कानपुर: कानपुर के बिकरू गांव का हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे 8 पुलिस वालों को जान से मरवाकर, 7 को घायल करके फरार है लेकिन वह पुलिस की नजर में भले ही वह हिस्ट्रीशीटर हो गांव वालों की नजर में गरीबों की मदद करने वाला एक दबंग नेता है. घटना के 24 घंटे से अधिक बीत जाने के बावजूद गांव का कोई भी व्यक्ति उसके खिलाफ एक शब्द बोलने को तैयार नहीं. सब खुद को शुक्रवार की घटना से अंजान बता रहे हैं. वह ऐसा जता रहे हैं जैसे कुछ हुआ ही न हो.
कानपुर के चौबेपुर थाने के बिकरू गांव में विकास दुबे ‘पंडित जी’ नाम से मशहूर है. गांव के लोग बताते हैं कि विकास के क्राइम रिकॉर्ड के बारे में उन्होंने अखबारों में जरूर पढ़ा लेकिन गांव में कभी उसने किसी को नहीं सताया. वह गांव का प्रधान भी रहा लेकिन उस दौरान भी उसने गांव के गरीबों की मदद की. गांव में होने वाली शादियों में भी वह पैसे खर्च करता था.
बिकरू गांव की रानी देवी बताती हैं कि उनकी बेटी की शादी में विकास दुबे ने आर्थिक मदद की थी. इसी तरह गांव के कई लोगों की शादियों में मदद कर चुका है.
कानपुर देहात की राजनीति का पाॅवर सेंटर
बिकरू गांव के राजू कुमार बताते हैं, ‘जब भी क्षेत्र में कोई चुनाव होता था तो उसमें विकास दुबे पॉवर सेंटर हुआ करते थे. वह किसी एक दल में नहीं बल्कि सभी दलों में प्रभाव रखते थे. पिछले 15 साल से गांव की प्रधानी विकास के परिवार में ही है. पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा तक में उनका दबदबा माना जाता रहा है. तमाम दलों के नेता मदद लेने आया करते थे. यही कारण है कि सोशल मीडिया पर उनके तमाम दलों के नेताओं के साथ फोटो मौजूद हैं. वह सर्वणों की राजनीति के लिए मशहूर थे लेकिन दूसरी जाति के नेताओं से भी उनके अच्छे सबंध माने जाते हैं.’
गांव के एक वरिष्ठ नागरिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विकास इस बार कानपुर देहात की रनियां विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ने की भी तैयारी कर रहा था. इस कारण उसने बीते दिनों लखनऊ से दिल्ली तक के तमाम नेताओं से संपर्क करने की कोशिश की. बसपा व सपा के नेताओं से उसके अच्छे संबंध माने जाते थे लेकिन अब वह भाजपा में अपने संबंध बेहतर बनाने में जुटा था लेकिन इस घटना ने उसके सारे अरमानों पर पानी फेर दिया.
गांव में नहीं रखता था परिवार को
बिकरू गांव की रानी देवी कहती हैं कि विकास का परिवार गांव में नहीं रहता था. उसकी पत्नी व दो बच्चे लखनऊ के कृष्णानगर इलाके में रहते थे. विकास अपने परिवार को गांव से दूर रखता था. उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य जरूर थी लेकिन उसका सारा काम विकास ही देखता था. उसकी मां विकास के भाई के साथ लखनऊ रहती थीं. वहीं पिता व नौकरानी और उसका पति विकास के साथ ही गांव वाले घर पर रहते थे.
उन्होंने कहा कि विकास के साथ हमेशा 20 से 25 लड़कों का ग्रुप चलता था. वह आसपास के नवयुवकों को भी अपने साथ जोड़कर चलता था. विकास उनके खर्चे भी उठाता था. विकास के घर पर दर्जनों युवक डेरा डाले रहते थे. गांव के बीचोबीच बना विकास का घर किसी महल से कम नहीं है. घर के गेट पर कई सीसीटीवी भी लगे हैं जिसे घटना स्थल से फरार होने से पहले विकास खराब करके भागा है.
60 केस हैं दर्ज, थाने में घुसकर हत्या का लगा था आरोप
लगभग 47 वर्षीय विकास दुबे पर कानपुर में ही 60 अलग-अलग केस दर्ज हैं जिनमें हत्या के आरोप से लेकर किडनैपिंग और लूट के आरोप भी हैं. पास के शिबली गांव के रहने वाले पूर्व जिला पंचायत सदस्य लल्लन वाजपेयी बताते हैं कि 1991 में 17 वर्ष की उम्र में ही विकास पर पहला हत्या का आरोप लग गया था. इसके बाद कभी मर्डर, कभी जमीन कब्जा करने के तमाम आरोप उस पर लगते रहे हैं.
साल 2000 में शिवली थाना क्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के मामले में भी विकास दुबे को नाम आया था. इसी साल उसके ऊपर कानपुर के ही रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साजिश रचने का आरोप लगा.
फिर 2001 में विकास पर थाने के अंदर घुसकर बीजेपी के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या का आरोप भी है. इस घटना के बाद वह प्रदेशभर के चर्चित बदमाशों में शामिल हो गया. हैरानी की बात ये थी कि संतोष शुक्ला हत्याकांड में वह गवाहों के पलट जाने के कारण जेल से छूट गया.
इसके बाद उसके लगातार तमाम मर्डर केस में नाम आए. 2004 में एक केबल व्यवसाई दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास का नाम आया था. 2018 में उसने अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला कराया था. अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इस मामले में वह इसी साल की शुरुआत में जेल से छूट कर आया था.
गांव के ही एक अन्य सदस्य ने बताया कि विकास पुलिस में भी दरोगा व सिपाहियों से अच्छे संबंध रखता है. उनमें से कई तो उसके मुखबिर भी हैं. माना जा रहा है कि शुक्रवार को पुलिस की दबिश की जानकारी भी उसे पुलिस विभाग के किसी आदमी ने ही दी थी जिसके बाद विकास ने अपने साथियों के साथ मिलकर पूरी प्लानिग की थी.
फिलहाल विकास के टेरर की वजह से भले ही गांव वाले अभी न बोल रहे हों लेकिन अगर पुलिस इस मामले में विकास की गिरफ्तारी कर उसे कड़ी सजा दिलाती है तो विकास की दबंगई का ही नहीं बल्कि उस टेरर का भी अंत होगा जिसमें गांव के तमाम लोग जी रहे हैं.