(अश्विनी श्रीवास्तव)
नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों सहित सरकारी कर्मचारियों से जुड़े कदाचार के मामलों में ‘सतर्कता पहलू’ निर्धारित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामलों में सतर्कता पहलू को लेकर अधिक स्पष्टता सुनिश्चित करना है।
आयोग की ओर से हाल ही में जारी एक परिपत्र के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों के अलावा अर्ध-न्यायिक कार्य करने वाले अधिकारियों द्वारा किए गए कुछ कदाचारों को सूचीबद्ध किया गया है।
आयोग ने बताया कि एजेंसी ने समय-समय पर अपने परामर्शी क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले संगठनों को कदाचार के मामले में सतर्कता पहलू और मानदंडों के संबंध में कई दिशा-निर्देश/परिपत्र जारी किए हैं।
आयोग ने एक आदेश में कहा कि पूर्व में सीवीसी द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों/कार्यालय आदेशों/परिपत्रों को अब ‘सतर्कता पहलू की परिभाषा से संबंधित ‘मास्टर परिपत्र’ के रूप में एक स्थान पर समेकित कर दिया गया है।
आयोग ने बताया कि इस समग्र परिपत्र के जारी होने के साथ ही इस विषय पर जारी सभी पूर्व दिशा-निर्देश/कार्यालय, आदेश/परिपत्र समाप्त हो गए हैं।
सीवीसी की ओर से 23 मई को जारी आदेश के मुताबिक, आयोग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले संगठनों के कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी तरह के कदाचार की स्थिति में सतर्कता पहलू के अस्तित्व क निर्धारण करते समय केवल मौजूदा ‘मास्टर’ परिपत्र का ही संदर्भ लिया जाना चाहिए।
यह आदेश सभी केंद्रीय सरकारी विभागों के सचिवों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों एवं कंपनियों के प्रमुखों सहित अन्य को जारी किया गया है।
‘मास्टर’ परिपत्र के मुताबिक, आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने, गबन, जालसाजी या धोखाधड़ी या इसी तरह के अन्य आपराधिक मामलों और किसी आधिकारिक कार्य के संबंध में कानूनी पारिश्रमिक के अलावा रिश्वत मांगने या स्वीकार करने या फिर किसी अन्य अधिकारी के साथ अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने के मामलों में सतर्कता का दृष्टिकोण स्पष्ट होगा।
आयोग के मुताबिक, गुप्त या गोपनीय जानकारी का खुलासा सतर्कता पहलू के दायरे में आएगा, भले ही वह बैंक के गोपनीयता मुद्दों के दायरे में न आता हो, ।
परिपत्र में बताया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के मामले में दावे के रूप में बढ़ी हुई राशि का भुगतान और ‘बीमा कवर के लिए खराब स्थिति को स्वीकार करना’ सतर्कता के दायरे में आएगा।
परिपत्र में बताया गया है कि चिकित्सकों, अस्पतालों, ‘थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर’ (टीपीए) और अन्य ‘आउटसोर्स एजेंसियों’ (एजेंट, दलाल, सर्वेक्षक, अधिवक्ता) के साथ संभावित मिलीभगत भी सतर्कता के दायरे में होंगी।
आयोग ने बताया कि चूक और कमीशन के विभिन्न कार्यों में सतर्कता के पहलू का न होने का मतलब यह नहीं है कि संबंधित अधिकारी अपने कार्यों के परिणामों का सामना करने के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।
परिपत्र के मुताबिक, “ऐसी किसी भी प्रकार की चूक, जो सतर्कता के दायरे में नहीं आती, उनसे संबंधित सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक प्रक्रिया के अनुसार उचित तरीके से निपटा जाना चाहिए।”
भाषा जितेंद्र सुरेश
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