नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने ड्रिप योजना के तहत बांधों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का उत्कृष्टता केंद्र विकसित करने के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की के साथ एक समझौता किया है। जल शक्ति मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि जल शक्ति मंत्रालय के केंद्रीय जल आयोग ने बाह्य वित्त पोषित बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना के द्वितीय एवं तृतीय चरण के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर का उत्कृष्टता केंद्र विकसित करने के लिये समझौता ज्ञापन किया है।
जल शक्ति मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि यह समझौता ज्ञापन 10 वर्ष अथवा ड्रिप चरण-2 और चरण-3 योजना की अवधि, इसमें से जो पहले हो, तक वैध रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर का उत्कृष्टता केंद्र, रूड़की, भारत एवं विदेशों में बांध का स्वामित्व रखने वालों को जांच, मॉडलिंग, शोध, नवाचार और तकनीकी सहयोग सेवाओं में विशेषज्ञ तकनीकी समर्थन प्रदान करेगा।
बयान के अनुसार, यह केंद्र बांध सुरक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी नवोन्मेष के माध्यम से उभरती चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करेगा।
यह केंद्र वर्तमान में दो प्रमुख क्षेत्रों… जलाशय अवसादन (सेडिमेन्टेशन) और प्रारंभिक वर्षों में भूकंपीय खतरे का मानचित्रण और विश्लेषण पर ध्यान केन्द्रित करेगा। इसमें निकट भविष्य में बांध सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन से पैदा होने वाली ज़रूरतों के अनुसार नए क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा।
बयान के अनुसार, बांधों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्टता केंद्र को 109 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया जा रहा है । यह खर्च जल संसाधन, गंगा संरक्षण और नदी विकास विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा छह किस्तों में अनावर्ती अनुदान के रूप में वहन किया जा रहा है।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने कहा, ‘‘ अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्टता केंद्र (आईसीईडी) की स्थापना बांध सुरक्षा में ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त बनाएगी। इसके अलावा उन्नत अनुसंधान को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोग उत्पादों को विकसित करने में भी मदद मिलेगी। हम जल शक्ति मंत्रालय के इस मिशन में योगदान देने के लिए बहुत उत्सुक हैं।’’
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दीपक नरेश
नरेश
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