scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशअपराध'अतीक अहमद के बेटे को मुठभेड़ में 2 और सहयोगी को 1 गोली लगी थी' - झांसी मेडिकल कॉलेज

‘अतीक अहमद के बेटे को मुठभेड़ में 2 और सहयोगी को 1 गोली लगी थी’ – झांसी मेडिकल कॉलेज

उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और उसका परिवार सवालों के घेरे में आ गया था. अतीक अहमद को इसी मामले में दोषी ठहराया गया है, इसके खिलाफ पिछले 43 वर्षों में 100 से अधिक मामले दर्ज हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने पुष्टि की कि गुरुवार को एक मुठभेड़ में एसटीएफ टीम द्वारा मारे गए गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद के बेटे असद को दो गोली लगी थी. महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में उसका शव पोस्टमार्टम के लिए लाया गया था.

उन्होंने बताया कि असद के सहयोगी गुलाम को भी एक गोली लगी है, वह भी गोलीबारी में मारा गया था. गौरतलब है कि दोनों गुरुवार को उत्तर प्रदेश के झांसी में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा मुठभेड़ में मारे गए थे.

झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ नरेंद्र सेंगर ने शुक्रवार को कहा कि असद को दो गोलियां लगी थीं जबकि गुलाम को सिर्फ एक गोली लगी थी.

उन्होंने कहा कि पुलिस उन्हें अस्पताल लेकर आई और मेडिकल जांच के बाद मृत घोषित कर दिया गया.

डॉक्टर सेंगर ने पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पर रोशनी डालते हुए कहा, ‘कानूनी प्रक्रिया के तहत पोस्टमॉर्टम किया गया. पूरे शरीर का एक्स-रे किया गया. पोस्टमॉर्टम की जांच मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की एक टीम ने की.’

उन्होंने कहा, ‘गोली गुलाम के एक अहम अंग में घुस गई थी. जब वह आया तो उसकी पीठ से काफी खून बह रहा था.’

असद और गुलाम दोनों प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में वॉन्टिड थे. इनमें हर एक पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम था.

इससे पहले, राज्य के विशेष महानिदेशक (क़ानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने खुलासा किया कि असद द्वारा अपने पिता अतीक अहमद को पुलिस के काफिले पर हमला करके छुड़ाने की योजना की खुफिया जानकारी के बाद सिविल पुलिस और विशेष बलों की टीमों को तैनात किया गया था. राजनेता को सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश लाया जा रहा था.

प्रशांत कुमार ने कहा, ‘हमारे पास जानकारी थी कि आरोपी अतीक और अशरफ को भागने में मदद करने के (उमेश पाल हत्याकांड) मामले में उन्हें वापस यूपी ला रहे पुलिस के काफिले पर हमला किया जा सकता है. इस सूचना के मद्देनजर, नागरिक पुलिस और विशेष बलों की टीमें तैनात की गईं थीं.’

मुठभेड़ कैसे हुई, इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि सूचना के आधार पर, दो टीमों को तैनात किया गया था और असद को रोक दिया गया था, जबकि वह अपने सहयोगी गुलाम के साथ बाइक पर था.

कुमार ने कहा, ‘सूचना के आधार पर कार्रवाई की गई और दोपहर करीब 12:30 और दोपहर 1 बजे जवाबी गोलीबारी में दोनों मारे गए. विशेष कार्य बल ने पूरे अभियान को अंजाम दिया.’

उन्होंने कहा कि विशेष टीमों का गठन किया गया है और उमेश पाल की हत्या के बाद से लगातार इस मामले पर नजर रखी जा रही है.

28 मार्च को, अतीक अहमद को एक एमपी-एमएलए अदालत ने दोषी ठहराया और अब मृतक उमेश पाल के अपहरण मामले में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और उसका परिवार सवालों के घेरे में आ गया था. अतीक अहमद को इसी मामले में दोषी ठहराया गया है, इसके खिलाफ पिछले 43 वर्षों में 100 से अधिक मामले दर्ज हैं.

बहुजन समाज पार्टी के नेता राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके दो सशस्त्र सुरक्षा एस्कॉर्ट्स में से एक की 24 फरवरी को प्रयागराज के सुलेम सराय इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

अधिकारियों के मुताबिक, उमेश और उसके बंदूकधारियों पर कई राउंड फायरिंग की गई और बम फेंके गए.


यह भी पढ़ेंः सेक्युलरवाद की राजनीति के लिए जरूरी है दोस्त बनाना लेकिन वो दुश्मनों की फौज खड़ी कर रहा है 


 

share & View comments