नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह 2016 में केंद्र सरकार द्वारा पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं के ‘अकादमिक’ होने पर विचार करेगा.
इसके साथ ही न्यायालय ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 12 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया. सुनवाई शुरू होने के साथ ही न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने कहा कि वर्तमान में यह मामला विचार करने योग्य है भी या नहीं.
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मामला किसी भी दृष्टि से विचार करने योग्य नहीं है.
उन्होंने कहा कि इसे एक अकादमिक प्रक्रिया के तहत सुना जा सकता है. इस पर पीठ ने कहा, ‘पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इन याचिकाओं को अकादमिक प्रक्रिया मानकर इन पर कैसे विचार कर सकती है, वह भी तब जब हमारे पास इतने सारे मामले लंबित हैं.’
पीठ ने कहा, ‘हम सुनवाई की तारीख 12 अक्टूबर तय करते हैं. हम यह निर्धारित करेंगे कि यह अकादमिक है या नहीं और इस पर सुनवाई की जानी चाहिए या नहीं.’
संवैधानिक पीठ में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना भी शामिल रहे.
पीठ केंद्र के आठ नवंबर, 2016 के उस निर्णय को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पांच सौ और एक हजार के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था.
भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने सरकार के निर्णय की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की पीठ को संदर्भित कर दिया था.
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