scorecardresearch
शनिवार, 14 जून, 2025
होमदेशराज्यपाल के अभियोजन आदेश को चुनौती देने वाली सिद्धरमैया की याचिका पर फिर सुनवाई शुरू करेगी अदालत

राज्यपाल के अभियोजन आदेश को चुनौती देने वाली सिद्धरमैया की याचिका पर फिर सुनवाई शुरू करेगी अदालत

Text Size:

बेंगलुरु, 28 अगस्त (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय बृहस्पतिवार को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की उस याचिका पर फिर से सुनवाई शुरू करेगा, जिसमें उनके खिलाफ अभियोजन के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी की वैधता को चुनौती दी गयी है।

राज्यपाल ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत प्रदीप कुमार एस पी, टी जे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों में सिद्धरमैया के अभियोजन के लिए 16 अगस्त को मंजूरी दी थी।

सिद्धरमैया ने 19 अगस्त को राज्यपाल के आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने जनप्रतिनिधियों के लिए गठित विशेष अदालत को निर्देश दिया कि वह इस मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई अगली तारीख (29 अगस्त) तक स्थगित कर दे।

याचिका में मुख्यमंत्री ने कहा कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे जारी किया गया, जो वैधानिक आदेशों का उल्लंघन है तथा मंत्रिपरिषद की सलाह सहित संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत बाध्यकारी है।

इसमें कहा गया कि अदालती कार्यवाही पर इसके संभावित राजनीतिक प्रभाव के लिए उत्सुकता से नजर रखी जाएगी।

कांग्रेस ने सिद्धरमैया का समर्थन किया है और इस मुद्दे पर उनके इस्तीफे की संभावना को खारिज कर दिया है तथा कहा है कि वह कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी।

सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार (प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी) तथा कई वरिष्ठ मंत्रियों ने हाल ही में नयी दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एम. मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी तथा राज्यपाल के आदेश तथा आगे अपनाई जाने वाली रणनीति पर चर्चा की।

उच्च न्यायालय में बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए आने वाली मुख्यमंत्री की याचिका पर गृह मंत्री परमेश्वर ने कहा कि उम्मीद है कि उच्च न्यायालय राज्यपाल के फैसले के पक्ष में दलीलों पर विचार नहीं करेगा।

उन्होंने कहा, ‘सिद्धरमैया की संलिप्तता के बारे में साक्ष्य होने चाहिए। अगर वे (साक्ष्य) हैं, तो उन्हें संज्ञान में लिया जा सकता है। जब कोई साक्ष्य नहीं है, जैसे- उनके हस्ताक्षर, उनका आदेश, संलिप्तता और नाम तथा यहां तक ​​कि पंजीकरण में भी उनका नाम नहीं है। जब ऐसा मामला है, तो अदालत इन सभी चीजों पर गौर करेगी और इस पर फैसला करेगी।’

इस सवाल पर कि क्या पार्टी आलाकमान ने 29 अगस्त को अदालत में होने वाले घटनाक्रम के सिद्धरमैया के खिलाफ जाने की स्थिति में अगले कदम के बारे में कोई चर्चा की है, मंत्री ने कहा, ‘उन्होंने यही बताया है कि क्या होगा, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता, एक बार चीजें (स्पष्ट) हो जाएं तो चर्चा करेंगे।’

सिद्धरमैया के इस्तीफे की स्थिति में उनके मुख्यमंत्री बनने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर परमेश्वर ने कहा कि यह सवाल ही नहीं उठता और यह मुद्दा कभी चर्चा में नहीं आया। परमेश्वर ने हाल ही में दिल्ली की एक यात्रा के दौरान कांग्रेस नेतृत्व- मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी- के साथ एक लंबी चर्चा की थी।

उन्होंने कहा, ‘(मेरी) वरिष्ठता हो सकती है…..यह सच है कि राहुल गांधी ने मुझसे अलग से बात की, लेकिन क्या चर्चा हुई, इसकी अटकलबाजी नहीं की जा सकती। मैं पार्टी का एक अनुशासित सिपाही हूं और समय-समय पर मुझे जो जिम्मेदारी दी गई, उसे पूरा किया है। उन्होंने (राहुल) मुझसे पार्टी के मामलों के बारे में बात की, इसके अलावा किसी और बात पर चर्चा नहीं हुई।’

मुख्यमंत्री के कानूनी सलाहकार और विराजपेट से कांग्रेस विधायक ए.एस. पोन्नन्ना ने कहा, “हमारे अनुसार, राज्यपाल का आदेश कानून के विपरीत है और ऐसा लगता है कि यह (निर्णय) जल्दबाजी में लिया गया है।”

भाषा प्रशांत सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments