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नीमच (मप्र), 17 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में सिर्फ चार जिलों तक सीमित नक्सलवाद को अगले साल 31 मार्च तक खत्म कर दिया जाएगा और सीआरपीएफ इस मिशन की रीढ़ है।
वह मध्यप्रदेश के नीमच जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 86वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘नक्सलवाद भारत में सिर्फ चार जिलों तक सीमित रह गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि 31 मार्च 2026 तक देश से यह समस्या खत्म हो जाएगी। सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) और सीआरपीएफ, खासकर इसकी कोबरा बटालियन देश से नक्सलवाद को खत्म करने में अहम भूमिका निभा रही है।’
‘कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन’ (कोबरा) सीआरपीएफ की एक विशेष इकाई है, जो गुरिल्ला और जंगल युद्ध में खासकर नक्सली खतरे से निपटने में अपनी दक्षता के लिए जानी जाती है।
शाह ने कहा, ‘सीआरपीएफ ने नक्सल (प्रभावित) क्षेत्रों में 400 से अधिक अग्रिम संचालन बेस स्थापित किए हैं। इसकी वजह से इन क्षेत्रों में हिंसा में 70 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है और अब हम इसे समाप्त करने के करीब हैं।’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा में सीआरपीएफ का योगदान अद्वितीय है, चाहे वह कश्मीर घाटी में आतंकवादियों से लड़ना हो, पूर्वोत्तर में शांति सुनिश्चित करना हो या आज कट्टर नक्सलियों को सिर्फ चार जिलों तक सीमित करना हो।
उन्होंने कहा, ‘इन सभी उपलब्धियों में सीआरपीएफ के जवानों ने अहम भूमिका निभाई है। कोई भी किताब उनकी बहादुरी, कर्तव्य की भावना और साहस का वर्णन नहीं कर सकती।’
मंत्री ने कहा कि सीआरपीएफ की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक, नक्सलवाद को खत्म करने में इसका बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि आज, सबसे खूंखार नक्सली भी कोबरा कमांडो के आने की खबर सुनकर कांप उठते हैं।
शाह ने कहा, ‘कोबरा बटालियन वीरता का प्रतीक बन गई है। मैं 86वें (स्थापना दिवस) परेड पर सभी कोबरा जवानों को बधाई देता हूं और उनके साहस के लिए उनका आभार व्यक्त करता हूं।’
उन्होंने कहा, ‘आपके नेतृत्व में सीआरपीएफ के जवानों ने नक्सलवाद के खात्मे में उल्लेखनीय प्रगति की है। और आज कहकर जाता हूं कि 31 मार्व 2026 को इस देश में नक्सलवाद हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगा । यह प्रण आपके ही दम पर इस देश ने किया है।’
शाह ने कहा कि सीआरपीएफ ने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए हमेशा सर्वोच्च बलिदान दिया है।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए, जब भी देश में कहीं भी अशांति होती है और गृह मंत्री के रूप में मुझे पता चलता है कि सीआरपीएफ के जवान वहां तैनात हैं, तो मैं बिना किसी चिंता के अपने अन्य कार्य पर ध्यान केंद्रित कर सकता हूं क्योंकि मुझे विश्वास है कि अगर सीआरपीएफ मौजूद है, तो जीत सुनिश्चित है।’
शाह ने आगे कहा, ‘आपमें से 2,264 ने अपने प्राणों की आहुति दी है। मैं सभी शहीदों के परिवारों से कहना चाहता हूं कि जैसे-जैसे देश 2047 तक सर्वोच्च शक्ति बनने की ओर अग्रसर होगा, आपके परिवारों का योगदान बहुत बड़ा होगा।’
उन्होंने कहा कि जब भारत की आजादी का स्वर्णिम इतिहास लिखा जाएगा, तो ‘हमारे अमर शहीदों के बलिदान की गाथा स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी। मुझे इस बात का पूरा विश्वास है।’
आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि यह कार्यक्रम सीआरपीएफ के 86वें स्थापना दिवस समारोह का हिस्सा है। सीआरपीएफ दिवस हर साल 19 मार्च को मनाया जाता है, क्योंकि 1950 में इसी दिन तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने बल को ध्वज प्रदान किया था।
इस वर्ष, विस्तारित समारोह के हिस्से के रूप में 17 अप्रैल को परेड आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी शामिल हुए।
27 जुलाई 1939 को नीमच में ही ब्रिटिश शासन के दौरान ‘क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस’ की स्थापना की गई थी, जिसका नाम 28 दिसंबर 1949 को तब के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बदलकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल कर दिया था।
सीआरपीएफ ने रियासतों के एकीकरण से लेकर आंतरिक सुरक्षा, उग्रवाद-आतंकवाद विरोधी अभियानों, अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापना, वीआईपी सुरक्षा और आपदा प्रबंधन जैसे कई मोर्चों पर सशक्त भूमिका निभाई है।
भाषा दिमो
मनीषा
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