मुंबई: आईसीाईसीआई बैंक की पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव चंदा कोचर को बैंक की हितों के टकराव पर जांच कमेटी ने डिस्क्लोजर नियमों का उल्लंघन का दोषी पाया है. अब उन्हें जितने दिन तक कंपनी के सीईओ रही हैं उस दौरान तक उन्हें बोनस वापस करना होगा.
मामले में चंदा कोचर ने कहा कि वह पूरी तरह निराश और दुखी हैं. मुझे रिपोर्ट की कॉपी नहीं दी गई. मैंने आईसीआईसीआई की पूरे समर्पण और मेहनत से 34 साल से सेवा की है. मुझे जब भी ओआरजी के सर्वोत्तम फायदे के लिए फैसले लेने हुए कभी कतराई नहीं.
Chanda Kochar on being sacked: I'm utterly disappointed&shocked. I haven't been given a copy of the report…I've served ICICI for last 34 yrs with dedication&hard work. I've never shied away from taking tough decisions whenever required in the best interest of the org.(file pic) pic.twitter.com/EVECYlFCL1
— ANI (@ANI) January 30, 2019
वहींं मामले में बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कहा कि जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर वह कोचर बर्खास्त कर रहे हैं. बैंक उनके सभी बकाया रकम और इंक्रीमेंट भी रोकेगी. बैंक के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन पर उन्हें अपने स्टॉक ऑप्शंस भी गंवाने पड़ सकते हैं.
संकट में फंसी आईसीआईसीआई की पूर्व मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर ने बुधवार को कहा कि बैंक में कर्ज देने का कोई भी फैसला एकतरफा नहीं किया गया था. उन्होंने आगे कहा, ‘आईसीआईसीआई स्थापित मजबूत प्रक्रियाओं और प्रणालियों वाला संस्थान है, जहां समिति आधारित सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया है और इसमें कई उच्च क्षमता वाले पेशेवर भी शामिल होते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए संगठन का डिजायन और संरचना हितों के टकराव की संभावना को रोकता है.’
कोचर ने यह प्रतिक्रिया वीडियोकॉन समूह को दिए गए 3,250 करोड़ रुपये के विवादास्पद ऋण मामले में न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण समिति द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद दी.
समिति ने कहा कि इस ऋण को देने में बैंक के आचार संहिता का उल्लंघन किया गया जिसमें हितों का टकराव का आचरण भी शामिल था, क्योंकि इस कर्ज का एक हिस्सा उनके पति दीपक द्वारा चलाई जा रही कंपनी को दिया गया, जिससे उन्हें विभिन्न वित्तीय लाभ प्राप्त हुए.
गौरतलब है कि इससे पहले न्यायमूर्ति श्रीकृष्णा पैनल ने पाया कि चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई आचार संहिता का उल्लंघन किया था.