नई दिल्ली: चक्रवात बिपारजॉय गुजरात तट से 200 किलोमीटर से भी कम दूरी पर है. अधिकारियों ने बताया कि चक्रवात के गुरुवार शाम तक गुजरात तट से टकराने और क्षेत्र में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होने की आशंका के मद्देनजर संवेदनशील इलाकों से 74,000 से अधिक लोगों को निकाला गया है.
प्रशासन ने कच्छ जिले में समुद्र तट से शून्य से 10 किलोमीटर के बीच स्थित लगभग 120 गांवों के लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है.
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने चक्रवात बिपरजाॅय को लेकर गुरुवार सुबह गांधीनगर स्थित स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर में समीक्षा बैठक की. जैसे ही बिपरजाॅय राज्य के तटीय क्षेत्र की ओर बढ़ा, देवभूमि द्वारका स्थित द्वारकाधीश मंदिर गुरुवार को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया.
बिपरजाॅय के 15 जून की शाम को गुजरात के जखाऊ तट के पास लैंडफॉल करने की उम्मीद है और यह कच्छ के रण के साथ-साथ राजस्थान तक पहुंच जाएगा.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, वीएससीएस (अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान) बिपरजाॅय आज शाम तक जखाऊ बंदरगाह के पास मांडवी और कराची के बीच सौराष्ट्र, कच्छ और पाकिस्तान के आस-पास के तटों को पार करेगा.
मुंबई में बिपरजाॅय के प्रवेश के बाद सुमंद्र में उठती लहरों में जाने के कारण मंगलवार को दो युवकों की मौत हो गई थी. राज्य सरकारें लगातार प्रभावित क्षेत्रों से लोगो को हटा रही है और दूसरी जगह शिफ्ट कर रही है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, बिपारजॉय के अधिकतम 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ एक ‘बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान (वीएससीएस)’ के रूप में जखौ बंदरगाह के पास टकराने का अनुमान है.
आईएमडी ने कहा कि इस शक्तिशाली तूफान के गुजरात तट के पास पहुंचने के साथ ही कच्छ, देवभूमि द्वारका और जामनगर जिले में छिटपुट स्थानों पर बारिश की तीव्रता बढ़ जाएगी.
आईएमडी ने चक्रवात पर जानकारी में कहा, ‘‘उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर मौजूद वीएससीएस बिपारजॉय 14 जून 2023 को भारतीय समयानुसार रात ढाई बजे जखौ बंदरगाह से 200 किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में था. 15 जून की शाम तक यह जखौ बंदरगाह के पास सौराष्ट्र और कच्छ तथा निकटवर्ती मांडवी एवं कराची के बीच स्थित पाकिस्तान तट से गुजरेगा.’’
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि कच्छ जिले में तट से शून्य से पांच किलोमीटर की दूरी में 72 गांव, जबकि तट से पांच से 10 किलोमीटर के दायरे में 48 गांव स्थित हैं.
बिपरजॉय के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए NDRF की टीम लगातार राहत बचाव के काम में जुटी हैं. NDRF के डीजी अतुल करवाल ने कहा कि एनडीआरएफ की 18 और एसडीआरएफ की 12 टीमों को पूरे गुजरात में तैनात किया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा टीम कच्छ में है. अन्य विस्तृत तैयारियां भी कर ली गई हैं.
उन्होंने आगे कहा, “गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उन्हें अस्पतालों में भेज दिया गया है. जीवन और संपत्ति के नुकसान को कम करने के लिए राज्य भर में 15 और स्थानों पर रिजर्व एनडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है.”
पिछले कुछ दिनों से आपने लगातार चक्रवाती तूफान बिपरजाॅय की खबरे देखी या फिर सुनी होगी. किसी क्षेत्र में इसका प्रभाव घट रहा है तो कहीं ये तेज़ी से बढ़ता चला जा रहा हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इस चक्रवाती तूफान का नाम बिपरजाॅय कैसे पड़ा? किसी भी आपदा या फिर तूफान का नाम आखिर तय कैसे किया जाता है?
मंत्री ने कहा, ‘‘हमने इन तटीय गांवों से लगभग 40,000 लोगों को निकालकर सुरक्षित जगह पहुंचाया है.’’
गुजरात सरकार ने बताया कि अब तक आठ तटीय जिलों-कच्छ, जामनगर, मोरबी, राजकोट, देवभूमि द्वारका, जूनागढ़, पोरबंदर और गिर सोमनाथ में 74,345 लोगों को अस्थायी आश्रय शिविरों में ले जाया गया है.
सरकार के मुताबिक, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की 15 टीम, एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की 12 टीम, राज्य सड़क एवं भवन विभाग की 115 टीम और राज्य बिजली विभाग की 397 टीम विभिन्न तटीय जिलों में तैनात की गई हैं.
अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस के अलावा, एनडीआरएफ की चार टीम और एसडीआरएफ, सेना, तटरक्षक बल तथा बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) की पांच टीम चक्रवात के बाद राहत एवं बचाव कार्यों के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘चक्रवात के बाद के काम जैसे बिजली आपूर्ति, मोबाइल नेटवर्क और अन्य बुनियादी ढांचे की बहाली के लिए हमने विस्तृत व्यवस्था की है.’’
बांग्लादेश द्वारा दिया गया नाम
चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ का नाम बांग्लादेश द्वारा सुझाया गया है और इस शब्द का अर्थ बंगाली में ‘आपदा‘ होता हैं. बता दें कि कुछ मौजूदा दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए चक्रवातों का नाम रखने का अधिकार कुछ देशों को दिया गया है.
चक्रवात का प्रभाव चाहे समय के साथ कम हो या फिर ज्यादा, इसे एक बार जो नाम दिया जाता है फिर सभी देशों को हमेशा उसी का प्रयोग करना पड़ता है.
जिस तरह एक व्यक्ति का नाम उसकी पहचान बन जाती है उसी प्रकार चक्रवात या फिर तूफ़ान की गति पर नज़र रखने, चेतावनी जारी करने और प्रभावित क्षेत्रों में सूचना प्रसारित करने में इनके नाम मददगार होते है.
आईएमडी उन छह आरएसएमसी में से एक है जो डब्ल्यूएमओ/एशिया-प्रशांत के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) पैनल के तहत 13 सदस्य देशों को उष्णकटिबंधीय चक्रवात और तूफान वृद्धि की सलाह प्रदान करता है. इसमें शामिल 13 सदस्य बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन हैं.
हिंद महासागर क्षेत्र को विभिन्न मौसम संबंधी क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, और प्रत्येक क्षेत्र का अपना क्षेत्रीय विशेष मौसम विज्ञान केंद्र है जो चक्रवातों की निगरानी के लिए जिम्मेदार होता है.
इन तूफानों एवं चक्रवात का नाम रखते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि ये बोलने में आसान हो और साथ ही इसमें किसी विवादित शब्द का प्रयोग न हुआ हो.
IMD के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र ने बिपरजाॅय की ताज़ा जानकारी देते हुए कहा कि “चक्रवात बिपरजॉय पाकिस्तान के आस-पास जा रहा है. हम क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र होने के बाद भी पाकिस्तान को हर 3 घंटे में बढ़ते तूफान, बारिश, मार्ग, तीव्रता के बारे में नियमित रूप से जानकारी और सलाह दे रहे हैं.”
चक्रवातों और तूफानों के नामकरण की सूचियां पहले से तैयार की जाती हैं और आमतौर पर यह प्रक्रिया रोटेशनल तरीके से चलता है. लिंग समानता और सांस्कृतिक समावेश सुनिश्चित करने के लिए नामकरण सूचियों में मेल और फीमेल नाम का भी ध्यान रखा जाता है.
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