कोलकाता, 22 अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) पर फुरफुरा शरीफ के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाये जाने के एक दिन बाद मंगलवार को विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर वोटबैंक की खातिर राज्य में अल्पसंख्यकों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
बनर्जी ने सोमवार को इमामों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि कुछ लोग बेलूर मठ के विपरीत फुरफुरा शरीफ के नाम पर राजनीति कर रहे हैं, जोकि कभी भी किसी तरह की राजनीति में शामिल नहीं रहा।
उन्होंने कहा था, ‘‘कुछ युवाओं को गुमराह किया जा रहा है और फुरफुरा शरीफ के नाम पर राजनीति की जा रही है। यह परिपाटी नहीं होनी चाहिए। बेलूर मठ में कोई राजनीति नहीं है। इसी प्रकार, फुरफुरा शरीफ पर भी कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि हम अपने धर्म को हर चीज से ऊपर सिर्फ अपने दिल और दिमाग में रखते हैं ।’’
बनर्जी बिना नाम लिये आईएसएफ और उसके विधायक नौशाद सिद्दिकी पर निशाना साध रहीं थीं।
माकपा नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि यह तृणमूल कांग्रेस ही है जिसने वोटबैंक की खातिर धर्म को राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘ तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में यह वोटबैंक राजनीति शुरू की और उसने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए धार्मिक नेताओं और धर्म का इस्तेमाल किया। तृणमूल कांग्रेस को इस मुद्दे पर बोलने का कोई हक नहीं है।’’
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सामिक भट्टाचार्य ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर वोटबैंक राजनीति की खातिर राज्य में अल्पसंख्यकों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस वोटबैंक राजनीति की खातिर राज्य में अल्पसंख्यकों को गुमराह कर रही है। तृणमूल कांग्रेस ने यह मार्ग दिखाया है और अब आईएसएफ जैसे दल बस उस दिखाये रास्ते पर चल रहे हैं।’’
आईएसएफ के एकमात्र विधायक नौशाद सिद्दिकी से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं किया जा सका है।
तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि उनकी पार्टी के विरूद्ध अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के आरोप बेबुनियाद हैं।
भाषा राजकुमार पवनेश
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