नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दिल्ली छावनी क्षेत्र में परेड मैदान जाने के लिए राजपूताना राइफल्स के 3,000 से अधिक सैनिकों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पुलिया और सड़क की तुरंत सफाई करायें।
अधीक्षण अभियंता और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के वकील ने अदालत को बताया कि क्रॉसिंग के वास्ते पैदल पार पथ (एफओबी) के निर्माण के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि एफओबी का काम अपनी गति से होना चाहिए, लेकिन पीडब्ल्यूडी को तुरंत क्षेत्र की सफाई करनी चाहिए, मलबा और मिट्टी हटानी चाहिए, दीवारों को साफ करना चाहिए और वहां ब्लॉक टाइलें लगानी चाहिए ताकि सैनिक ठीक से चल सकें।
पीठ ने कहा, ‘‘अदालत ने पुलिया और राजपूताना राइफल्स के सैनिकों के पैदल पथ की तस्वीरें देखी हैं। चूंकि एफओबी डिजाइनिंग, टेंडरिंग, निर्माण आदि समानांतर रूप से चल रहे हैं, इसलिए प्रभारी इंजीनियर ने पूरे पैदल पथ को साफ करने और पुलिया में कुछ टाइल लगाने के लिए सहमति जताई है, जिसके बाद ‘मलबा’ और पत्थर आदि हटा दिए जाएंगे, क्योंकि ये खतरनाक हो सकते हैं।’’
अदालत ने कहा कि क्षेत्र में सफाई तुरंत शुरू की जानी चाहिए और अधिकारियों से कहा कि वे 18 जून को स्थिति रिपोर्ट के साथ तस्वीरें पेश करें।
पीठ ने कहा, ‘‘मानसून के दौरान बारिश के बाद क्षेत्र में बहुत अधिक कीचड़ जमा होने की संभावना है, इसलिए क्षेत्र का रखरखाव दैनिक आधार पर किया जाना चाहिए, ताकि सैनिकों की आवाजाही में कोई असुविधा न हो।’’
उच्च न्यायालय ने 26 मई को उस समाचार का न्यायिक संज्ञान लिया था, जिसमें बताया गया था कि राजपूताना राइफल्स के 3,000 से अधिक सैनिकों को अपने बैरक से बाहर निकलने और दिल्ली छावनी क्षेत्र में परेड ग्राउंड में जाने के लिए एक नाले से गुजरना पड़ता है, जो बदबूदार और गंदा है।
पीठ ने कहा था, ‘‘सैनिकों को दिन में चार बार इस नाले से गुजरना पड़ता है। बताया जाता है कि उक्त नाला पानी और कीचड़ से भरा हुआ है तथा कई जगहों पर कमर तक पानी भरा हुआ है।’’
उच्च न्यायालय ने इसे ‘‘अस्वीकार्य स्थिति’’ बताते हुए कहा था कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों से इस स्थल पर एक पुल का अनुरोध किया गया था, लेकिन इसे अभी तक नहीं बनाया गया है।
सुनवाई के दौरान, अदालत को बताया गया कि यह एक निचला क्षेत्र है और पुलिया की ऊंचाई बहुत कम है।
पीडब्ल्यूडी अधिकारी ने यह भी सुझाव दिया कि वहां ट्रैफिक सिग्नल के साथ-साथ जेबरा क्रॉसिंग भी बनाई जा सकती है, जिसमें सैनिकों की आवाजाही के लिए समय निर्धारित हो, ताकि वे बैरक से परेड ग्राउंड तक पैदल चलने के लिए भी सड़क का इस्तेमाल कर सकें।
पीठ ने डीसीपी (यातायात) और प्रभारी इंजीनियर को तीन जून को दिल्ली छावनी बोर्ड के नोडल अधिकारी के साथ बैठक करने को कहा। पीठ ने कहा कि बोर्ड को इन सभी कार्यों के समन्वय के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना चाहिए।
भाषा सुरेश माधव
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