नयी दिल्ली,19 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि दहेज हत्या समाज के खिलाफ एक अपराध है और इस बारे में एक सख्त संदेश देना चाहिए कि इस तरह का अपराध करने वाले व्यक्ति से कठोरता से निपटा जाएगा।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304बी को शामिल करने का विधायी इरादा दहेज हत्या के अपराध से कठोरता से निपटना था।
पीठ ने कहा, ‘‘उपरोक्त पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दहेज हत्या के लिए सजा देने पर विचार करने की जरूरत है। समाज में एक सख्त संदेश जाना चाहिए कि दहेज हत्या का अपराध करने वाले किसी व्यक्ति से/या दहेज निषेध अधिनियम के तहत अपराधों से सख्ती से निपटा जाएगा।’’
न्यायालय ने एक महिला की सास और ससुर द्वारा दायर अपील की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने महिला की सास और ससुर को दोषी करार दिया था। महिला की शादी के एक साल के अंदर मौत हो गई थी।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘शादी के एक साल के अंदर महिला की मौत हो गई। आरोपियों ने यह झूठी कहानी गढ़ी कि डायरिया से उसकी मौत हुई है, जिसे बचाव पक्ष साबित नहीं कर सका।’’
भाषा सुभाष माधव
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