नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को बिहार के आश्रय गृहों में बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के सभी 17 मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है. जांच सीबीआई को सौंपते हुए अदालत ने कहा, ‘अगर राज्य सरकार ने अपना कार्य सही से किया होता तो मामलों को सीबीआई को नहीं सौंपना पड़ता’.
न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर, न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने बिहार सरकार को सीबीआई को मामले की जांच के लिए हर तरह की सहायता मुहैया कराने के आदेश दिए. राज्य सरकार के वकील ने मामलों की जांच बिहार पुलिस से ही कराने पर ज़ोर दिया था.
अदालत ने पहले से ही मुज़फ्फरपुर आश्रय गृह दुष्कर्म मामले की जांच कर रही सीबीआई को अपनी मौजूदा जांच टीम को बढ़ाने का स्वीकृति दी और कहा कि टीम का कोई भी सदस्य बिना अदालत के आदेश के जांच नहीं छोड़ सकता.
इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मुज़फ्फरपुर आश्रयगृह में नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण मामले में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पटना स्थित आवास और बेगूसराय में उनके ससुराल वालों के घर पर छापेमारी की थी. अर्जुन टोला गांव में वर्मा के ससुराल वालों के घर से 50 गोलियां बरामद की गई थीं. इसके बाद वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा के खिलाफ 18 अगस्त को बेगूसराय के चेरिया बरियारपुर थाना में एक प्राथमिकी दर्ज़ की गई थी.
सर्वोच्च न्यायालय ने मुज़फ्फरपुर आश्रय गृह दुष्कर्म मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को बिहार के भागलपुर जेल से पटियाला जेल स्थांतरित करने का निर्देश दिया था. न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने ठाकुर को पंजाब के उच्च सुरक्षा वाले जेल में भेजे जाने का आदेश दिया, जबकि बचाव पक्ष के वकील ने ठाकुर को दिल्ली भेजे जाने का आग्रह किया था.