मदुरै (तमिलनाडु), 16 मार्च (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने सरकारी कार्यालय के अंदर मोबाइल फोन के इस्तेमाल और वीडियो बनाने को ‘‘गंभीर कदाचार’’ करार दिया और तमिलनाडु सरकार को कामकाजी घंटों में इनके उपयोग को विनियमित करने के लिए उचित निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एस.एम. सुब्रमण्यम ने इस संबंध में परिपत्र/निर्देशों के उल्लंघन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया।
अदालत ने यह निर्देश राज्य सरकार के एक अधिकारी की उस याचिका पर दिया जिसमें उन्होंने कामकाजी घंटों के दौरान अपने सहयोगियों की वीडियो बनाने के लिए उनके निलंबन को चुनौती दी थी। वीडियो से कथित तौर पर एक विवाद खड़ा हो गया था और इसमें एक व्यक्ति घायल भी हो गया था।
अदालत ने कहा कि हालांकि, अदालत ऐसे आरोपों के संबंध में जांच नहीं कर सकती , जो जांच के लिए अनुशासनात्मक प्राधिकरण के पास गए थे। आरोप और प्रत्यारोप लगाए गए हैं, इसलिए सक्षम प्राधिकारी को उपलब्ध दस्तावेजों तथा सबूतों के आधार पर विस्तृत जांच करनी होगी, क्योंकि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ इस अदालत का मानना है कि कामकाजी घंटों में लोक सेवकों द्वारा मोबाइल फोन का उपयोग करना आजकल सामान्य हो गया है। मोबाइल फोन का उपयोग करना और कार्यालय के अंदर वीडियो बनाना एक गंभीर कदाचार है। सरकारी विभागों में कार्यरत अधिकारियों को अपने निजी उपयोग के लिए कार्यालय के अंदर कभी भी मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि यदि बेहद जरूरी हो, तो कार्यालय से बाहर जाकर मोबाइल फोन का उपयोग करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से उचित अनुमति लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और पहले प्रतिवादी-सरकार, स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को सभी सरकारी कार्यालयों को उचित परिपत्र / निर्देश जारी करने चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कार्यालय में प्रवेश करते समय मोबाइल फोन एक ‘क्लॉकरूम’ में रखवाए जाएं और आपात स्थिति में कार्यालय के आधिकारिक नंबरों का उपयोग किया जाए।
अदालत ने आदेश पारित करते हुए याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार कर दिया।
अदालत ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि तमिलनाडु के सभी अधीनस्थ अधिकारियों को कामकाजी घंटों के दौरान कार्यालय परिसर के अंदर मोबाइल फोन और मोबाइल कैमरों के उपयोग को विनियमित करने के लिए उपयुक्त परिपत्र/निर्देश जारी करें।
उसने कहा, ‘‘ दिशानिर्देशों/नियमों के किसी भी उल्लंघन की स्थिति में, तमिलनाडु सरकार के कर्मचारी आचरण अधिनियम, 1973 के तहत सख्त कार्रवाई शुरू की जानी है।’’
भाषा निहारिका अनूप
अनूप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.