नई दिल्ली: दिल्ली सरकार कोविड -19 के मरीजों के शवों और उनके जांच को लेकर एक नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिड्योर (एसओपी) जारी किया है. इसमें कहा गया है कि मृत्यु के बाद किसी मरीज के शरीर से कोरोनावायरस टेस्ट के लिए कोई नमूना नहीं लिया जाएगा.
नया आदेश केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर मार्च में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा जारी मौजूदा आदेशों के आगे की कड़ी है.
यही नहीं नए दिशानिर्देशों के अनुसार एक व्यक्ति को कोविड-19 के कारण हुई मौत तभी मानी जाएगी यदि उनकी पहचान इन तीन मांगों को पूरा करती हो. पहली व्यक्ति की मौत से पहले ही उसका कोविड-19 की जांच हुई हो और वो पोजिटिव आई हो, या फिर गंभीर हाल में कोविड-19 के लक्षणों के साथ मरीज अस्पताल में भर्ती हुआ है या फिर डॉक्टर ने मरीज को कोविड-19 का सस्पेक्ट माना हो.
राज्य सरकार के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मृत शरीर से कोविड-19 के परीक्षण के लिए कोई भी नमूना नहीं लिया जाए. आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि डॉक्टर अपनी जांच में संतुष्ट हैं कि मरीज की मृत्यु का कारण कोविड-19 हो सकता है तो कोरोनावायरस सस्पेक्ट के तौर पर शरीर वापस कर दिया जाएगा.
दिल्ली स्वास्थ्य सचिव पद्मिनी सिंगला से जब दिप्रिंट ने अचानक एसओपी में बदलाव के बारे पूछा तो उन्होंने नई गाइडलाइन की वजह फील्ड में आ रही परेशानियों को बताया.
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दिल्ली सरकार अपने स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों और उनमें गड़बड़ियों की वजह से काफी खबरों में रही थी. दिप्रिंट ने शुक्रवार को खबर की थी कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड से जुड़ी मौतें और दिल्ली सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में भारी अंतर था. दिप्रिंट ने अपने आंकड़ें श्मशान घाट और कब्रगाह में दफन हुए मामलों पर रिपोर्ट बनाई थी. और दिल्ली सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट से चार गुणा अधिक थी.
नए एसओपी में चार परिदृश्यों को किया गया हाईलाइट
एसओपी चार नए परिदृश्यों में होने वाली मौतों पर नया दिशानिर्देश जारी किया है जिसमें- अस्पताल में, कोविड केयर फैसलिटी और टेस्टिंग सेंटर में, घर पर या फिर किसी का लावारिस शरीर पर.
नए आदेश के अनुसार, यदि मरीज की मौत अस्पताल में होती है या फिर कोविड-19 का मरीज मृत लाया जाता है तो अस्पताल एक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी देगा जो शरीर को संरक्षित करे.
दिप्रिंट को मिले दस्तावेज के अनुसार अस्पताल मृत शरीर को श्मशान घाट/दफनाने के लिए शव वाहन भी मुहैया कराएगी जिससे की संक्रमण न फैले. यही नहीं भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, मृतकों का शरीर पैक्ड कर रिश्तेदारों को सौंप दिया जाएगा.
यदि किसी मामले में कोई रिश्तेदार उपलब्ध नहीं है, तो एक अस्पताल को उचित कीटाणुशोधन सुनिश्चित करने के बाद शव को मोर्चरी में स्टोर किया जाना चाहिए.
एसओपी यह भी कहता है कि एक अस्पताल तय कर सकता है कि शव परीक्षण किया जाना है या नहीं.
यदि मृत्यु एक कोविड केयर सेंटर में होती है, कोविड स्वास्थ्य केंद्र या कोविद टेस्टिंग सेंटर में होती है, तो उससे जुड़े हुए अस्पताल जरूरी प्रोटोकॉल का पालन करेंगे. हालांकि, शव वाहन जिला मजिस्ट्रेट द्वारा शव को शवगृह में पहुंचाने और फिर अंतिम संस्कार के लिए दी जाएगी.
यदि मरीज की मौत घर पर होती है तो रिश्तेदारों को तुरंत जिलाधिकारी को सूचना देनी होगी.
नए आदेश के अनुसार जिलाधिकारी जिले में मौजूद पास के अस्पताल में तुरंत सूचना देनी होगी. साथ ही जिलाधिकारी शव वाहन मुहैया कराएगा जो अस्पताल और फिर शव को शवदाह गृह या फिर कब्रगाह ले जाएगा जिसमें यह सनिश्चित किया जाएगा कि इससे संक्रमण न फैले.
नए एसओपी पर टिप्पणी करते हुए लेडी हार्डिंग अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. एनएस माथुर ने कहा,’ ये लगभग पहले की तरह ही हैं, सिर्फ इसके कि कोई परीक्षण किसी मृत शरीर पर नहीं किया जाएगा. पहले हमलोग मृतक के शरीर का भी कोविड-19 टेस्ट किया करते थे.
उन्होंने कहा कि यह अच्छा था कि सरकार ने साफ किया है कि शव को श्मशान में कौन ले जाएगा.
वहीं एक दूसरे कोविड अस्पताल ने कहा कि पहले हम इस आदेश से पहले शोध के लिए मृत शरीर का कोविड टेस्ट किया करते थे.
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आरएमएल अस्पताल की प्रवक्ता स्मृति तिवारी ने कहा, ‘पहले हमलोग मरीज के शरीर की जांच वायरस की वजह से करते थे लेकिन अब आदेश आ गया है कि मृत्यु के बाद टेस्ट नहीं करना है.’
दिल्ली में रविवार को 19 लोगों की मौत कोरोनावायरस के कारण हुई है जबकि 422 नए मामले सामने आए हैं. दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले 10,000 को पार कर चुका है.