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Thursday, 4 September, 2025
होमदेशवोटर एनरोलमेंट में कथित जालसाजी को लेकर सोनिया गांधी के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज

वोटर एनरोलमेंट में कथित जालसाजी को लेकर सोनिया गांधी के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज

यह शिकायत अधिवक्ता विकास त्रिपाठी द्वारा दायर की गई है, जिसमें यह जांच की मांग की गई है कि सोनिया गांधी अप्रैल 1983 में भारतीय नागरिक बनने से पहले ही कैसे वोट डाल पाईं.

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नई दिल्ली: पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ वोटर एनरोलमेंट में दस्तावेजों की कथित जालसाजी के मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में आपराधिक शिकायत दर्ज की गई है. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि गांधी ने भारत की नागरिकता प्राप्त करने से पहले ही भारतीय वोटर का दर्जा पाने के लिए फर्जी दस्तावेज़ का इस्तेमाल किया.

यह शिकायत अधिवक्ता विकास त्रिपाठी द्वारा दायर की गई है, जिसमें यह जांच की मांग की गई है कि सोनिया गांधी अप्रैल 1983 में भारतीय नागरिक बनने से पहले ही कैसे वोट डाल पाईं.

मामला अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी वैभव चौरेसिया के समक्ष आया. अदालत ने शिकायतकर्ता की ओर से की गई विस्तृत दलीलें सुनीं और नोट किया कि याचिकाकर्ता की ओर से बहस पूरी हो चुकी है. अब मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी.

शिकायतकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सोनी और पवन नारंग पेश हुए. अधिवक्ता नारंग ने दलील दी कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं बल्कि कानूनी है. उन्होंने कहा कि कथित कृत्य “संज्ञेय अपराध” की श्रेणी में आते हैं और इसकी पुलिस जांच आवश्यक है.

शिकायत के अनुसार, सोनिया गांधी मूल रूप से इटली की नागरिक थीं और 30 अप्रैल 1983 को नागरिकता अधिनियम की धारा 5 के तहत भारतीय बनीं, लेकिन उनका नाम 1981-82 में ही नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज हो गया था, जिससे उस समय चुनाव आयोग को दिए गए दस्तावेजों पर सवाल उठते हैं.

नारंग ने अदालत को बताया कि 1982 में सोनिया गांधी का नाम, उनके दिवंगत देवर संजय गांधी के नाम के साथ, मतदाता सूची से हटा दिया गया था. उन्होंने कहा कि यह हटाया जाना इस बात का संकेत है कि पहले उनका नाम वोटर लिस्ट में गलत तरीके से जोड़ा गया था, क्योंकि केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकते हैं.

दस्तावेजों का हवाला देते हुए नारंग ने कहा कि वोटर सूची में शामिल करने के लिए संभवतः फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया.

उन्होंने कहा, “एक सार्वजनिक प्राधिकरण को गुमराह किया गया है और ऐसा प्रतीत होता है कि धोखाधड़ी की गई है.”

उन्होंने आगे कहा कि शिकायत दिल्ली पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों को देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद याचिकाकर्ता के पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. याचिका में एफआईआर दर्ज करने और कथित अपराधों की जांच कराने का निर्देश देने की मांग की गई है.

शिकायत में 1985 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले ‘राकेश सिंह बनाम सोनिया गांधी’ का भी हवाला दिया गया है, जिसमें चुनाव याचिका के संदर्भ में उनकी नागरिकता के मुद्दे की जांच की गई थी. अदालत ने तब माना था कि सोनिया गांधी 30 अप्रैल 1983 को पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिक बनीं. हालांकि, मौजूदा याचिका का कहना है कि उस तारीख से पहले किया गया कोई भी वोटर एनरोलमेंट अवैध था.

याचिकाकर्ता ने अदालत से पुलिस को जांच करने, रिकॉर्ड मंगाने और उस समय चुनाव आयोग को दिए गए दस्तावेजों की जांच कराने का अनुरोध किया है. अदालत इस मामले पर अब 10 सितंबर 2025 को फिर से सुनवाई करेगी.


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