कन्नूर (केरल), सात अप्रैल (भाषा) माकपा की 23वीं कांग्रेस में बृहस्पतिवार को ईंधन की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया गया और राजग शासन के दौरान लगाए गए अतिरिक्त करों को तत्काल वापस लेने की मांग की गयी।
बैठक में लोगों से पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध करने का आग्रह किया गया और सरकार से अमीरों पर कर बढ़ाने की मांग की गई।
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘माकपा की 23वीं कांग्रेस नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के साथ मिलकर तेल कंपनियों द्वारा पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि का विरोध करती है।’’
प्रस्ताव में कहा गया है कि पेट्रोलियम की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ रही है और इसका मतलब है- बड़े पैमाने पर संसाधनों को मेहनतकश लोगों से शासक वर्गों और केंद्र सरकार को हस्तांतरित करना।
इसमें कहा गया है, ‘‘माकपा की कांग्रेस राजग शासन के दौरान लगाए गए अतिरिक्त करों को तत्काल वापस लेने की मांग करती है। यह मांग करती है कि सरकार अमीरों पर कर बढ़ाए, पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा मूल्य पर नियंत्रण लगाए और कम करे तथा पेट्रोलियम क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के निजीकरण को रोके।’’
पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार के राजस्व के रूप में पेट्रोलियम पर कर की हिस्सेदारी 5.4 प्रतिशत से बढ़कर 12.2 प्रतिशत हो गई है और ईंधन की खुदरा कीमत 22 मार्च से लगभग प्रतिदिन बढ़ रही है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि ईंधन की कीमतों को नियंत्रण मुक्त करने का कारण यह था कि बाजार में कीमतें निर्धारित करना अधिक कुशल हो सके, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रीय करों में हेरफेर कर रही है ताकि लोगों को कच्चे तेल के बाजार भाव में गिरावट से होने वाले किसी भी लाभ से वंचित किया जा सके।
इसमें कहा गया, ‘‘विनियमन के पीछे असली मकसद रिलायंस पेट्रोलियम जैसे खुदरा क्षेत्र में नए निजी प्रवेशकों को लाभ देना था, जिसे तेल पूल खाते से सब्सिडी नहीं दी जा सकती थी।’’
प्रस्ताव में, पार्टी ने भाजपा की इस बात को खारिज कर दिया कि राज्य सरकारों को राज्य करों को कम करके लोगों पर बोझ को कम करना चाहिए, जबकि वह केंद्र सरकार थी, जिसने कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट पर करों में वृद्धि की थी।
भाषा अमित सुरेश
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