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नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि ”हानिकारक मंसूबों वाली कुटिल ताकतें” भारत के संवैधानिक लोकतंत्र की छवि धूमिल करना चाहती हैं।
भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के परिवीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने उनसे आग्रह किया कि वे देश की सेवा करते समय नवोन्वेषी बनें व लीक से हटकर सोचें और ऐसे प्रयासों को नाकाम करें।
उन्होंने कहा, “हमारे पास मौजूद समृद्ध मानव संसाधन के कारण देश का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। आप इसका प्रतिनिधित्व करते हैं, इसकी मिसाल हैं, आपने इसे साबित किया है।”
धनखड़ ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता नहीं दिए जाने के मुद्दे पर भी बात करते हुए कहा कि दुनिया की आबादी के छठे हिस्से भारत को निर्णय लेने वाले वैश्विक निकायों से दूर रखा गया है।
धनखड़ ने कहा कि भारत आज एक पसंदीदा निवेश स्थल और आशा की किरण बन गया है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के किसी भी सुझाव को सबसे शक्तिशाली देश गंभीरता से लेते हैं।
धनखड़ ने कहा कि ”हानिकारक मंसूबों वाली कुटिल ताकतें” भारत के संवैधानिक लोकतंत्र को कलंकित करने, धूमिल करने और कमजोर करने पर तुली हुई हैं।
भाषा जोहेब वैभव
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