scorecardresearch
Friday, 25 July, 2025
होमदेशअदालतों ने इकबालिया बयानों और गवाहों के बयानों में “कॉपी पेस्ट” संस्कृति पर चिंता जतायी

अदालतों ने इकबालिया बयानों और गवाहों के बयानों में “कॉपी पेस्ट” संस्कृति पर चिंता जतायी

Text Size:

मुंबई, 22 जुलाई (भाषा) अदालतों ने आरोप पत्रों में इकबालिया बयानों और गवाहों के बयानों में ‘कॉपी पेस्ट’ संस्कृति को लेकर कई मौकों पर चिंता जतायी है। बम्बई उच्च न्यायालय ने इसे “खतरनाक” प्रवृत्ति कहा है।

यह मुद्दा सोमवार को फिर से सामने आया, जब उच्च न्यायालय ने 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि ‘‘इकबालिया बयान अधूरे और सत्य नहीं पाए गए हैं, क्योंकि कुछ हिस्से एक दूसरे के ‘कॉपी पेस्ट’ हैं।’’

मई और जून में दो मामलों में, उच्च न्यायालय ने ‘‘गवाहों के बयान कॉपी पेस्ट ’’ किये जाने पर ध्यान दिया था और महाराष्ट्र सरकार को इस बढ़ती ‘‘समस्या’’ को दूर करने और दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया था।

ट्रेन विस्फोट मामले में सोमवार को दिए गए आदेश में, उच्च न्यायालय ने आरोपियों के इकबालिया बयानों में समानता को गंभीरता से लिया। अदालत ने कहा कि इकबालिया बयान विभिन्न आधारों पर सत्य और पूर्ण नहीं पाए गए और कुछ अंश एक जैसे और नकल किए हुए पाए गए।

मई में, एक अन्य मामले में, उच्च न्यायालय ने गंभीर अपराधों में भी गवाहों के बयानों को ‘कॉपी पेस्ट’ करने की ‘खतरनाक संस्कृति’ को लेकर चेतावनी दी थी और महाराष्ट्र सरकार से दिशानिर्देश जारी करने को कहा था।

तब उच्च न्यायालय ने कहा था कि उसके सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जहां उसने गवाहों के बयान ‘कॉपी-पेस्ट’ किये जाने को देखा है।

पिछले महीने, उच्च न्यायालय ने एक और आपराधिक मामले में इसी तरह की प्रवृत्ति पर ध्यान दिया था और राज्य सरकार को इस बढ़ते ‘खतरे’ से निपटने का निर्देश दिया था।

ट्रेन विस्फोट मामले में, न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की विशेष पीठ ने कहा कि कई आरोपियों के इकबालिया बयानों में एक जैसे प्रश्न और उत्तर थे, मानो उन्हें ‘कॉपी (नकल)’ किया गया हो।

पीठ ने अपने 671 पृष्ठ के फैसले में समानताएं दर्शाने के लिए इकबालिया बयानों का एक तुलनात्मक चार्ट भी शामिल किया। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अगर यह मान भी लिया जाए कि प्रश्न समान हैं, तो इस बात को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि उत्तर शब्दशः एक जैसे हैं, जो बेहद असंभव है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘दो लोग एक ही तरह से जवाब दे सकते हैं, लेकिन बिल्कुल एक जैसे शब्दों और एक ही क्रम का इस्तेमाल नहीं कर सकते। वे एक ही तरह की समझदारी भरी कहानी कह सकते हैं, लेकिन उसे अलग-अलग तरीके से व्यक्त करेंगे।’’

ट्रेन विस्फोट मामले में उच्च न्यायालय के फैसले ने अभियोजन पक्ष के इकबालिया बयानों पर निर्भरता को खारिज कर दिया और कहा कि प्रत्येक बयान के कुछ हिस्से ‘एक जैसे हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें कॉपी किया गया है’। उच्च न्यायालय का फैसला निचली अदालत के फैसले के बिल्कुल विपरीत है।

इस ‘चौंकाने वाले तथ्य’ पर टिप्पणी करते हुए, पीठ ने कहा, ‘प्रत्येक इकबालिया बयान में बम धमाकों से संबंधित भाग की जांच करने पर, हमें आश्चर्य हुआ कि इन बयानों के कुछ हिस्से एक समान हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हें कॉपी किया गया है।”

वर्ष 2015 में, निचली अदालत ने इकबालिया बयानों की प्रामाणिकता को बरकरार रखा था तथा यातना, बयान मजिस्ट्रेट के बजाय एक पुलिस अधिकारी के समक्ष दर्ज करना, तथा इकबालिया बयानों में अन्य सामान्य विषमताओं जैसे कारकों को खारिज कर दिया था, जैसा कि बचाव पक्ष ने इंगित किया था।

भाषा

अमित दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments