नयी दिल्ली, 17 जून (भाषा) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सूचित किया है कि जनकपुरी के घरों से एकत्र किए गए नल के पानी के कई नमूने पीने योग्य नहीं थे, क्योंकि उनमें कोलीफॉर्म और ई. कोली बैक्टीरिया का संदूषण पाया गया है।
एनजीटी जनकपुरी ए 1 ब्लॉक रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा आपूर्ति किया जाने वाला जल दूषित है, जिससे निवासियों को ई. कोली, हेपेटाइटिस, यूरोसेप्सिस, टाइफाइड, पीलिया, हैजा और यहां तक कि कैंसर का भी खतरा है।
एनजीटी ने त्वरित कार्रवाई न करने के लिए 14 मई को दिल्ली जल बोर्ड को फटकार लगाई तथा उसके मुख्य अभियंता को तलब किया।
इसने सीपीसीबी को डीजेबी सहित किसी भी प्राधिकारी को सूचित किए बिना दस नए और पुराने स्थानों से नमूने लेने का निर्देश दिया था, और नमूनों का शीघ्रता से विश्लेषण करने का आदेश दिया था, विशेष रूप से फेकल कोलीफॉर्म और ई. कोली बैक्टीरिया के लिए।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 30 मई को कहा, ‘‘सीपीसीबी ने एक रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें खुलासा किया गया है कि 20 घरों से नल के पानी के 20 नमूने एकत्र किए गए थे, और इनमें से छह नमूने भारतीय मानक ब्यूरो (आईएस 10500:2012) के मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं और इन नमूनों में कोलीफॉर्म और ई. कोली मौजूद रहने का पता चला।”
अधिकरण ने कहा कि निवासियों की गंभीर चिंता का समाधान करने में दिल्ली जल बोर्ड की विफलता दुर्भाग्यपूर्ण है।
पीठ ने कहा, ‘‘इससे पता चलता है कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी मामले को बहुत लापरवाही से ले रहे हैं। उन्हें स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति के अभाव में उस क्षेत्र के निवासियों के सामने आ रही समस्या के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है।’’
सीपीसीबी को नए नमूने लेने और 16 जुलाई को अगली सुनवाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।
भाषा
नोमान धीरज
धीरज
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.