श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर राज्य प्रशासन ने ‘हाईवे प्रतिबंध’ को लेकर विरोध झेल रहा है. एलओसी के पार पाकिस्तान के साथ व्यापार को निलंबित करने का गृह मंत्रालय का नया आदेश केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर के बीच चुनावी मौसम में टकराव की स्थिति उत्पन्न कर सकता है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने गृह मंत्रालय के इस कदम की आलोचना की है. जबकि अलगाववादी नेताओं ने शुक्रवार को एक बयान जारी करके सलामाबाद और चाकन-दा-बाग पर व्यापार के निलंबन की निंदा की.
श्रीनगर में व्यापारियों और ट्रेड यूनियन के नेताओं ने कहा कि इस फैसले के ‘विनाशकारी परिणाम’ होंगे और केंद्र सरकार के आदेश के रद्द होने तक 40,000 से 50,000 लोगों और उनके परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी. हालांकि, गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि इस पर कड़े कदम उठाने के बाद दोबारा गौर किया जाएगा.
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प्रतिबंध के कारण
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि प्रतिबंध राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के निष्कर्षों के बाद लगाया गया है, जो एलओसी ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जहूर अहमद वटाली की जांच कर रहा था.
दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किए गए आधिकारिक दस्तावेज़ यह स्पष्ट करते हैं कि ऐसे पांच कारण थे जिनके कारण व्यापार निलंबित किया गया था.
एक दस्तावेज से पता चलता है कि थर्ड-पार्टी के सामानों की घुसपैठ, आतंक के लिए फंडिंग, अवैध ड्रग्स का व्यापार, घाटी में आतंकवादियों को समर्थन देने के लिए हथियारों की आपूर्ति और नकली नोटों को फैलाया जा रहा था. प्रत्येक दस्तावेज़ में ऐसी घटनाओं या उदाहरणों का उल्लेख है जैसे नकली मुद्रा, ड्रग्स और हथियारों की जब्ती.
दस्तावेज़ में लिखा है, ‘बड़े पैमाने पर होने वाले दुरुपयोग और खामियों के मद्देनजर अवैध और देश विरोधी गतिविधियों
ने भारत सरकार को ऐसा करने को मजबूर किया है’.
व्यापार का विवरण
सरकारी व्यापारिक दस्तावेजों के अनुसार 21 वस्तुओं को सलामाबाद से चकोटी और चाकन-दा-बाग से रावलकोट तक व्यापार करने की अनुमति है. मुख्य रूप से ताजे फल और सब्जी उत्पाद का व्यापार होता है.
दस्तावेजों में कहा गया है कि 21 अक्टूबर 2008 से 7 मार्च 2019 के बीच भारतीय पक्ष से किए गए निर्यात की कीमत 3,076 करोड़ रुपये से अधिक थी. जबकि आयात 2,709 करोड़ रुपये का किया गया था. कुल 49,367 ट्रकों ने सामान बेचने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया और 28,752 पाकिस्तानी ट्रक अपने माल के साथ आए. व्यापार ने कुल 1,63,560 श्रम दिन प्रदान किए हैं.
जल्दबाजी में लिया गया फैसला
क्रॉस एलओसी ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष हिलाल तुर्की कश्मीर के सबसे बड़े सब्जी और फल बाजार के मार्केट में बसे हैं. वे बताते हैं कि व्यापार पर रोक लगाने के इस फैसले को इतना जल्दीबाजी में नहीं लेना चाहिए था. वह बताते हैं, ‘हमीं लोगों ने प्रशासन से व्यापार वाली जगहों पर बॉडी स्कैनर लगाने की मांग की थी. यहां तक कि गृह मंत्रालय ने हमारे कहने पर मशीनों को उपलब्ध भी कराया था.’ वे आगे कहते हैं, ‘लेकिन इस तरह से व्यापार को एक साथ बंद कर देना हमारे लिए सजा है. हम इस तरह जीवन यापन नहीं कर पाएंगे.’
उन्होंने यह भी कहा कि हमारा व्यापार बार्टर प्रणाली पर चलता है. लेकिन यूनियन ने इसमें पारदर्शिता लाने के लिए इसे बैंकिग सिस्टम से जोड़ने का सुझाव दिया था.
तुर्की के ही समकक्ष पुंछ में, पवन आनंद ने बताया, ‘लगभग 370 फर्म इस व्यापार में शामिल हैं. हर एक में करीब 100 से 150 लोग ऐसे हैं जो क्रॉस एलओसी ट्रेड पर आश्रित हैं. और कुल करीब 50 हजार के आसपास लोग हैं. उनके परिवारों का क्या होगा. ये गरीब लोग हैं जिन्हें अपने परिवार का पेट पालना है.’ वे पारदर्शी सिस्टम के खिलाफ नहीं है लेकिन केवल कुछ लोगों की वजह से सभी लोगों को दोष देना सही नहीं है.
मजदूरों की व्यथा
उरी क्षेत्र के उत्तरी कशमीर में बतौर कॉन्ट्रैक्ट मजदूर का काम करने वाले मोहम्मद लतीफ अवान ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि अब 140 मजदूरों को वो क्या जवाब देंगे.
वे कहते हैं, ‘हम अमीर नहीं है. और अगर ये रोक जारी रही तो हमारे पास कोई अन्य साधन नहीं है जिससे हम अपने परिवारों को राहत पहुंचा सकें. मैं 140 मजदूरों और उनके परिवारों की इस हालत का जिम्मेदार हूं. वे 6 हजार रुपये प्रतिमाह पर काम करते हैं और उनमें से कई ऐसे हैं जो पिछले 10 सालों से इससे जुड़े हैं. उनके पास अपना पेशा बदलने के लिए अन्य कोई स्किल या नेटवर्क नहीं है. केवल उरी में ही लगभग 5 हजार लोग इस व्यापार में शामिल हैं. हम इससे कैसे बच सकते हैं. मैं इस मुद्दे पर सरकार से पुनर्विचार करने की गुजारिश करता हूं.’
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अगर ये घोषणा पहले होती तो चुनाव पर असर पड़ता
बारामूला लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले उरी में पहले चरण के मतदान के मद्देनजर, 11 अप्रैल को चुनाव हुए थे. और अगर यह निर्णय पहले पास किया गया होता तो इससे चुनावों पर असर पड़ सकता था.
ट्रक ड्राइवर अली मोहम्मद ने बताया, ‘पिछले डेढ़ महीने से हम अपना ट्रक एलओसी की तरफ नहीं ले गए हैं. हमें बताया गया है कि उस मार्ग पर निर्माण कार्य चल रहा है.’ बकौल मोहम्मद, ‘पिछले एक महीने से हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी और अब अचानक से बताया गया कि व्यापार को बंद किया जा रहा.’
राज्य में बेराजगारी बढ़ने की आशंका जताते हुए वह कहते हैं, ‘हमारे बच्चे पढ़े-लिखे हैं और हमारे पास नौकरी नहीं है. अब उन्हें भी ये ट्रकें चलानी पड़ेंगी. अब ये नौकरी भी इनके पास नहीं रही.’
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