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Thursday, 25 April, 2024
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आंध्र के गांव और तेलंगाना में फैले कोविड-19 के मामलों के लिए बड़ी-बड़ी शादियां और अनलॉक जिम्मेदार

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना कोविड का विस्तार रोकने में लगे हैं और अधिकारियों का कहना है कि उनका फोकस, अब ग्रामीण इलाक़ों पर हो गया है.

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हैदराबाद: अगस्त में बलवंतपुर निवासी एक बीड़ी निर्माता ने, जो तेलंगाना के जगतियाल ज़िले अंदरूनी क्षेत्र का एक गांव है. अपने बेटे की शादी पर एक भव्य रिसेप्शन दिया, जिसमें 200 से अधिक मेहमान आमंत्रित थे.

ये केसीआर सरकार के तय किए हुए कोविड-19 नियमों का उल्लंघन था- जिनके तहत केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स के मुताबिक़ शादियों में सिर्फ 50 मेहमान बुलाने की अनुमति है. समारोह के अगले दिन क़रीब 70 मेहमानों के टेस्ट पॉज़िटिव पाए गए.

जगतियाल में ही स्थित धर्मपुरी में, 250 लोग अगस्त में एक शादी में शरीक हुए और बाद में उनमें से 68 लोग पॉज़िटिव पाए गए.

परिवार के एक नज़दीकी सूत्र के अनुसार दूल्हा और दुल्हन के माता-पिता को अपनी ‘ग़लती का इतना अहसास’ हुआ कि वायरस फैलने के बाद उन्होंने लोगों से मिलना-जुलना छोड़ दिया.

ज़िला चिकित्सा अधिकारी पी श्रीधर ने कहा, ‘बलवंतपुर में स्थिति ये थी कि इस घटना के बाद पूरे गांव के लोगों को, ‘सेल्फ क्वारंटीन’ में जाना पड़ा. उन्होंने आगे कहा, ‘हमें पता चला कि शादी में न कोई मास्क थे और न ही कोई फिज़िकल डिस्टेंसिंग थी.’

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बलवंतपुर और धर्मपुरी अकेले नहीं हैं. पूरे तेलंगाना और उसके पड़ोसी तेलुगू राज्य आंध्र प्रदेश में जून के बाद लॉकडाउन में ढील दिए जाने से गांवों से शादियों जैसे बड़े पैमाने के सामुदायिक आयोजनों की ख़बरें आईं हैं. इन आयोजनों में दर्जनों की संख्या में मेहमान आते हैं और यहां हमेशा बड़े पैमाने पर कोविड फैल जाता है.

मध्य-जुलाई और अगस्त में, ‘श्रवण मासम’ के कारण, शादियों की संख्या में इज़ाफा देखा गया था. ‘श्रवण मासम’ को हिंदू/तेलुगू केलेंडर में, शुभ समय माना जाता है.


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चूंकि ऐसे बहुत से गांव अंदरूनी इलाक़ों में हैं. इसलिए ज़िला-स्तर के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इन घटनाओं का पता तब चलता है, जब इनफेक्शंस का एक सिलसिला सामने आता है और वो उसका स्रोत ढूंढने निकलते हैं.

ऐसा कोई डेटा नहीं है जिससे इन दो राज्यों के ग्रामीण इलाक़ों में कोविड-19 की सही संख्या का अनुमान लगाया जा सके. लेकिन आंध्र व तेलंगाना में एक अगस्त और 14 सितंबर के बीच कोविड मामलों में क्रमश: 282 प्रतिशत और 140.8 प्रतिशत का उछाल देखा गया.

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, कोविड का विस्तार रोकने में लगे हैं और अधिकारियों का कहना है कि उनका फोकस अब ग्रामीण इलाक़ों पर हो गया है.

बढ़ती घटनाएं

तेलंगाना के करीमनगर शहर के क़रीब स्थित, 350 की आबादी के गांव गोविंदापुर से, जहां जुलाई अंत में एक शादी समारोह हुआ था. 60 कोविड मामलों की ख़बर मिली. ज़िला चिकित्सा अधिकारी डॉ सुजाता के अनुसार करीम नगर के क़रीब 9,000 पॉज़िटिव मामलों में से, लगभग 40 प्रतिशत ग्रामीण इलाक़ों से हैं.

आंध्र प्रदेश में, चेलुरु गांव में एक परिवार ने, जून में शादी का रिसेप्शन दिया, जिसके बाद 300 में से 100 मेहमान कोविड-19 पॉज़िटिव निकले.

चेलुरु ईस्ट गोदावरी ज़िले में है, जिसमें राज्य में सबसे अधिक मामले दर्ज हैं. 11,000 की आबादी वाले चेलुरू में भी, मामलों में तब उछाल आया, जब पास के गोल्लाला मामीदादा गांव में एक शादी में शिकरत के बाद कम से कम 20 लोगों के टेस्ट पॉज़िटिव पाए गए.

गोल्लाला मामीदादा ख़ुद भी एक हॉटस्पॉट बन गया, जब वहां जून में एक शादी और बर्थडे पार्टी का आयोजन किया गया.

डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर (हॉस्पिटल्स) टी रमेश किशोर ने कहा, ‘जब तक हम ऐसे लोगों का पता लगा पाते हैं, ये दूसरे लोगों से मिल-जुल रहे होते हैं, इसलिए फैलाव व्यापक हो जाता है. हम इस स्थिति में नहीं थे कि चेलुरू गांव के इतने सारे लोगों को, आईसोलेशन के लिए क्वारंटीन सेंटर्स में रख सकते.’ गांव को मजबूरन सेल्फ-क्वारंटीन में जाना पड़ा.’

ज़िला चिकित्सा अधिकारी डॉ एम मलिक ने कहा कि इन गांवों के इनफेक्शंस की कड़ी, रामचंद्रपुरम, अनापार्थी, मंडापेटा और रयावापुरम जैसे पास के इलाक़ों में भी पहुंच गई है.

ज़िला स्वास्थ्य विभार के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ईस्ट गोदावरी जहां मई के शुरू में क़रीब 45 केस थे. अब ये संख्या 78,220 पहुंच गई है. मामलों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या 51,966 कुर्नूल में है, जहां क़रीब 30 प्रतिशत केस देहाती इलाक़ों से हैं.

सिर्फ शादियां ही ज़िम्मेदार नहीं

शादियां सबसे ज़्यादा आयोजित होने वाले कार्यक्रम हो सकती हैं, लेकिन वो अकेले ऐसे सामुदायिक आयोजन नहीं हैं, जहां भारी भीड़ जमा होती है. मसलन, 31 जुलाई को ईस्ट गोदावरी ज़िले में, ‘वारालक्ष्मी वृथम’ त्योहार का समारोह, भव्य पैमाने पर आयोजित किया गया.

डिस्ट्रिक्ट कोऑरिडेनेटर टी रमेश ने कहा कि मंदिरों में भीड़ थी लोगों के जमावड़े थे और इसमें अधिकतर मास्क और फासले का ध्यान नहीं रखा गया था.

तेलंगाना के जनगांव ज़िले के अलीमपुर गांव में, किसी की मौत की दसवीं के समारोह में शिरकत करने के बाद, एक ही ख़ानदान के 94 लोगों के टेस्ट पॉज़िटिव पाए गए.


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ज़िला चिकित्सा अधिकारी डॉ महेंदर ने कहा, ‘तेलुगू परिवारों में ये कल्चर है कि मौत की दसवीं के समारोह में शराब सर्व की जाती है. यहां भी लोगों ने शराब पी और एक जगह जमा हुए. एक आदमी भी मास्क नहीं लगाए था ये सोचकर कि ये परिवार के बीच की बात है.’ उन्होंने आगे कहा, जनगांव के क़रीब 50 प्रतिशत मामले देहाती क्षेत्रों में हैं.’

अधिकारियों के अनुसार लॉकडाउन में ढील और अंतर-राज्यीय यात्रा प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से ग्रामीण इलाक़ों में कोविड के मामले फैले हैं.

अंतर-राज्यीय यात्रा की एक फेक्टर के तौर पर, मई में ही पहचान हो गई थी, जब तमिलनाडु की सीमा से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर चित्तूर के निवासी, जो चेन्नई के कोयम्बेड़ु थोक बाज़ार में धंधा करते थे, कोविड पॉज़िटिव निकलने लगे. ये मार्केट जो लॉकडाउन के दौरान, ज़्यादातर समय खुला रहा, मई में एक हॉटस्पॉट बन गया और तब से बंद चल रहा है. इस हफ्ते इसे फिर से खोलने की योजना है.

चित्तूर में ही प्रसिद्ध तिरुमला मंदिर भी है. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के 700 कर्मचारियों के पॉज़िटिव निकलने के बाद भी और जिस शहर में ये स्थित है. वहां लॉकडाउन होने के बावजूद जून में इसके दोबारा खुलने के बाद टेम्पल बोर्ड ने इसे बंद करने से इनकार कर दिया है.

‘जागरूकता की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड के एहतियात नहीं’

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य विभागों के अनुसार अब वो शहरों की बजाय ग्रामीण इलाक़ों पर ज़्यादा फोकस कर रहे हैं.

बिल्कुल अंदरूनी इलाक़ों में जागरूकता फैलाने की कोशिश में, ज़िलों के अधिकारी ‘टम टम्स’ या ऑटोरिक्शाओं पर, स्थानीय भाषाओं में रिकॉर्ड किए हुए संदेश चला रहे हैं और लोकल टीवी नेटवर्क्स के ज़रिए विज्ञापन प्रसारित करा रहे हैं.

आंध्र प्रदेश कोविड कोऑर्डिनेटर डॉ के रामबाबू ने कहा, ‘गांवों में होम आईसोलेशन मुश्किल होता है, जहां लोग छोटे घरों में रहते हैं. इसलिए अगर एक सदस्य पॉज़िटिव होता है, तो पूरा परिवार कड़ी का हिस्सा बन जा रहा है.’

दूसरा कारण है फिज़िकल डिस्टेंसिंग की कमी. गांवों में ये उनके कल्चर का हिस्सा है कि लोग शाम के समय समूहों में एक साथ बैठते हैं.’

आंध्र प्रदेश ने मार्च से ही पूरे राज्य में कई बार, ‘बुख़ार सर्वेक्षण’ कराने शुरू कर दिए थे. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है, कि जहां तक ‘संदिग्धों की शुरूआती पहचान’ का मामला है, उनका राज्य काफी सक्रिय रहा है.

रामबाबू ने आगे कहा कि अलग अलग ज़िलों में प्रबंधन, स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मज़बूत करने, और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए हेल्थकेयर को, अधिक सुलभ बनाने पर भी काम कर रहा है.

तेलंगाना में, हैदराबाद और उसके आसपास के शहरी इलाक़े कोविड क्लस्टर बन गए हैं, लेकिन ज़िलों के प्रबंधनों को चिंता है, कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसी तरह का विस्तार देखा जा रहा है.

तेलंगाना कोविड कोऑर्डिनेटर डॉ पी श्रवण कुमार ने कहा, ‘वास्तव में, शहरी इलाक़ों में ये प्रकोप धीरे धीरे घट रहा है. लेकिन वारंगल और निज़ामाबाद जैसे ज़िलों के दूसरे मेट्रोपॉलिटन इलाक़ों में, मामले बढ़ रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी यही दिख रहा है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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