पटना: समस्तीपुर के एक क्वारंटाइन केंद्र में नर्तकों की तस्वीरों ने नीतीश कुमार सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों की देखभाल करने की एक बहुत ही शानदार इमेज बनाई होगी, लेकिन राज्य भर के अलग-अलग क्वारंटाइन केंद्र से आ रही रिपोर्ट एक विपरीत स्थिति पेश करती हैं. प्रवासी भोजन और पानी के लिए लड़ रहे हैं, शौचालय की पर्याप्त सुविधाओं के अभाव का सामना कर रहे हैं.
देश भर से बिहार लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को पहले 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन केंद्रों में रखा जाता है, जिसके बाद उन्हें घर पर आइसोलेशन में सात दिन अतिरिक्त बिताने पड़ते हैं.
बुधवार को जारी राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पूरे बिहार में 7,840 केंद्रों पर लगभग 6.4 लाख प्रवासी मजदूरों को क्वारंटाइन करके रखा गया है. गुरुवार को पटना में 50 ट्रेनें आईं, जिससे 60,000 से अधिक प्रवासी मजदूर आए हैं.
हालांकि, केंद्रों पर रहने की स्थिति की निगरानी के तहत ऐसी शिकायतें आई हैं कि संदिग्ध कोविड-19 रोगियों को अन्य की तरह एक जैसे कमरों में रखा गया है. केंद्रों से भागने की कोशिश करने वाले मजदूरों की कई रिपोर्टें आई हैं, जबकि बिहार सरकार ने कथित तौर पर वादा किया था कि क्वारंटाइन पूरा करने वालों को नकद प्रोत्साहन दिया जायेगा.
प्रवासियों की दुर्दशा ने भाजपा और जद (यू) के नेतृत्व वाली नीतीश कुमार सरकार और विपक्ष के बीच नए सिरे से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर दिया है.
जहां राजद ने सरकार पर क्वारंटाइन केंद्रों में निराशाजनक स्थितियों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है, वहीं सरकार का कहना है कि वह सब कर रही है जिससे क्वारंटाइन में रह रहे मजदूरों की मदद की जा सके. यह भी कहा कि लंबे समय तक में समाज के अधिक से अधिक फायदे के लिए अस्थायी कठिनाइयों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए.
इस बीच, प्रवासी मजदूरों की वापसी राज्य में कोविड-19 की संख्या को तेजी से बढ़ा रही है. बुधवार शाम को यह आंकड़ा 1,607 था, जो एक सप्ताह के भीतर दोगुना हो गया. इनमें से 788 कोरोना मामलों में प्रवासी मजदूर शामिल हैं.
भोजन, पानी: प्रमुख चिंता
समस्तीपुर क्वारंटाइन केंद्रों पर नर्तकियों की तस्वीरों का सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से चर्चा और मजाक ने जिला अधिकारियों के बीच चिंता पैदा कर दी है. समस्तीपुर प्रशासन ने जांच करने का आदेश दिया है कि कैसे नर्तकियों को क्वारंटाइन केंद्र के अंदर अनुमति दी गई थी.
Dancers have been arranged to perform at a quarantine center in Samastipur, Bihar. ?
— Shashank (@LiberalHermes) May 20, 2020
Some dancers, called from outside,
Performed at a quarantine centre in bihar.
It shows ki Life mein priorities clear honi chahiye, marna toh ek din sabko hai.— @rahuldot (@rahultap) May 20, 2020
अन्य केंद्रों पर, प्रवासी मजदूरों को भोजन, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. भोजन की कमी की खबरें लगातार आती रही हैं. यह पता चला है कि मीडिया के लोगों को क्वारंटाइन केंद्रों में प्रवेश करने से रोका जा रहा है और रहने की अवधि को प्रारंभिक 21 दिनों से 14 दिन कर दिया गया है.
गया के एक क्वारंटाइन केंद्र में, जहां एक कॉलेज में लगभग 240 प्रवासी मजदूर रखे गए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर शिकायत की है कि वहां केवल दो शौचालय हैं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उनमें से अधिकांश को सुबह कॉलेज की दीवारों को कूद कर शौच के लिए जाना पड़ता है. परिसर में केवल दो बाल्टी हैं. खराब भोजन अक्सर देर से दिया जाता है.
एक व्यक्ति के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद नवादा में लगभग 150 प्रवासी श्रमिक एक स्कूल से शनिवार सुबह भाग गए, दिप्रिंट को पता चला कि उनमें से कुछ भोजन और पानी की कमी झेल रहे थे.
जिला प्रशासन को वापस लाने में लगभग आठ घंटे लग गए अन्य बातों के अलावा इस घटना ने क्वारंटाइन केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है.
बक्सर और कटिहार जिलों में, विस्थापित प्रवासी मजदूरों ने भोजन की खराब गुणवत्ता पर विरोध प्रदर्शन किया है. समस्तीपुर में, पानी के लिए मजदूरों के बीच हाथापाई हुई क्योंकि उनके क्वारंटाइन केंद्र में सिर्फ एक ट्यूबवेल था.
क्वारंटाइन किये गए लोगों ने शिकायत की है कि उन्हें अक्सर जेल के कैदियों के रूप में एक कमरे में बंद कर दिया जाता है और राज्य भर से भागने के प्रयासों की खबरें आती रही हैं.
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘अच्छी बात यह है कि हमारे पास मजदूरों का आधार संख्या है. अगर वे भाग जाते हैं, तो वे आसानी से ट्रेस हो जाते हैं. तो, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का खतरा, उन्हें क्वारंटाइन केंद्रों पर वापस लाने के लिए मजबूर करता है.’
सत्तारूढ़ गठबंधन के नेता भी स्वीकार करते हैं कि सभी क्वारंटाइन केंद्रों में व्यवस्था ठीक नहीं है.
भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र ज्ञानू ने दिप्रिंट को बताया, ‘कई बाधाएं हैं. कोरोना का डर इतना है कि एक बार कोरोना का मामला एक केंद्र पर होने के बाद रसोइया और यहां तक कि एम्बुलेंस चालक भी वहां से भाग जाते हैं.’
‘सरकार पूरी तरह से बेनकाब हो गयी है’
विपक्ष ने शिकायतों पर तंज किया है और बिहार में क्वारंटाइन केंद्रों की स्थिति को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर हमला किया है.
राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को एक बयान में कहा कि ‘सरकार पूरी तरह से बेनकाब हो गयी है. मजदूरों को भोजन के नाम पर चावल, नमक और मिर्च दी जाती है. उन लोगों को कैदियों की तरह व्यवहार किया जा रहा है, पीड़ित के रूप में नहीं देखा जा रहा है.
उन्होंने पूछा, ‘भोजन और सुविधाओं पर राज्य सरकार द्वारा किए गए सभी दावे… चुनावों के लिए हैं और मीडिया को क्वारंटाइन केंद्रों में प्रवेश करने पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है?
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं.
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आलोचकों पर पलटवार करते हुए कहा, ‘राज्य सरकार इन क्वारंटाइन केंद्रों के सुचारू संचालन के लिए सब कुछ कर रही है.’ उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘आपदा प्रबंधन को 700 करोड़ रुपये दिए गए हैं. विपक्ष राजनीति में लिप्त है और वापसी करने वाले प्रवासी मजदूरों के बीच सदस्यता अभियान शुरू करना चाहता है.’
मंगलवार को जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने अन्य राज्यों के विपरीत गांव के स्तर पर भी क्वारंटाइन केंद्र खोलने का प्रयास किया है.
उन्होंने कहा, ‘सरकार के लिए आसान रास्ता यह होगा कि वह प्रवासी मजदूरों को घर भेजे. लेकिन इससे कोविड-19 और अधिक फैलेगा. लंबे समय तक में समाज के अधिक से अधिक फायदे के लिए अस्थायी कठिनाइयों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए.’
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