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Wednesday, 20 November, 2024
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पश्चिम बंगाल के हर जिले में बनेगा कोविड-19 अस्पताल, लॉकडाउन की मियाद 15 अप्रैल तक बढ़ाई गई

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के तमाम जिलों में गरीबों और प्रवासी मजदूरों के लिए अस्थायी शिविर बनाने का भी निर्देश दिया है.

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के तमाम जिलों में कोविड-19 के मद्देनज़र एक-एक अस्पताल खोलने का फैसला किया है. पहले से बने अस्पतालों को ही कोरोना के इलाज के लिए स्पेशलिटी अस्पताल में बदला जाएगा. इस बीच, दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी स्थित उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना पीड़ित एक महिला की मौत के साथ ही राज्य में इस वायरस से मरने वालों की तादाद बढ़ कर दो हो गई है.

राज्य में कोरोना से पीड़ित मरीजों की तादाद भी बढ़ कर 22 तक पहुंच गई है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि वह महिला अपनी पुत्री का इलाज कराने के बाद चेन्नई से लौटी थी. तबियत बिगड़ने के बाद इसे मेडिकल कॉलेज में दाखिल कराया गया था. कोरोना के लक्षणों के साथ कोलकाता के सरकारी एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिल होने के कुछ घंटे के भीतर ही 45 साल की एक महिला की भी मौत हो गई. लेकिन फिलहाल उसकी जांच रिपोर्ट नहीं आई है. रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा कि वह कोरोना से पीड़ित थी या नहीं. वह हाल में वेल्लोर से एनीमिया का इलाज करा के लौटीं थीं.

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए तमाम जिलाशासकों और पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक में कोरोना से उपजी परिस्थिति का जायजा लिया. बैठक के बाद उन्होंने लॉकडाउन की अवधि 15 अप्रैल तक बढ़ाने और साथ ही तमाम जिलों में कोरोना अस्पताल स्थापित करने का एलान किया.

स्वास्थ्य निदेशक अजय चक्रवर्ती बताते हैं, ‘सरकार ने आपात स्थिति से निपटने के लिए तमाम जिलों में कोरोना अस्पताल खोलने का फैसला किया है. इसके लिए मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है.’

फोटो : प्रभाकर मणि तिवारी

सरकार ने तमाम जिलों में गरीबों और प्रवासी मजदूरों के लिए अस्थायी शिविर बनाने का भी निर्देश दिया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने ऐहितयात के तौर पर ऐसा करने का फैसला किया है ताकि आगे चल कर वायरस के फैलने की स्थिति में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े.


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मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने तमाम जिलाशासकों को रविवार को भेजे एक पत्र में इसका निर्देश दिया है. उन शिविरों में खाने-पीने का भी इंतजाम रहेगा. इस काम में गैर-सरकारी संगठनों की सहायता लेने को भी कहा गया है. इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 27 मार्च को कोलकाता में ऐसे 27 नाइट शेल्टर बनाने का निर्देश दिया था.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार परिस्थिति की समीक्षा कर रही हैं. उन्होंने सोमवार को बैठक के बाद कहा कि लॉकडाउन के दौरान तमाम जरूरी सेवाएं बहाल रहेंगी और खाद्यानों की कोई कमी नहीं होगी. मुख्यमंत्री ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी करते हुए कहा कि जो लोग इस आपदा के समय स्वयंसेवक बनना चाहते हैं वे इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.

राज्य सरकार ने पहले स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए पांच लाख का बीमा कराने का एलान किया था. लेकिन सोमवार की बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बीमा कवर को बढ़ा कर 10 लाख किया जाएगा. अब सफाई कर्मचारी और पुलिसवालों को भी इसके दायरे में शामिल किया जाएगा.

कोलकाता पुलिस ने व्हाट्सएप पर भ्रामक खबरें फैलाने के आरोप में सोमवार को कोलकाता के अलीपुर इलाके से पल्लवी शिवानी नामक एक अन्य महिला को गिरफ्तार किया है. उसने एक व्हाट्सएप ग्रुप में लिखा था कि इलाके में 15 लोग इस वायरस की चपेट में हैं. लेकिन सरकार इस खबर को छिपा रही है. इससे पहले भी अफवाह फैलाने के आरोप में एक महिला को गिरफ्तार किया जा चुका है.

राजधानी कोलकाता समेत राज्य के विभिन्न इलाकों में फंसे प्रवासी मजदूरों और गरीबों में खाने-पीने का सामान बांटने के लिए अब रामकृष्ण मिशन समेत कई संस्थाएं आगे आने लगी हैं. रेलवे की ओर से जहां स्टेशनों के पास फंसे लोगों को खाना खिलाया जा रहा है वहीं ईस्ट बंगाल, मोहनबागान और मोहम्मडन स्पोर्टिंग जैसे क्लबों के सदस्य भी अब ऐसे लोगों को जरूरी चीजें बांट रहे हैं.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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