नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह निहित स्वार्थ वाले दलों के चहेरे पर करारा तमाचा है जिन्होंने अपने दुष्प्रचार के जरिये नागरिकों में वैमनस्य पैदा करने का प्रयास किया ।
प्रधान ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ संशोधन वैध है और किसी भी तरह से संविधान के बुनियादी ढांचे में बदलाव नहीं करता है- उच्चतम न्यायालय ने ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखा जो निहित स्वार्थ वाले दलों के चहेरे पर करारा तमाचा है जिन्होंने अपने दुष्प्रचार के जरिये नागरिकों में वैमनस्य पैदा करने का प्रयास किया । ’’
उच्चतम न्यायालय ने दाखिलों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को दो के मुकाबले तीन मतों के बहुमत से सोमवार को बरकरार रखा।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा, ‘‘ ईडब्ल्यूएस के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण को संवैधानिक वैधता से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिये अवसरों के नये दरवाजे खुलेंगे, खासतौर पर उच्च शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले एवं सरकारी नौकरियों में। इससे सबका साथ और सबका विकास की भावना के साथ सामाजिक न्याय को मजबूती मिलेगी । ’’
प्रधान ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नया भारत न केवल वंचित वर्गो के अधिकारों को बरकरार रख रहा है बल्कि सभी के लिये समान अवसर भी सुनिश्चित कर रहा है।’’
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