरोध को निलंबित कर दिया जाएगा.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ेंः आंकड़े दर्शाते हैं- जिन राज्यों में शाकाहारी लोग ज़्यादा, वहां दूध की उपलब्धता भी सबसे अधिक


 

share & View comments