नई दिल्ली: भीषण चक्रवाती तूफान ‘मोचा’ रविवार को बांग्लादेश और म्यांमार के तटीय इलाकों पर पहुंच गया. इससे पहले यह पांचवीं श्रेणी के भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील हो चुका था. इसके चलते दक्षिण-पूर्वी तटीय क्षेत्रों में व्यापक नुकसान हुआ है और निचले इलाकों में पांच लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
मोचा तूफान, बांग्लादेश और म्यांमार को विभाजित करने वाली नाफ नदी के जरिए आगे बढ़ते हुए टेकनाफ तटरेखा पर दोपहर के समय टकराया.
बांग्लादेश के मौसम विभाग के प्रवक्ता ए.के.एम. नजमुल हुदा ने से कहा, ‘‘चक्रवात का केंद्रबिंदु अपने अनुमानित समय से पहले आज दोपहर के कुछ ही देर बाद नाफ नदी से होते हुए टेकनाफ तटरेखा पर पहुंच गया.’’
उन्होंने कहा कि बेहद खतरनाक मानी जाने वाली पांचवीं श्रेणी के चक्रवात के रूप में वर्गीकृत मोखा को तटरेखा पार करने में और समय लग सकता है.
तेज हवाओं के चलते टेकनाफ और सेंट मार्टिन द्वीप में कई पेड़ उखड़ गए और कई घरों की छतें क्षतिग्रस्त हो गईं. टेकनाफ और सेंट मार्टिन द्वीप कॉक्स बाजार-टेकनाफ प्रायद्वीप के छोर से लगभग नौ किमी दक्षिण में स्थित है. बंगाल की खाड़ी में स्थित आठ वर्ग किलोमीटर के द्वीप सेंट मार्टिन में तेज हवाएं चलने के साथ भारी बारिश हुई.
बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी कॉक्स बाज़ार के टेकनाफ उप-जिले के प्रशासनिक प्रमुख मोहम्मद कमरुज्जमां ने कहा कि टेकनाफ और बंगाल की खाड़ी के पास इसके दक्षिणी भाग शाहपोरी डिप में 200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से हवाएं चल रही हैं.
टेकनाफ म्यांमार के पास है और यह नाफ नदी के जरिए उत्तरी म्यांमार के तटों से अलग होता है.
कमरुज्जमां ने कहा, ‘‘हवा के बहुत तेज वेग के कारण मौसम भयावह है, लेकिन अभी तक बड़े पैमाने पर लहरें नहीं उठी हैं.’’
मौसम अधिकारियों ने कहा कि नाफ नदी में फिलहाल ऊंची लहरें उठ रही हैं जो पूर्वाह्न 11 बजे शुरू हुई थीं और शाम 5 बजे (स्थानीय समय) तक जारी रहेंगी.
चक्रवात के कारण भारी बारिश हो रही है और तेज हवाएं चल रही हैं. इससे बंगाल की खाड़ी के आसपास के इलाकों में खतरनाक बाढ़ आ सकती है.
तूफान बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी सीमावर्ती कॉक्स बाजार जिले से टकराया, जहां दस लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं.
मौसम विभाग की ओर से जारी ताज़ा बुलेटिन के मुताबिक, हवा के कारण सामान्य से आठ से 12 फुट ऊपर की लहरें उठने से कॉक्स बाजार और चटगांव के निचले इलाकों में पानी भर सकता है.
‘बीडीन्यूज़24.कॉम’ की खबर के मुताबिक सामान्य से पांच से सात फुट ऊंची लहरें उठने से फेनी, नोआखली, लक्ष्मपुर, चांदपुर और भोला के निचले इलाकों में बाढ़ आने की आशंका है.
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि ‘मोचा’ लगभग दो दशकों में बांग्लादेश में आये सबसे शक्तिशाली चक्रवातों में से एक है. श्रेणी चार का चक्रवात श्रेणी-पांच तूफान के बराबर तीव्र हो गया है. लगभग पांच लाख लोगों को सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया है.
तूफान से निपटने की तैयारी के तौर पर बांग्लादेश ने प्रभावित क्षेत्र के पास के हवाई अड्डों को बंद कर दिया है और मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी है.
अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और सहायता कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कई टन सूखे खाद्य पदार्थ की व्यवस्था की है और रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में दर्जनों एंबुलेंस और मोबाइल मेडिकल दलों को तैयार रखा है.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी, विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चेतावनी दी है कि चक्रवात के कारण बांग्लादेश और म्यांमार के तटों के आसपास भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन होगा.
हालांकि, बांग्लादेश मौसम विज्ञान विभाग के निदेशक मोहम्मद अज़ीज उर रहमान ने कहा कि बांग्लादेश के लिए खतरा कम हो गया है.
उन्होंने कहा कि म्यांमार और उसके दक्षिणी क्षेत्र के लिए खतरा ज्यादा हो सकता है.
‘मोचा’ चक्रवात के रविवार को बांग्लादेश तथा म्यांमार के तटीय इलाकों से टकराने के बाद पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना जिलों के तटीय इलाकों में आपदा मोचन बल के कर्मी सतर्कता बरत रहे हैं.
अधिकारी ने कहा कि गोताखोरों सहित राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) कर्मियों के सात समूहों को पूर्व मेदिनीपुर जिले में दीघा-मंदारमणि तटीय क्षेत्र में तैनात किया गया है, क्योंकि समुद्र में तेज लहरें उठ रही हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य आपदा प्रबंधन समूह के 100 से अधिक कर्मियों को दक्षिण 24 परगना जिले के बक्खली समुद्र तट पर तैनात किया गया है, ताकि पर्यटकों और स्थानीय लोगों की आवाजाही पर नजर रखी जा सके.
एनडीआरएफ टीम के सदस्य विकास साधु ने कहा, “हम पर्यटकों को समुद्र के पास जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, जहां तेज लहरें उठ रही हैं. हम समुद्र तट पर आवाजाही को नियंत्रित कर रहे हैं. हमें अगले कुछ घंटों के लिए सतर्क रहने को कहा गया है.”
दोनों जिलों में आपात स्थिति के दौरान तटीय क्षेत्रों के निवासियों को निकालने की व्यवस्था की गई है.
इस बीच, पोर्ट ब्लेयर से मिली खबर में कहा गया है कि चक्रवात मोचा ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में दस्तक नहीं दी, जहां आपदा के संभावित प्रभाव को कम करने के लिए पर्याप्त एहतियाती उपाय किए गए थे.
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में पिछले कुछ दिन से जनजीवन अस्त-व्यस्त है क्योंकि चक्रवात के मद्देनजर प्रशासन ने मछली पकड़ने, पर्यटन और मुख्य भूमि से जहाजों की आवाजाही पर रोक लगा दी है.
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