जयपुर, 11 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एम, बी. लोकुर ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों के सामने जो मामले आते हैं, उनको लेकर उन्हें ज्यादा ”चौकस” रहना चाहिये और ”इधर-उधर के मामलों” में नहीं पड़ना चाहिये।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) लोकुर ने जयपुर साहित्य सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान दिल्ली में आवारा कुत्तों को भोजन कराने से संबंधित मामले पर हाल के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश की ओर इशारा करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में अदालतों का बहुत ज्यादा समय नहीं लगना चाहिये क्योंकि इसके अलावा भी कई और महत्वपूर्ण चीजें हैं, जिनमें ”नागरिक अधिकारों, मानवाधिकारों और चुनावों” से संबंधित मामले शामिल हैं, जिनपर ध्यान देने की जरूरत है।
लोकुर ने ”लोकतंत्र सूचकांक” सत्र में कहा, ”अदालतों को इधर-उधर के मामलों में नहीं पड़ना चाहिये। उदाहरण के लिये दिल्ली सरकार ने हाल में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के बारे में कुछ फैसला सुनाया है। अब यह मामला यह कहते हुए उच्चतम न्यायालय में दाखिल किया गया है कि उच्च न्यायालय का फैसला सही नहीं है।”
उन्होंने कहा, ”इन चीजों में अदालतों का इतना समय नहीं लेना चाहिए … मुझे लगता है कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के सामने जो मामले आते हैं उनको लेकर उन्हें और अधिक चौकस होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे मामलों का जल्द निपटान हो।”
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल में एक निर्णय में आवारा कुत्तों को खिलाने के संबंध में दिशा-निर्देश दिए थे। अदालत ने कहा था कि लोगों को कुत्तों को खिलाने का अधिकार है।
भाषा जोहेब अनूप
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