नयी दिल्ली, 19 फरवरी (भाषा) केंद्रीय सतर्कता आयोग ने लोकपाल द्वारा प्रारंभिक जांच करने के लिए उसके पास भेजी गई भ्रष्टाचार की शिकायतों से निपटने के लिए एक नई प्रक्रिया जारी की है। एक आधिकारिक आदेश में यह बात कही गई।
लोकपाल मुख्य सतर्कता अधिकारियों (सीवीओ) को निर्देश देता है कि वे केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की दूरस्थ शाखा के रूप में कार्य करें और उसे प्राप्त कुछ शिकायतों के संबंध में प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया, ‘‘लोकपाल ने एक ऐसा उदाहरण देखा है, जहां उसके द्वारा विशेष रूप से सीवीओ को सौंपी गई प्रारंभिक जांच सीवीओ के अलावा किसी अन्य अधिकारी के हस्ताक्षर से लोकपाल को सौंपी गई थी।’’
इसमें कहा गया, ‘‘सीवीओ को सलाह दी जाती है कि लोकपाल द्वारा निर्देशित कोई भी प्रारंभिक जांच संबंधित सीवीओ द्वारा अपने हस्ताक्षर से लोकपाल को सौंपी जानी चाहिए।’’
लोकपाल को कुछ सरकारी पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार है।
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 20 (1) (बी) के तहत निहित प्रावधानों के अनुसार, समूह ए, बी, सी या डी से संबंधित लोक सेवकों के संबंध में शिकायतें लोकपाल द्वारा प्रारंभिक जांच के लिए सीवीसी को भेजी जाती हैं।
सीवीसी ऐसे संदर्भों को प्रारंभिक जांच और रिपोर्ट के लिए संबंधित सीवीओ को भेजता है।
सीवीसी द्वारा जारी किए गए एक पूर्व परिपत्र के अनुसार, शिकायत प्राप्त होने की तिथि से 60 दिन की अवधि के भीतर और लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी है।
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वैभव माधव
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