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Sunday, 5 May, 2024
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उन्नाव केस : विधायक के हमले के डर से पीड़िता ने सीबीआई को जून में ही केस ट्रांसफर के लिए कहा था

आपराधिक मामलों के वकीलों का कहना है कि अगर उन्नाव रेप पीड़िता की मौत हो गई तो बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ मामला कोर्ट में कमजोर पड़ जायेगा.

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नई दिल्ली: उन्नाव रेप पीड़िता और उसके परिवार ने जून में सीबीआई से संपर्क किया था. उन्होंने मुकदमे को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की थी. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक पीड़िता और परिजन को भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत उसके सहयोगियों द्वारा हमला किए जाने का डर था.

पीड़िता ने अप्रैल 2018 में विधायक पर बलात्कार का आरोप लगाया था. उसका रविवार शाम एक्सिडेंट हो गया है. वह जिंदगी और मौत से जूझ रही है. इस हादसे में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई है. पीड़िता का वकील भी गंभीर रूप से घायल है. पुलिस ने कहा कि गलत दिशा से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी कार को टक्कर मार दी थी.

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने परिवार को समझाया था कि मुकदमे को शिफ्ट करना एक न्यायिक प्रक्रिया है. यह जो कि उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है.

सूत्रों ने बताया कि ‘पीड़िता और उसकी परिवार को पर्याप्त सुरक्षा दी गई है. इसमें उसके निवास पर सात सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं और हर समय इनमें से तीन सुरक्षा में लगे रहते हैं. परिवार ने अधिक सुरक्षा के लिए सीबीआई से संपर्क नहीं किया था लेकिन यूपी में चल रहे मुकदमे को लेकर वह असहज थे.’


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मामले की जांच सीबीआई की लखनऊ इकाई द्वारा की जा रही है, जिसकी सहायता विशेष अपराध इकाई द्वारा की जा रही है. चूंकि पीड़िता सीबीआई मामले में एक प्रमुख गवाह है, इसलिए एजेंसी ने अब यूपी पुलिस से दुर्घटना के बारे में जानकारी मांगी है.

अब तक का मामला

सीबीआई ने मामले में अप्रैल 2018 में जांच का जिम्मा लिया और चार अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की है.

पीड़िता के शिकायत के आधार पर यह बलात्कार का पहला मामला था. दूसरा पुलिस हिरासत में उसके पिता की हत्या का. तीसरा मामला बलात्कार करने वाले के रिश्तेदारों द्वारा हमला करने का आरोप था. इसमें विधायक के भाई द्वारा क्रॉस शिकायत पर तीसरा मामला दायर किया गया था.

चौथा मामला तीन लोगों द्वारा कथित रूप से सामूहिक बलात्कार करने से संबंधित है, जिसमें सेंगर की सहयोगी शशि सिंह का बेटा भी शामिल है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिफारिश की थी कि इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जाए. पहले दो मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए हैं.

11 जुलाई 2018 को दर्ज बलात्कार मामले की चार्जशीट में सीबीआई ने विधायक और एक महिला पर नाबालिग के साथ यौन शोषण का आरोप लगाया है. उनके खिलाफ आपराधिक साजिश, अपहरण, आपराधिक धमकी और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण) की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.

दूसरे मामले में पीड़िता के पिता की हिरासत में मृत्यु के संबंध में पांच लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है. जबकि विधायक का नाम दूसरी चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया है, उनके भाई अतुल सिंह सेंगर का नाम लिया गया है. हालांकि, सीबीआई इस मामले में विधायक और पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रही है.

पीड़िता के परिवार ने उन्नाव की दो पूर्व पुलिस अधीक्षकों नेहा पांडे और पुष्पांजलि देवी पर भाजपा विधायक और उनके सहयोगियों की मदद करने का आरोप लगाया था.

यदि पीड़िता की मृत्यु हो जाती है, तो मामला कमजोर हो जायेगा

आपराधिक वकील विजय अग्रवाल के अनुसार यदि पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, तो मामला अदालत में ‘कमजोर पड़ जाएगा.’

पीड़िता के बयान को न्यायिक मजिस्ट्रेट ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत और सीबीआई ने भी दर्ज किया था. लेकिन अग्रवाल के अनुसार बयान को सिर्फ ‘पुष्टि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता और सबूत के रूप में नहीं.’

अग्रवाल ने कहा ‘मजिस्ट्रेट के सामने दिया गया बयान बहुत महत्वपूर्ण है. हालांकि, जब तक मरने की घोषणा नहीं होती है, तब तक इसे ठोस सबूत नहीं माना जा सकता है.’ अगर पीड़ित बच नहीं पाती है, तो मामला अदालत में नहीं टिकेगा और कमजोर पड़ जायेगा तो आरोपी छूट जायेगा.

एक अन्य आपराधिक मामलों के वकील, तरन्नुम चीमा ने भी समझाया कि मजिस्ट्रेट के सामने बयान को सबूत के तौर पर नहीं माना जा सकता.


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उन्होंने कहा, ‘निर्भया के मामले में मौत बलात्कार का परिणाम थी. हालांकि, ये दो अलग-अलग घटनाएं हैं और वह भी काफी समय के अंतराल में हुई हैं. इस परिदृश्य में अगर रेप पीड़िता नहीं बचती है तो मामला अदालत में नहीं बचेगा.’

सेंगर के खिलाफ बलात्कार के मामले में सीबीआई की चार्जशीट में पीड़िता की गवाही के आधार पर मुकदमा दायर किया गया है. जेल में रहते हुए भी वह अब भी भाजपा के विधायक हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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